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स्वतंत्रता संग्राम में जैन 4 सितम्बर 1981 को इन्दौर में आपका निधन का नाम 'गंगवाल बस स्टैण्ड' रखा गया है। हो गया। तत्काल सभी सरकारी कार्यालय व बाजार
आ0- (1) म0 प्र0 स्व) सै), भाग-4, पृष्ठ-37 बन्द हो गये। भोपाल समाचार पहंचते ही सभी सरकारी (2) जै0 स0 रा) अ0. पृष्ठ-63 (3) वीर निकलंक. अगस्त 1995 कार्यालय बन्द कर दिये गये। 5 सित० को इन्दौर के (4) स्वदेश, इन्दौर 5/9/81 (5) नई दुनिया, इन्दौर ।-10-81,
5-9-81, (6-9-81, 3-9-82 (6) सन्मति वाणी, अक्टूबर 1981 सभी सरकारी कार्यालय व बाजार बंद रहे। उसी दिन ।
(7) शताब्दी सन्देश, इन्दौर, (पाक्षिक) 15 सित0 8। आपकी अन्त्येष्टि त्रिलोकचंद हाईस्कूल में हुई। अन्त्येष्टि (8) नवभारत, भोपाल, 5-9-81 (9) इन्दौर समाचार, 5-9-81 में भाग लेने उपमुख्यमंत्री श्री शिवभानु सिंह सोलंकी (10) लगभग बीस अभिनन्दन पत्र (11) साप्ताहिक देशबन्धु आदि शताधिक मंत्री/ विधायक। नेता/ अधिकारी 15-10-1987 (12) स्व) श्री भैया मिश्रीलाल गंगवाल स्मृति ग्रन्थ उपस्थित थे। लगभग बीस हजार लोगों ने अपने 'प्रिय
श्री मिश्रीलाल जैन भैय्या' को उस दिन अंतिम विदाई दी।
जयपुर (राजस्थान) के श्री मिश्रीलाल जैन का उन्हें श्रद्धाञ्जलि अर्पित करते हुए श्री बालकवि जन्म हरमाडा, जिला-अजमेर (राजस्थान) में 1917 वैरागी ने कहा- 'वे जो कुछ थे आचरण में थे। कथनी में हआ। श्री जैन ने रचनात्मक कार्यों का प्रशिक्षण श्री
और करनी में कोई विभेद इस व्यक्ति के जीवन में हरिभाउ उपाध्याय से प्राप्त किया। इसी कारण तत्कालीन कभी नहीं आया.... उनका कोई दुश्मन नहीं था, रचनात्मक कार्यों में श्री जैन की महती भूमिका रही विरोधी और आलोचक हजार थे।'
थी। बहुत समय तक उन्होंने डिग्गी ठिकाने की जनता श्री कन्हैया लाल खादीवाला ने कहा था- के बीच कार्य किया। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन 'सक्रिय राजनीति में रहते हुए भी उनकी प्रकृति के समय मिश्रीलाल जी सत्याग्रह करते हुये अजमेर साधु के समान थी। .....पं0 नेहरू और श्रीमती इन्दिरा में गिरफ्तार कर लिये गये और उन्हें एक वर्ष की गांधी जब भी उनसे मिलते भजन सुनाये बिना नहीं सजा दी गयी। स्वाधीनता के बाद श्री जैन खादी जाने देते। वे एक मितव्ययी मंत्री थे।'
ग्रामोद्योग से जुड़ गये और सदैव हरिजन सेवा आदि ___ म0प्र0 के पूर्वमंत्री श्री दशरथ जैन ने कहा- रचनात्मक कार्यों में लगे रहे। 'एक निष्ठावान, सरल, सहृदय इंसान हमने खो दिया। आ)- (1) रा) स्व) से0. पृष्ठ-619 (2) जै0 स0 रा0 वे सच्चे शब्दों में 'अजातशत्रु' थे।'
अ0, पृष्ठ-69 समाजसेवी श्री बाबूलाल पाटोदी ने कहा था
श्री मुकुन्दीलाल बघेरवाल ''भैय्या एक सन्त पुरुष थे। मेरे जैसे अनेक कार्यकर्ताओं
__श्री मुकुन्दीलाल, पुत्र-श्री हजारी लाल बघेरवाल के पिता और मार्गदर्शक अब नहीं रहे।'
का जन्म गरोठ, जिला-मन्दसौर (म0प्र0) के चचावदा __नई दुनियां (इन्दौर) ने 5-9-8! के अपने
गांव में 1917 में हुआआपने इण्टरमीडिएट तक शिक्षा सम्पादकीय में लिखा है-'....उनकी सफलता की जड़
प्राप्त की थी। में उनका अजातशत्रु स्वभाव रहा है। यह बात वे सब
श्री बापूलाल चौधरी व श्री चन्दवासकर की प्रेरणा लोग अच्छी तरह जानते हैं, जिन्हें उनके साथ ही नहीं,
से श्री बघेरवाल स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए, खिलाफ भी काम करने का अवसर मिला है।' उनकी
प्रजामण्डल में आप सक्रिय रूप से सदस्य रहे व पूरे स्मृति में गोम्मटगिरि में गंगवाल विद्या निकेतन की स्थापना की गई है। इन्दौर के एक विशाल बस स्टैण्ट क्षेत्र में घूम-फिर कर उन्होंने प्रजामण्डल के लिए कार्य
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