Book Title: Swatantrata Sangram Me Jain
Author(s): Kapurchand Jain, Jyoti Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharati

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Page 430
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 353 आ0- (1) जै() स0 रा) अ0 (2) वि0 अ0, पृष्ठ-520 सवमुच ही शुभ साबित हुए। आजादी के आंदोलनों (3) दि) जैन महासमिति पत्रिका 15-9-92 (4) पुत्र श्री सुरेश के दौरान उन दिनों जब कांग्रेस के जलस निकलते जो द्वारा प्रदत्त परिचय थे तो शुभचंद जी को सैनिक लिवास में घोड़े पर श्रीमती शीलवती मित्तल | बैठाकर झंडा लेकर आगे चलाया जाता था। वे 'आजादी श्रीमती शीलवती मित्तल प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी के सिपहसालार' के नाम से जाने जाते थे। बाबू नेमीशरण मित्तल की धर्मपत्नी थीं। अपने पति लगभग छह दशक पूर्व जबलपुर के उत्साही के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर आपने दो बार नौजवानों ने 'नेशनल बॉय स्काऊट्स' नाम से एक जेलयात्रा की। आप कांग्रेस की प्रत्येक सभा में भाग संस्था बनाई थी। पं0 भावनी प्रसाद तिवारी, सवाईमल लेती थीं। आपके पुत्र भी आपकी तरह राजनैतिक कार्यों जैन, बद्रीनाथ गुप्ता जैसे प्रतिभावान व्यक्ति उसके में लगे रहे। सदस्य थे। यह एक राष्ट्रीय विचारवादी अनुशासित आ)-(1) जै0 स) रा) अ) जनसेवी संगठन था। श्री शुभचंद जैन इसके अध्यक्ष मनोनीत किये गये। (एक मत के अनसार शभचंद श्री शुभचंद जैन जी इसके संस्थापक थे। वे त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर के श्री में गांधी जी के अंगरक्षक रहे (स्वतंत्रता संग्राम और शुभचंद जैन भारतीय स्वाधीनता महासमर के ऐसे जबलपुर नगर, पृष्ठ-172, गजरथ महोत्सव स्मारिका अग्रणी नौजवान थे, जिन्होंने पष्ठ-39)) 1930-32 के आंदोलनों के कार्यक्रमों आजादी के हर आंदोलन में खादी-प्रचार, विदेशी वस्त्र बहिष्कार, जंगल सत्याग्रह न केवल बढ़-चढ़ कर हिस्सा और शराबबंदी में श्री जैन ने भाग लिया था। लिया बल्कि 1930-32 और शुभचंद जी ने सरकारी शराब गोदाम 'वेयर हाऊस' 1942 के आंदोलनों में लंबी पर धरना देने का कार्यक्रम बनाया, इनके साथ और अवधि तक जेलों के सीखचों भी सत्याग्रही हो गये। पुलिस ने घसीट-घसीट कर - म रह। यही नहीं उनक सबको अलग किया लेकिन सब फिर वहीं पहच ओजस्वी विचारों और क्रियाकलापों ने अनेक नौजवानों गये। इसके बाद घुडसवार बुलाये गये। शुभचंद जी में नई जान फूंकी, जिसके परिणामस्वरूप जबलपुर घोडों की टाप से जख्मी हो गये, लेकिन इस घटना की जैन समाज की तरूणाई रणक्षेत्र में उतर पड़ी के बाद आंदोलन उग्र हो उठा। और उनकी अनुगामी होकर बढ़-चढ़ कर हिस्सा उन दिनों आंदोलन में सत्याग्रही गिरफ्तार कर लिया, यातनाओं को झेला, जेल यात्राएं कीं और जेल भेज दिये जाते और पेशी पर फौजदारी अदालत समाज का मस्तक ऊँचा किया। में लाया जाता और उन्हें सजा सुनाई जाती थी। उस शुभचंद जी के पिता का नाम श्री गुलाबचंद समय हथकडी डालकर जेल से कचहरी लाया जाता था। श्री शुभचंद का प्रभावी व्यक्तित्व, रोबीला चेहरा, था। श्री शुभचंद ने हथकडी पहिनकर जाने का विरोध मांसल बदन एवं बुलंद आवाज में सहज आकर्षण किया तो अन्यों ने भी विरोध में साथ दिया। था। इनका पूर्व नाम अबीरचंद था। मुरैना विद्यालय परिणामस्वरूप इन लोगों को बैरक से कंकरीली सडक में गुरुणां गुरु गोपालदास बरैया ने अबीरचंद से इन्हें पर घसीटते हए फाटक तक लाकर मोटर में वोरों की शभचंद बना दिया था। बाद में वे देश के लिये तरह लादा गया फिर कचहरी में भी उतरने को तैयार For Private And Personal Use Only

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