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प्रथम खण्ड
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मकान की तलाशी पुलिस द्वारा ली गई तथा पुलिस के आन्दोलन में भाग लेने के कारण 9 माह का सभी कागजात तिरंगा व सीलें जब्त करके चली गई। कारावास आपको भोगना पड़ा था। पलिस श्री जैन को व उनके साथियों को गिरफ्तार
आ) (1) म(0 प्र0 स्व) सै), भाग-1, पृष्ठ-93 करना चाहती थी किन्तु आप किसी प्रकार पलिस (2) स्वा) स0 जा), पृष्ठ-158 को चकमा देने में सफल हो गये और गिरफ्तारी से
श्री मोतीलाल जैन बच गये। बाद में रतनगढ़ पुलिस ने श्री जैन का नाम
कटनी, जिला- जबलपुर (म0प्र0) के हिस्ट्रीशीटर की सूची में जोड़ दिया। इस प्रकार श्री मोतीलाल जैन, पत्र-श्री कन्छेदी लाल का जन्म श्री जैन पर पुलिस हर समय कड़ी निगरानी रखने 1924 में हुआ। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में लगी। यह क्रम लगभग 6 माह तक चला। अन्त में भाग ले। 1 6 माह का कारावास आपने मोगा। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक श्री चन्द्रकान्त तिवारी ने
आ) (1) 40 प्र0 स्व) सै0, भाग-1, पृष्ठ-93 निगरानी आदेश निरस्त किया।
श्री मोतीलाल जैन आ- (1) म) प्र0 स्व) सै0, भाग-4, पृष्ठ-217
बरली, जिला रायसेन (म0प्र0) के श्री मोतीलाल (2) स्वा। स) प), पृष्ठ-105
जैन, पुत्र- श्री खरगराम जैन का जन्म 1898 में हुआ। श्री मेरुलाल जैन
1948 के भोपाल राज्य विलीनीकरण आन्दोलन में ग्राम- भाभरा, जिला- झाबुआ (म0प्र0) के आपने भाग लिया तथा एक माह के कारावास की श्री मेरुलाल जैन, पुत्र- श्री पृथ्वीराज जैन का जन्म सजा भोगी। 4 जून 1918 को हुआ। 1930 में विद्यार्थी जीवन से
आ0-(1) म0 प्र0 स्वा) सै0, भाग-5, पृष्ठ-79) ही आप राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय हो गये तथा
श्री मोतीलाल जैन बन्दी बनाये गये। म0प्र0 शासन ने सम्मानपत्र प्रदान
कटंगी, जिला-जबलपुर (म0प्र0) निवासी कर आपको सम्मानित किया है।
श्री गुलाबचंद जैन के सुपुत्र श्री मोतीलाल का जन्म आ) (1) म0 प्र0 स्व) सै0, भाग 4, पृष्ठ- 143
1923 में हुआ। 1942 की अगस्त क्रांति में आप मास्टर मोतीलाल
कूद पड़े। थाने पर तिरंगा झंडा फहराने के लिये जिन आगरा (उ0प्र0) के मास्टर मोतीलाल जी नवयुवकों का दल चल पड़ा था उनमें श्री मोतीलाल कांग्रेस के प्रसिद्ध कार्यकर्ता रहे हैं। 1942 के भी थे, वे निर्भीक रूप से थाने में बढ़ते ही गये, आन्दोलन में 'आजाद हिन्दुस्तान' पर्चे बांटने के बन्दूकें आपको भयभीत नहीं कर सकी। फलतः सन्देह में आपको छ: माह की सजा हुई थी, लेकिन आप पकड़े गये, हथकडी डाली गयी और बन्दी अपील में आप छोड़ दिये गये थे।
बनाकर केन्द्रीय कारागार जबलपुर ले जाये गये जहाँ आ).. (1) जै।) स0. रा) अ0 (2) उ0 प्र0 जे0 भारत रक्षा कानून की धारा 129 के अन्तर्गत दिनांक धा), पृष्ठ-1
8 सितम्बर 1942 से 31 मई 1943 तक अपने
सहयोगी बंधुओं के साथ कैद रहे। जेल से मुक्त होने श्री मोतीलाल जैन
पर रचनात्मक कार्यों में लगे रहे। श्री मोतीलाल जैन, पुत्र-श्री उमराव लाल का ।
आ0- (1) म0 प्र0 स्व० सै0, भाग-1, पृष्ठ-93 जन्म 1904 में जबलपुर (म0प्र0) में हुआ। 1930 (2) स्वा) सा) पा0, पृष्ठ-100
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