________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
प्रथम खण्ड
साथ रहते रहे। उनकी एक मात्र छोटी बहिन श्रीमति बेटीबाई ही उनकी उत्तराधिकारी बनीं। वर्तमान में श्रीमती बेटीबाई के पुत्र श्री विजयकुमार व्याख्याता एवं श्री जयकुमार उनके उत्तराधिकारी हैं।
मानकचंद जी का देहान्त दिनांक 31-05-1975 को लगभग 75 वर्ष की आयु में हुआ। जिस समय आपका देहान्त हुआ उस समय आप पूर्ण स्वस्थ थे। कहा जाता है कि मृत्यु का आभास आपको पहले से ही हो गया था। अतः आपने स्वयं ही अपने वस्त्र त्याग दिये थे और जमीन पर सो गये थे। जीवन पर्यन्त आप प्रतिदिन मंदिर जी गये तथा प्रतिदिन भगवान के ‘सहस्रनाम' का पाठ किया करते थे। जीवन के अंतिम दिनों में आपने अपनी डायरी के अंतिम पृष्ठ पर लिखा है'नक्शा उठाकर अब कोई नया शहर देखिये अपनी तो इस शहर में सबसे मुलाकात हो चुकी ।।' आ( ) ( 1 ) श्री विजयकुमार जैन व्याख्याता द्वारा प्रदत परिचय (2) म) प्र) स्व) सै0, भाग 2, पृष्ठ 53 (3) आ) दी0, पृष्ठ-71
श्री मानमल जैन
जोधपुर (राज0) के श्री मानमल जैन का जन्म 1907 में एक सम्पन्न ओसवाल जैन परिवार में हुआ। अपने विद्यार्थी जीवन से ही रा० आ० में सक्रिय रहे श्री जैन ने 1931-32 के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में डिक्टेटर के रूप में भाग लिया, वे ब्यावर में गिरफ्तार किये गये और जेल भेज दिये गये। श्री अभयमल जैन आपके साथी थे।
1933 में श्री जैन ने मित्रों के सहयोग से जोधपुर में हरिजन संघ की स्थापना की। 1934 में उन्होंने जैन समाज में पर्दाप्रथा के विरोध में आन्दोलन किया। 1931 में मानमल जी द्वारा स्थापित 'यूथलीग' जब 1934 में गैरकानूनी घोषित हो गई तो उन्होंने समान उद्देश्य और विधान वाली 'बाल भारत सभा' की
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
281
स्थापना की। 1935 में वे ' जोधपुर प्रजामंडल' की स्थापना होने पर उसके मंत्री चुने गये। 1935 में ही श्री जैन को 'गणगौर काण्ड' में गिरफ्तार कर कठोर शारीरिक यातनायें दी गईं। प्रजामंडल के गैरकानूनी घोषित होने पर 1936 में उन्होंने अपने मित्रों के सहयोग से 'सिविल लिबर्टीज यूनियन' की स्थापना की। 1936 में ही मानमल जी 'राजपूताना देशी राज्य प्रजापरिषद्' के मंत्री बनाये गये। इन सब राजनैतिक प्रवृत्तियों के कारण श्री जैन को एक वर्ष के लिए दौलतपुरा - किले में नजरबन्द कर दिया गया।
जोधपुर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तथा मंत्री एवं वर्षों तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे श्री जैन गहन बीमारी के कारण 1942 के आन्दोलन में भाग नहीं ले सके। उन दिनों वे रोग शय्या पर ही रहे थे।
आ - ( 1 ) रा० स्व० से०, पृष्ठ-692 (2) जैन संस्कृति और राजस्थान, पृष्ठ-344
श्री मानमल जैन
रहे
'मारवाड लोक परिषद्' के कर्मठ कार्यकर्ता श्री मानमल जैन का जन्म 1912 में लाडनूँ ( राजस्थान) के एक सम्पन्न ओसवाल जैन कुल में हुआ। उनके परिवार के लोग कलकत्ता के प्रसिद्ध व्यवसायी हैं, पर मानमल जी ने राजनैतिक प्रवृत्तियों को अपनाया और देश की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया। लोक परिषद् द्वारा जागीरदारी प्रथा को समाप्त करने के आन्दोलन में उन्होंने उत्साह से भाग लिया था। 1942 के आन्दोलन में वे जिम्मेदार हुकूमत आन्दोलन में लाडनूँ से सत्याग्रहियों का जत्था लेकर जोधपुर गये और 12 अगस्त 1942 को गिरफ्तार कर लिये गये तथा लगभग सवा वर्ष जेल में रहने के बाद 11 नवम्बर 1943 को रिहा किये गये । आ) (1) रा० स्व० से०, पृष्ठ 849
For Private And Personal Use Only