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स्वतंत्रता संग्राम में जैन ___1939 में आपको राजनैतिक प्रवृत्तियों के कारण निवासस्थान से ही होता था। आपका कार्य पुलिस से डेढ़ वर्ष की कैद तथा जुर्माने की सजा हुई थी, मिलकर रहना और यह पता लगाना था कि आज जुर्माना अदा न करने के कारण आपको 6 माह जेल किसके पकड़े जाने की आशा है व कहाँ तलाशी में और रहना पड़ा। 1942 के आन्दोलन में आप होने वाली है। अजमेर में सत्याग्रह करने पर गिरफ्तार कर लिये जो सेनानी जेल चले जाते उनके घरों की गये और डेढ़ वर्ष की सजा हुई, लेकिन बीमारी के खान-पान सहायता की जिम्मेदारी श्री प्रेमचंद 'उस्ताद' कारण आपको सजा पूरी होने से पहले ही छोड़ के साथ श्री लीलधर सराफ और श्री राजाराम बजाज दिया गया। जेल में आपको बहुत यातनायें और मार की ही रहती थी। क्रान्तिकारी गतिविधियों के कारण तक सहनी पड़ी थी।
म0प्र0 शासन ने आपको स्वतंत्रता सैनानी का ताम्रपत्रादि आपने हरिजन पाठशाला का संचालन भी किया। प्रदान कर सम्मानित किया था। 2-8-80 को आपका 1946 ई0 के फाल्गुन मास में आपके पिता सेठ निधन हो गया। नेमीचंद जी सोनी ने मन्दिर निर्माण करके आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 स0 सै0, भाग-2, पृष्ठ-90 विशाल आयोजन के साथ पञ्चकल्याणक प्रतिष्ठा भी (2) श्री संतोष सिंघई, दमोह द्वारा प्रेषित परिचय कराई थी। आ0-(I) जै0 स0 रा) अ0, पृष्ठ-69
पंडित लोकमणि जैन श्री लीलाधर सराफ
बहुमुखी प्रतिभा के धनी, जैन दर्शन के विद्वान्
और समाज सुधारक पं0 लोकमणि जैन का जन्म व्यायाम के शौक ने जिन्हें आजादी का दीवाना
ग्राम-हिनौतिया (म0प्र0) में बना दिया, ऐसे श्री लीलाधर सराफ, पत्र-श्री मल्थूराम
पिता आशाराम जी के घर सराफ का जन्म दमोह (म0प्र0) में 1895 में हुआ।
1890 में हुआ। आपका आपने जैन और अजैन सभी को श्री बाहुबली
प्रारम्भिक अध्ययन जैन व्यायामशाला का सदस्य बनाया। यहाँ तक कि श्री
बोर्डिंग हाऊस, जबलपुर में गजाधर प्रसाद मास्टर को प्रेरणा देकर लाठी, लेजिम,
हुआ। बाद में आपको तलवार, भाला, पटा, बनेटी और मलखम्म के खेल
वाराणसी के प्रसिद्ध श्री सीखने के लिए श्री हनुमान व्यायामशाला. अमरावती
स्याद्वाद महाविद्यालय में भेज दिया गया, जहाँ से भिजवाया और लौटने पर बाहुबली व्यायामशाला के
आपने मध्यमा, शास्त्री, आयुर्वेदरल और वैद्यविशारद सभी सदस्यों और अपनी लड़की सहित बहुत सी
की उपधियाँ प्राप्त की। जैन दर्शन के गहन अध्ययन लड़कियों को लेजिम आदि की ट्रेनिंग दिलवायी।।
से स्याद्वाद विद्यालय ने इन्हें खतौली, दिल्ली, मेरठ 1942 के आन्दोलन में आपने बाहुबली
एवं मोरेना आदि स्थानों पर भेजा। व्यायामशाला के सदस्यों को झौंक दिया। बहुत से
मोरेना में पं0 गोपालदास जी बरैया आपके गुरु पकड़े गये और बहुत से छिपकर बुलेटिन छापने का थे। उन्हीं दिनों गोटेगांव निवासी मुलायमचंद जी काम इनके निवासस्थान पर करते रहे। परन्तु पुलिस
चौधरी और दरबारी लाल जी बमोरहा मोरेना पहुँचे। को इसकी अंत तक भनक भी न हुई। दमोह में हान वहाँ पं0 जी की विलक्षण प्रतिभा को देखकर इन वाले अनेक क्रांतिकारी कार्यों का सञ्चालन आपके दोनों महानभावों ने पं0 जी को गोटेगांव की पाठशाला
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