Book Title: Swatantrata Sangram Me Jain
Author(s): Kapurchand Jain, Jyoti Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharati

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Page 436
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नहीं डा प्रथम खण्ड 359 एशिया को रौंदता हुआ भारत के दरवाजे खटखटाने कि भारत माँ शीघ्र आजाद हो सके। इसलिए जब मैं लगा था। महात्मा गांधी और कांग्रेस के नेताओं को पुलिस व सेना के जवानों में विद्रोह को उत्पन्न करने लगा कि अब समय आ गया है कि देश में कोई की दृष्टि से पैम्पलेट बांट रहा था, तब 14 अगस्त निर्णायक आंदोलन प्रारम्भ किया जाय, ताकि भारत 1942 को गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज को जापान के सम्भावित आधिपत्य से बचाया जा दिया गया। .. सके। अत: महात्मा गांधी ने 8 अगस्त सन् 1942 अदालत की कार्यवाही जेल के बंद कमरे में को बम्बई में कांग्रेस का खुला अधिवेशन किया और चली, मजिस्ट्रेट ने मुझसे बयान देने को कहा, लेकिन अंग्रेजों से कहा कि- 'आप भारत छोड़कर चले जायें मैंने कहा कि- "ब्रिटिश हुकूमत के गुलाम मजिस्ट्रेट और हमें आजादी दें। हम लोग अपनी रक्षा स्वयं कर कभी न्याय नहीं कर सकते।' अत: मैंने किसी प्रकार लेंगे।' इस प्रकार देश में भारत छोड़ो आन्दोलन का के बयान देने से इंकार कर दिया और किसी भी सूत्रपात पूज्य बाबू जी ने किया और हर देशवासी तरह की माफी मांगने से भी इंकार कर दिया। फलत: को 'करो या मरो' का नारा दिया। लेकिन कांग्रेस के मजिस्ट्रेट ने भारत रक्षा कानून की धारा 38 (5) और इस खुले अधिवेशन में किसी भी कार्यक्रम पर प्रकाश 39 (6) के अनुसार 16-9-1942 को दो वर्ष के जा सका. क्योंकि विशेषकर बम्बई में और कठोर कारावास की सजा सनाई. लेकिन बाद में सम्पूर्ण भारत में कांग्रेसी नेताओं को ब्रिटिश हुकूमत 4-7-1943 को जेल से मुक्त कर दिया गया, किन्तु ने रातों-रात गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के साथ ही साथ बनारस जिले से भी निष्कासित कर कारणों पर बोलते हुए इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री श्री चर्चिल दिया गया। ने कहा कि भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त जेल में मैं नाबालिग बार्ड में रखा गया। इस करने के लिए कांग्रेस ने तोड-फोड की कार्यवाही समय बनारस जेल में डॉ0 सम्पर्णानंद, श्री श्रीप्रकाश बनाई है।' अत: जनता नेता विहीन होकर हिंसक और प्रो) खुशाल चंद जी गोरावाला आदि नेता थे। कार्यवाही में जुट गई। रेल, डाक, तार, टेलीफोन आदि जेल अधिकारियों को परेशान करने की दृष्टि व्यवस्था को भंग करना और ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ से रात्रि में तसला बजाना, कम्बल व चटाइयों में आग फेंकने के लिए हर सम्भव कार्य करना उसका एक लगाकर तापना और जेल में दिये जाने वाले कामों नियमित कार्य बन गया। को खराब करना आदि प्रमुख कार्य हम लोग करने इन दिनों श्री स्याद्वाद महाविद्यालय (इस संस्था लगे। इसलिए जेल अधिकारियों ने तन्हाई में रखने के दशाधिक क्रांतिकारियों का परिचय इस ग्रन्थ में की तथा बेड़ियां पहनाने की सजा दी। तन्हाई में हम दिया गया है, तथा एक आलेख भी।) वाराणसी लोग खूब राष्ट्रीय गीत गाते रहते थे और बेड़ियां पहने क्रन्तिकारी कार्यवाही का केन्द्र बन गया था। हम लोगों हुये पेड़ पर चढ़ जाया करते थे। पता नहीं जेल का ने पढ़ना-लिखना बंद कर दिया और रेलवे लाइनों सारा समय कब और कैसे व्यतीत हो गया। को उखाड़ना, पोस्ट ऑफिसों को फूंकना तथा तार व जेल से छूटने के बाद बनारस जिले से निष्काषित टेलीफोन लाइनों को छिन्न-भिन्न करना और पुलिस होने के कारण संस्कृत के अध्ययन का मार्ग अवरुद्ध तथा सेना के जवानों में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध हो गया। अत: हाईस्कूल, इण्टरमीडिएट, बी0ए0 तथा अभक्ति की भावना पैदा करना तथा विद्रोह करने को एम0ए0 परीक्षायें उत्तीर्ण की और शिक्षण कार्य प्रारम्भ तैयार करना आदि कार्य प्रारम्भ कर दिये थे, जिससे कर दिया।' For Private And Personal Use Only

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