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प्रथम खण्ड
347 अग्रवाल को उनके प्रमुख सहयोगीगण श्री मथुरालाल
राजमल जैन था। देशसेवा की सारू व श्री जोशी सहित गिरफ्तार कर लिया गया।
भावना से ओतप्रोत श्री जैन पुलिस इन्हें गरोठ ले जाना चाहती थी। सम्भव न हो
1942 से कांग्रेस प्रजामंडल सकने पर हिंगलाजगढ़ के जंगल में छोड़ने की योजना
के कर्मठ सदस्य रहे और बनी वह भी सफल न हो सकी। फिर तीन दिन तक
देश की स्वतंत्रता के लिये श्री केशराम ठेकेदार की बगीची में रखकर मनासा
महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। न्यायालय में पेश किया गया, जहां इन्हें साथियों सहित
1949 में भोपाल रिहा कर दिया गया। श्री आजाद सदा न्याय व निष्पक्षता विलीनीकरण आंदोलन में आपने भाग लिया और 2 के लिए जूझते रहे।
माह की सजा तथा 50/- रु0 जुर्माना न देने पर । आ)- (1) स्व0 स0 म0, पृष्ठ-134
माह की और सख्त सजा के तहत जेल गये।
स्वतंत्रता की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर स्वतंत्रता श्री शांतिलाल जैन
संग्राम में स्मरणीय योगदान के लिए म0प्र0 शासन श्री शांतिलाल, पुत्र-श्री दीपचंद जैन का जन्म
___ की ओर से आपको प्रशस्ति पत्र भेंट किया गया। 1915 में बखेड, जिला-राजगढ़ (म0प्र0) में हुआ।
आ0- (1) स्वप्रेपित परिचय, प्रशस्ति एवं सम्मान पत्र आपने कक्षा 6 तक शिक्षा ग्रहण की। 1938 से (2) म0 प्र0 स्व0 सै), भाग-5, पृष्ठ-58 1947 तक प्रजामंडल में प्रचारमंत्री के पद पर कार्य किया। 1937 से ही मातृभूमि से अंग्रेजों को भगाने
श्री शांतिलाल जैन के लिये सक्रियता पूर्वक शासन विरोधी कार्यवाहियों
म0प्र0 विधान सभा के सदस्य एवं वारासिवनी में हिस्सा लेते रहे। इसी कारण रियासती जोर ज्यादतियों नगरपालिका के अध्यक्ष रहे श्री शांतिलाल जैन, के शिकार रहे।
पुत्र-श्री सबसुखलाल का जन्म 1920 में वारासिवनी आ0-(!) म) प्र0 स्व0 सै0, भाग-5, पृष्ठ-125
जिला-बालाघाट (म0प्र0) में हुआ। हरिजन दौरे के
समय गांधी जी के आगमन से आपको स्वाधीनता श्री शांतिलाल जैन (जव्हेरी)
संग्राम में कूदने की प्रेरणा मिली। 1941 में आपने इन्दौर (म0प्र0) के श्री शांतिलाल जैन, पुत्र-श्री वानरसेना का नेतृत्व किया। 1942 के आन्दोलन में मोतीलाल ने जी0 डी) फाइन आर्ट तक शिक्षा ग्रहण 17 मास की नजरबंदी और एक हजार रुपये का की। 1926 से ही आप राष्ट्रीय आन्दोलन के सक्रिय जुर्माना आपने भोगा। 1968 में आपका स्वर्गवास हो कार्यकर्ता हो गये। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन गया। में डेढ़ वर्ष का कारावास आपने भोगा। समाज में आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-1, पृष्ठ-192 छुआछूत का विरोध करने पर आप समाज से वर्षों
श्री शांतिस्वरूप 'कुसुम' बहिष्कृत रहे।
कवि, लेखक एवं क्रान्तिकारी श्री शांतिस्वरूप आ0-(1) म) प्र) स्व0 सै0, भाग-4, पृष्ठ-46
जैन 'कुसुम', पुत्र-श्री सभाचन्द्र का जन्म 24 अक्टूबर श्री शांतिलाल जैन
1923 को घनौरा, सिलवर नगर, मेरठ (उ0प्र0) में सीहोर (म)प्र()) निवासी श्री शांतिलाल जैन हुआ। सम्प्रति आप बड़ौत प्रवासी हैं। आपने अपने का जन्म 1929 में हुआ। आपके पिता का नाम श्री गीतों से नवयुवकों में जो क्रान्ति का मंत्र फूंका,
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