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प्रथम खण्ड समिति के माध्यम से अनेक-विकास कार्य व गरीबों प्रजामण्डल की स्थापना में श्री कटलाना की सहायता आपने की।
का महत्त्वपूर्ण योगदान था। श्री गौतम शर्मा, आ0- (1) श्री सुरेन्द्र कुमार द्वारा प्रदत्त छतरपुर जिले के डॉ. मिलिन्द, श्री हरिभाऊ उपाध्याय आदि को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की सूची (2) स्व) प०
अनेक बार सीतामऊ लाकर उनकी सभाएं आपने ही श्री वीरचंद जैन
करवाई थीं। दो बार जेल यात्रा करने वाले कटनी कटलाना जी ने हरिभाऊ उपाध्याय के समक्ष जिला-जबलपुर (म0प्र0) के श्री वीरचंद जैन पत्र-श्री अनक स्थानों पर रहकर सेवाकार्य एवं आंदोलन-प्रदर्शन वंशगोपाल का जन्म 1917 में शहडोल (म0प्र0) में।
में में शामिल होकर अपनी निष्ठा व कर्मशीलता का हुआ। मिडिल तक शिक्षा प्राप्त श्री जैन 1932 से
परिचय दिया। सीतामऊ स्टेट में इनकी गतिविधियां ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हो गये थे। 1941 के
जब अधिक तेज हो गई तब इन्हें अपने भाई श्री व्यक्तिगत सत्याग्रह में आप गिरफ्तार हुए तथा नागपुर
कन्हैयालाल कटलाना सहित स्टेट से निर्वासित कर
दिया गया। सीतामऊ से निर्वासित होकर कटलाना में 4 माह का कारावास भोगा। 1942 के भारत छोड़ो
बन्धु मन्दसौर आ गये व मन्दसौर के आन्दोलन से आन्दोलन में आप पुन: गिरफ्तार हुए एवं | वर्ष 3
जुड़ गय। आर्थिक रूप से आपकी स्थिति बिगड़ती माह का कारावास जबलपुर जेल में भोगा। दुकान
गई, जो अन्त तक सुधार पर नहीं आ सकी। फिर बंद हो जाने से आर्थिक कठिनाइयों का सामना भी
भी आप निराश नहीं हुए। 1942 के भारत छोड़ा आपको करना पड़ा।
आन्दोलन में 18 माह का कारावास आपको मंगावली आ0- (1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-1, पृष्ठ-108
जेल में भोगना पडा। जेल से आने के बाद भी आप (2) जै) स) रा) अ)
आन्दोलन में सक्रिय रहे। श्री शंकरलाल कटलाना
___4 जुलाई 1982 को कटलाना जी का देहावसान शंकर के समान प्रचण्ड शक्ति-सम्पन्न श्री हो गया। शंकरलाल कटलाना का जन्म 1907 में सीतामऊ आ0- (1) स्व0 स0 म0, पृष्ठ-138,139 (2) म) स्टेट [मन्दसौर (म0प्र0) ] में हुआ। इनके पिता श्री प्र0 स्व। सै0. भाग-1, पृष्ठ-219 मोतीलाल कटलाना स्वयं राष्ट्रीय विचारधारा के व्यक्ति थे, अत: उनके दोनों पुत्र श्री शंकरलाल कटलाना
श्री शंकरलाल जैन तथा श्री कन्हैयालाल कटलाना (इनका परिचय अन्यत्र
श्री शंकरलाल जैन, पुत्र- श्री गुलाबचंद जैन का
जन्म 1915 में ग्वालियार (म0 प्र0) में हआ। दिया गया है) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से प्रभावित । होकर स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु आंदोलन के मार्ग पर चल
आपने माध्यमिक तक शिक्षा ग्रहण की और 1937
से राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय हो गये। 1942 के पड़े। कटलाना जी व इनके सहयोगीगण पूरे जोश के
भारत छोड़ो आन्दोलन में आपने भाग लिया, गिरफ्तार साथ जुलूस निकालते थे। नेतृत्व क्षमता के लिए श्री
हुए और 30 अगस्त 1942 से 29 जून 1943 तक कटलाना प्रसिद्ध थे। राजमहलों पर तथा सरकारी
करीब ।। माह की सजा ग्वालियर और सवलगढ़ भवनों पर तिरंगा लगाना, नारे लगाना, प्रभातफेरिया जेल में काटी। निकालकर जनजागृति करना इस समय आंदोलनकारियों
आ0- (1) म) प्र. स्व0 सै0, भाग-4, पृष्ठ-253 के प्रमुख कार्य थे।
(2) जै0 इ), पृष्ठ-85 (3) जै0जे0यु०, पृष्ठ-228
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