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स्वतंत्रता संग्राम में जैन
श्री मानकचंद 'मुल्ला' जैन
श्री मानक लाल, श्री बाबूलाल वजनकस, श्री श्री मानकचंद जैन (मुल्ला जी) का जन्म मिती कैलाशचंद जैन, श्री धन्नालाल जैन, श्री लालचंद माघ वदी 14 शुक्रवार संवत् 1958 (सन् 1901) जैन, श्री हेमराज पांडे, श्री हरीशचंद जैन तथा श्री
को खरई, जिला-सागर (म0 चुन्नालाल जैन। दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संत श्री प्र0) में हुआ था। आपके तुकड़ों जी महाराज आपके परम मित्र थे। पिता का नाम श्री रामचंद आजादी के बाद खुरई शहर के कई प्रमुख मुल्ला जैन एवं माता का नाम विकास कार्यों में आपने महत्वपूर्ण सहयोग दिया। गौरी बहू था।
आपने अपने मकान में कांग्रेस कार्यालय को जगह जलियांवाला काण्ड के भी दी थी। आपको प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी
कारण आपके हृदय में के द्वारा एवं सेठ गोविन्ददास जी के द्वारा ताम्रपत्र देश-प्रेम की आग पैदा हुई और आप 'वन्देमातरम्' प्रदान किया गया था। खुरई शहर में पॉलीटेकनिक के उद्घोष में शामिल हो गये। तब से आप लगातार कॉलेज तथा डिग्री कॉलेज की स्थापना में, म्युनिसिपल 1947 तक आजादी की लड़ाई में सक्रिय रहे और कमेटी, कृषि उपज मंडी समिति, तहसील कांग्रेस आजादी का बाद भी जीवन पर्यन्त समाज उत्थान कमेटी तथा सागर जिला स्वतंत्रता संग्राम सैनिक संघ का कार्य एक कटर कांग्रेसी कार्यकर्ता के रूप में के कार्यों में आप हमेशा सक्रिय रहे तथा कभी करते रहे।
किसी पद पर रहने की अभिलाषा नहीं की। आपके खरई शहर से आपको हार्दिक लगाव रहा मस्तिष्क में ही यह विचार सबसे पहिले आया था तथा संपूर्ण सागर जिला आपका कार्यक्षेत्र रहा। आजादी कि खुरई में श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन गुरुकुल की से पहिले भारत के कई प्रमुख शहरों में आप कांग्रेस स्थापना होना चाहिए। इसके लिए कमेटी बनाई गई। के अधिवेशनों में भाग लेने गये।आपने जीवन भर गुरुकुल कमेटी के आप प्रथम अध्यक्ष थे। समाज के खादी पहिनने का व्रत लिया था, जिसका पूर्णतः सहयोग से 1946 में यह गुरुकुल स्थापित हुआ था। निर्वाह किया। महात्मा गांधी के आह्वान पर नमक आपने लगभग सभी धर्मों का अध्ययन किया कानून तथा जंगल कानून तोड़ने, रतौना (सागर) के था। 'शेरो-शायरी' में भी काफी रुचि रखते थे। खुरई कसाई घर (पशुवध गृह) को बंद करवाने में आपने की राजनीति में आपका महत्त्वपूर्ण स्थान था तथा सक्रिय रूप से कार्य किया। सत्याग्रह, शराबबंदी, प्रत्येक राजनीतिक दल के लोग आपसे सलाह लिया विदेशी वस्त्रों की होली जलाना, तथा 1942 के करते थे। एक बार आपने स्वयं के बारे में लिखा था'करो या मरो' आंदोलन में भी आपने भाग लिया 'अलग मैं सबसे रहता हूँ मिसाले तार तम्बूरा।
और दिनांक 20-8-42 से 14-7-43 तक लगभग मिलाने से मैं मिलता हूँ मिलाले जिसका जी चाहे।।' 11 माह सागर, जबलपुर और नागपुर की सेन्ट्रल आपकी पत्नी का देहांत लगभग 1939 में हो जेलों में कठोर यातनायें सहीं।
___ गया था। कोई संतान नहीं थी। घर में अकेले होने के सागर के भाई अब्दुल गनी तथा मुंशी सुन्दरलाल कारण आपने अपने बहनोई श्री केशरीमल ठेकेदार जी जैन और खुरई के निम्न सेनानी आपके साथी एवं बहिन श्रीमती बेटीबाई को सिरोंज से खुरई रहे- भाई दयाचंद वीर, श्री नन्हा जी समनापुर वाले, अपने पास बुला लिया था तथा आजीवन उन्हीं के
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