________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रथम खण्ड
251
श्री बाबूलाल जैन 'रत्न' में प्रवेश करने से पहिले ही पुलिस ने पकड़ लिया। क्रांतिकारी, धुन के पक्के श्री बाबू लाल जैन का मेरा झंडा छीनकर झंडे के डंडे से मारते हुए बाहर जन्म ग्राम- नैनपुर, जिला- मण्डला (म0प्र0) में कर दिया। थाने में बंद करके भी मारा, जिससे मेरे
1 28-12-1912 को हरप्रसाद दांऐ पैर के घुटने की हड्डी टूट गयी थी जिससे यह
जी के घर हुआ। जेलर पैर अब भी टेढ़ा है। द्वारा माफीनामा लिखकर देने 1939 में त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन में नैनपुर से पर छोड़ देने के आश्वासन 22 दिन की स्वयंसेवक की ट्रेनिंग लेकर जनता की के बाद भी आपने माफीनामा नि:शुल्क सेवा करने हेतु मैं गया था। मेरी सेवा से नहीं लिखा और अवधि पूरी प्रभावित होकर श्री अब्दुल गफ्फार गांधी ने मंच पर
होने तक जेल की यातना बुलाकर मेरी प्रशंसा की थी। अधिवेशन के अध्यक्ष झली। बाबूलाल जी ने अपना राजनैतिक परिचय निम्न नेताजी सुभाषचंद बोस थे। पक्तियों में गूंथा है
1942 में बापू जी के असहयोग आंदोलन में "सन् 1926 में श्रीमान् मौ) अली, श्री सौकत मैंने भाग लिया। 12-13 अगस्त को तिरंगा झंडा लेकर अली एवं कांग्रेस के अन्य कार्यकर्ता कांग्रेस के प्रचार जुलूस निकाला, तब पुलिस की मार पड़ी। 14 ता0 हेतु जब नैनपुर पधारे थे, तब उन्होंने जुलूस में आगे-आगे के सुबह रेलवे प्लेटफार्म पर पुलिस ने मजिस्ट्रेट द्वारा मुझे राष्ट्रीय गीत गाने को बुलाया था। मैंने गाया भी वारंट बताकर गिरफ्तार कर लिया और ट्रेन से अन्य था। उस समय के विशेष गीत की मुझे दो पंक्तियां दो साथियों श्री कौशल प्रसाद तिवारी और श्री गणेश अब भी याद हैं
नारायण खंडेलवाल के साथ मंडला जेल भेज दिया। 'बोली अम्मा मुहोम्मद अली की, डिप्टी कलेक्टर मंडला द्वारा 6 माह की सख्त सजा जान बेटा खिलाफत में दे दो। दी गयी, मेरे भाई पैरवी के लिये एक वकील लाए साथ तेरे हैं, सौकत अली भी,
थे. मैंने पैरवी कराने से इंकार कर दिया था। जान बेटा खिलाफत में दे दो।।'
जेल से छूटने के एक माह पूर्व श्री एस0सी0 इस तरह हाथ में तिरंगा झंडा लेकर राष्ट्रीय गीत नेहाल जेलर ने आफिस में बुलाकर मुझसे कहा किगाते हए जलस के आगे-आगे चलता था, उसी समय 'आपके पिता की तबियत बहुत खराब है। आपके जेल से मैंने राजनीति में प्रवेश किया।
आने के बाद से ही वे बहुत बीमार हैं। आप एक 1930 में मैंने श्री केशवराव इंगले के नेतत्व में माफीनामा लिखकर दे दो तो आपको छुट्टी दे दी शराब की दुकानों पर धरना दिया था एवं विदेशी वस्त्रों जायेगी' मैंने जवाब दिया कि पिताजी तो क्या यदि की होली जलाई थी। 1930 में सभाषचंद बोस को पूरा परिवार भी समाप्त हो जाये तो भी मैं माफीनामा मंडला जेल से सिवनी जेल में रेलवे से ले जाते समय नहीं दूंगा। उनके दर्शनार्थ प्लेटफार्म के बाहर हजारों लोगों की मेरे जेल से आने के 25 दिन पश्चात् पिताजी भीड़ एकत्रित थी। पुलिस द्वारा प्लेटफार्म पर जाने की की मृत्यु हो गई। मेरी जो किराने की दुकान थी, लंबे मनाही थी। तब मैं पुलिस की निगाह बचाकर हाथ समय तक बंद रहने के कारण सारा सामान खराब में झंडा लेकर नेता जी के डिब्बे तक पहुंच गया। डिब्बे हो गया, दुकान में चोरी भी हो गई, इस कारण दुकान
For Private And Personal Use Only