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प्रथम खण्ड
- 315 करना चाहिए। इस सिद्धांत ने जीवन भर मुझे सहायता देशों को एक दूसरे से अच्छी चीजें सीखनी होंगी। अगर और आत्मविश्वास दिया है।
साम्यवादी देशों में कुछ अच्छे कानून हैं यथा शहर को साफ सुथरा रखने, अस्पतालों में अमीर-गरीब की
एक सी देखभाल या मंहगाई पर रोकथाम तो हमें वह खेद होता यह देख कर कि स्वतंत्र भारत में
तरीके भी अपनाने चाहिए। किसी भी उपाय से हमें मानव भावना की स्वतंत्र वृद्धि और आनंद एवं बहुलता
अपने देश में आजादी के नाम पर जो अनुशासनहीनत के होते हुए भी जिस समाज की परिकल्पना हमने
हो रही है उसे रोकना होगा। की थी वह नहीं बन सका। स्वार्थ, भ्रष्टाचार आदि ने घुसपैठिये की तरह समाज की जड़ों तक अपने पंजे फैला दिये हैं।
जब एक नदी शान्ति से बहती है तो कैसा
सुहावना समा होता है। वही नदी जब सैलाब (बाढ़) मुझे इन्सान की निजी आजादी और उसके हकों लाती है तो कितनी तबाही कर देती है। गांव के गांव को जकड़ने पर भी एतराज है। अपनी इसी मान्यता उजड़ जाते हैं। खेती बरबाद हो जाती है और इन्सान के आधार पर मैं पूरी उम्र मजदूरों को उनके हक दिलाने भूख के मारे भीख मांगने पर विवश हो जाता है। हमारे के लिए लड़ता रहा। इन्सान के मानव-अधिकार पर देश में एकता और अखंडता का नारा आज बहुत आक्षेप करना मैं गलत समझता हूँ, परन्तु देश में कायदे, आवश्यक है। आपस में भाईचारा, जहाँ प्रदेश का भेद कानून मानना और देशवासियों में एकता और एक दूसरे न हो, रंगरूप का भेद न हो, जहाँ भाषा का भेद न के दु:खदर्द में सहायता देना भी जरूरी है। हो, जहाँ धार्मिक भावना एक दूसरे के बीच एक दीवार
न बन जाए। हमें ऐसा भारत बनाना है। जहाँ हम सब
देशवासी घुल मिल कर रहें, एक दूसरे की बात समझें, हमारे देश में जितने प्रदेश हैं उतनी प्रादेशिक
एक दूसरे के दु:खदर्द में साथ दें यही तो हमारी परंपरा भाषाएँ भी हैं परंतु एक राष्ट्रभाषा तो होनी ही चाहिए। रही है। कितने ही दर-दर देशों के लोग आए. भारत यह क्या तरीका है कि हम चार-छह भारतवासी कोई पर हमले हए, खून भी बहे परंतु ज्यादातर लोग यहीं बंगाल का, कोई मद्रास का, कोई महाराष्ट्र का जब के हो गए। हमारा प्राचीन और मध्यकालीन इतिहास साथ बैठते हैं, तो आपस में अंग्रेजी में बात करते हैं। इसकी झाँकी प्रस्तुत करता है।
और देशों में जैसे- फ्रांस, इटली, जापान या अरब देशों में सब अपनी मातृभाषा में बातचीत करते हैं।
___ अपने लिए तो सभी जीते हैं पर दूसरों
का दु:ख कैसे मिटे ऐसा उपाय हमेशा अपने जीवन एक राष्ट्रभाषा सारे देश को, जो आज टुकड़ियों में खोजना चाहिए। हर मनुष्य का यह कर्तव्य है कि में है-हमारे महान् देश को एक विशाल नक्शे में जोड़ अपनी शक्ति के अनुसार जरूरतमंद या दीन-दु:खी देगी। बाबा आमटे का नारा सही है 'भारत जोडो'। प्राणियों के कष्ट निवारण में सहयोग दे। नहीं एकता में सामहिक शक्ति है। बिखरी चीज हमेशा तो मनुष्यजन्म पाना ही निरर्थक है। फिर मनुष्य कमजोर रहती है। जैसे बिजली के छोटे-छोटे कई बल्ब और पशु में वया फर्क? अपना जीवन तो पशु भी उतनी रोशनी और प्रकाश नहीं दे पाते जितना 100 जो लते हैं। कैन्डिल पावर का बल्ब देता है। हम सभी संसार के
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