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स्वतंत्रता संग्राम में जैन प्रारम्भ में आप श्री महात्मा गांधी इण्टर कॉलेज आप नगर के प्रमुख राष्ट्रीय कार्यकर्ता रहे हैं। में नागरिकशास्त्र के प्रवक्ता के पद पर नियुक्त हये। आ()-(1जा) सा रा() 0 (2) उ0 प्र) जै) 4(), इसके बाद श्री तारणतरण जैन इण्टर कॉलेज. पृष्ठ- 92 गंजबासौदा-(विदिशा) म0प्र0 में प्राचार्य के पद पर
श्री सन्तलाल जैन फिर एस०एस०एल) कॉलेज, विदिशा, सेठ आर0एन0 फिरोजाबाद (उ0प्र0) के श्री सन्तलाल जैन ने रुइया कॉलेज, रामगढ़ (शेखावटी) राजस्थान, 1942 के आन्दोलन में डाक बंगला जलाने के पश्चात् बी0एस0एम0 कॉलेज रूड़की और अन्त में साहू श्री धनवंत सिंह के यहाँ बैठकर साथियों के साथ जैन कॉलेज नजीबाबाद (बिजनौर) उ0प्र0 में डाकखाना जलाने का कार्यक्रम बनाया। वहाँ तत्कालीन राजनीतिशास्त्र के विभागाध्यक्ष के पद पर नियुक्त सी0आई0डी0 इन्सपेक्टर रामप्रसाद भी कार्यकर्ता के हुए। नजीबाबाद से ही आप सेवानिवृत हुए। वेश में जानकारी प्राप्त कर गया और डाकखाना जलाने
आ0-(1) मा प्र0 स्व0 सै0, भाग-4, पृष्ठ-307 से पर्व ही श्री धनवंत सिंह, श्री रामबाबू जैन एवं (2) स्व0 प0
आपको गिरफ्तार कर सेन्ट्रल जेल आगरा में रखा गया। श्रीमती सज्जन देवी महनोत मई 1943 में आपको इस शर्त पर छोड़ा गया कि आप
उज्जैन (म)प्र()) के प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी थाने में हाजिरी दिया करें, परंतु आपने सरकार की श्री सरदार सिंह महनोत की धर्मपत्नी श्रीमती सज्जन इस आज्ञा को नहीं माना अत: पुन: नजरबंद कर दिया देवी महनोत का जन्म 1904 के आस-पास ग्वालियर गया और अक्टूबर 1946 में छोड़ा गया। राज्य के राजप्रतिष्ठित श्री सगनचंद भंडारी के यहाँ
आO-(!) जै) स) रा) अ) (2) उ0 प्र0 0 ध0. हुआ। तत्कालीन पर्दा-प्रथा. दिखाऊ कलीनता की पृष्ठ-1) (3) अमृत, पृष्ठ-24 (4) जै) 0 ना0 अ0, पृष्ठ- आपने चिन्ता नहीं की और मिडिल तक शिक्षा ग्रहण श्रीमती सरदार कुंवर बाई लूणिया की। 1930 के आन्दोलन में सरकारी आदेश की
अजमेर (राजस्थान) के प्रसिद्ध देशभक्त श्री अवहेलना कर आप चार माह जेल में बन्द रहीं। जीतमल लणिया की धर्मपत्नी श्रीमती सरदार कंवर 1932 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी आपने जेल बाई लणिया पर्दाप्रथा का बहिष्कार कर राष्टीय आन्दोलन यात्रा की। 1942 में आप अनेक बार गिरफ्तार हुई में भाग लेने वाली ओसवाल जैन समाज की
और छोड़ दी गई। 1943 में जब आप नजरबंद हुईं महिलारत्न थीं। 1933 में राष्टीय आन्दोलन में आपने ता 1946 में छूटी। आपके पुत्र श्री राजेन्द्र कुमार भाग लिया। जब लणिया जी जेल चले गये तो कछ नहनात और भतीजे श्री ताज बहादुर महनोत ने भी समय बाद आपने विदेशी कपड़ों की दुकानों पर जेल की दारुण यातनायें सहीं।
पिकेटिंग की, फलस्वरूप गिरप्तार हुईं और छह महीने आ0-(1) जै) स0 रा0 अ), पृष्ठ-90 (2) इ0 अ0
की सजा पाई। आप पांच-छह महिलाओं का जत्था आं), भाग-2, पृष्ठ-399
लेकर गई थीं, सभी गिरफ्तार कर ली गई। मजिस्ट्रेट लाला सन्तकुमार जैन
ने आपको 'ए' क्लास तथा अन्य महिलाओं को 'सी' स्थानीय कांग्रेस कमेटी के प्रधान रहे, अवागढ़, क्लास में रखा। आपने इसका विरोध किया और जिला-एटा (उ0प्र()) के ला0 सन्तकुमार जैन को अपने तीन वर्षीय पुत्र के साथ 'सी' क्लास में ही 1942 के आन्दोलन में 9 माह की जेल हुई थी। रहीं।
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