Book Title: Swatantrata Sangram Me Jain
Author(s): Kapurchand Jain, Jyoti Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharati

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Page 434
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 357 रियासत में दीवान थे। दीवान शंकरलाल पाण्डवीय महामना मालवीय जी से प्रभावित, राजशाही के प्रखर दरबारे खास, पंचायत बोर्ड तथा इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट के सदस्य विरोधी पाण्डवीय जी ने 1940-42 के आन्दोलनों में रहे तथा चेम्बर आफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री के मानसेवी सक्रिय भाग लिया। अगस्त 1940 से अगस्त 1941 संयुक्त सचिव एवं श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र सोनागिर तथा अगस्त 1942 से फरवरी 1943 तक करीब । कमेटी के 1922 से 1924 तक मंत्री रहे थे। श्यामलाल वर्ष 8 माह की कैद आपने ग्वालियर और शिवपुरी जी की माता का नाम गोबल देवी एवं छोटे भाई का की जेलों में भोगी। आप ग्वालियर राज्य कांग्रेस एवं नाम रघुवर दयाल था, जो तहसीलदार थे। सार्वजनिक सभा के संस्थापक सदस्य थे तथा ग्वालियर आपकी शिक्षा मुरार हाईस्कूल में हुई। ग्वालियर राज्य सार्वजनिक सभा के अध्यक्ष चुने गये थे। रियासत के प्रथम बैच में आपने इण्टर पास किया तथा 1923 में जब अ0भा0दि0 जैन परिषद् की ग्वालियर राज्य की वकालत की परीक्षा भी आपने पास स्थापना का निश्चय हुआ तब आप उस सम्मेलन में की थी। पाण्डवीय जी शैशव से ही मेधावी, प्रगतिशील मौजूद थे, परिषद् के गठन प्रस्ताव के हस्ताक्षर कर्ताओं एवं राष्ट्रीय विचारों के व्यक्ति थे. 17 वर्ष की उम्र में में से आप एक थे। इस प्रकार आप उक्त परिषद के ही आप जैसवाल जैन सभा के विभागीय मंत्री तथा संस्थापक सदस्य थे। बाद में 'मुनि' के सम्पादक बनकर समग्र जैन समाज पाण्डवीय जी स्वाधीनता के पश्चात् मध्यभारत की सेवा में लग गये थे। के गठन से विलय तक (1948-56) राजस्व, उद्योग, 1913 में मात्र 17 वर्ष की अल्पायु में आपने व्यापार, खाद्य, कृषि, लोक-निर्माण तथा स्वास्थ्य विभाग ग्वालियर राज्य की प्रथम लोकपत्रिका 'गल्प पत्रिका' के मंत्री रहे। अनेक बार राजनीतिक उथल-पुथल में का प्रकाशन किया। 'गल्प पत्रिका' के कांग्रेस अंक नियंत्रण करके स्थिति को आपने संभाला था। को जब्त कर आपको जेल भेज दिया गया था। रियासत के जमाने में रियासत के एक जागीरदार पाण्डवीय जी ने 1922 में साप्ताहिक 'समय' ने दशहरा जुलूस में निकालने हेतु जैन मंदिर का रथ निकाला और वीरांगना लक्ष्मीबाई की जयन्ती मनाई। मांगा, न दिये जाने पर उसने मन्दिर में तोड-फोड व वे खादी प्रचार के माध्यम से भी समाज में लोकप्रिय मल-मूत्र फेंकने की शर्मनाक घटना करवाई, इस पर हुए, मध्य प्रदेश और उसके बाहर भी उनकी कार्य जैन समाज क्षुब्ध हो गया। पाण्डवीय जी ने उस सेवा अजस्र भाव से चलती रही। सार्वजनिक सभाओं आन्दोलन का नेतृत्व किया। 1924 से 26 तक आप में उनकी अध्यक्षता चर्चित होती थी। एक दिसम्बर सोनागिर सिद्धक्षेत्र कमेटी के मंत्री तथा 1957 से 1976 193) को उग्र भावनाओं के कारण बिना वारण्ट के तक उपाध्यक्ष रहे। अ0भा0 दिगम्बर जैन परिषद् के गिरफ्तार कर आपको जेल भेज दिया गया। 1941 में हस्तिनापुर अधिवेशन में आप राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित आप जेल से मुक्त हुए। 1940 में आप जब जेल में हुए थे। श्री वीर शिक्षा समिति, लश्कर के भी आप थे. तब आपको ग्वालियर स्टेट कांग्रेस का अध्यक्ष चना अध्यक्ष रहे थे। गया। आपकी अनुपस्थिति में आपके चित्र को रखकर 11 फरवरी 1980 को आपका निधन हुआ। उस अधिवेशन में जुलूस निकाला गया तथा कार्यवाही अन्तिम दिनों में आपने 'श्यामलाल पाण्डवीय सुकृत की गई। सेवा न्यास' की स्थापना की और अपनी सम्पत्ति का इससे पूर्व 1917-18 के दिल्ली कांग्रेस अधिवेशन बहुतांश समाजसेवा हेतु इस न्यास को समर्पित कर में आप किसान प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित हुए। दिया। For Private And Personal Use Only

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