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प्रथम खण्ड
263 गये। मामा नि:सन्तान थे। यहीं आपका लालन-पालन स्मारक न्यास' की स्थापना की गई है। हुआ। 1942 के आन्दोलन में आपने बढ़-चढ़कर हिस्सा आO- (1) म) प्र0 स्व0 सै), भाग-4, पृष्ठ-246 लिया और 11 माह की जेल काटी। आप कांग्रेस के (2) न्यास विधान पुस्तिका कर्मठ कार्यकर्ता थे। 1946 से 1948 तक आप
श्री भीकमचंद सिंघवी ग्वालियर कांग्रेस कमेटी के मंत्री रहे। इस दौरान आपके
गोटेगांव, जिला-नरसिंहपुर (म0प्र0) के प्रमुख नेतृत्व में ग्राम विलौआ जागीर के किसानों का एक बड़ा आन्दोलन हुआ, जिसमें भारी सफलता मिली और
शिक्षाविद् श्री भीकमचंद सिंघवी का जन्म एक मांगें मंजूर कर ली गईं।
संभ्रात एवं सम्पन्न मारवाड़ी
परिवार में 24-7-1915 को 1946 में कांग्रेस का 'अखिल भारतीय देशी राज्य
हुआ। आपके पिता का नाम लोक परिषद्' का अधिवेशन ग्वालियर में आयोजित
श्री मंगलचंद सिंघवी था, जो किया गया, जिसमें सक्रिय रूप से भाग लेकर उसे सफल बनाने का श्रेय आपको है। देश की आजादी
स्वंतत्रता सेनानी थे। आपने के बाद 1948 में समाजवादी विचारधारा से जुड़े लोगों
देशभक्ति का गुण अपने पिता
से विरासत में पाया, साथ में का कांग्रेस से सैद्धांतिक मतभेद हुआ तो आप उससे अछूते नहीं रहे और कांग्रेस छोड़कर समाजवादी दल
आपको व्यापारिक बुद्धि भी उनके संरक्षण से ही में शामिल हो गए।
प्राप्त हुई। अत: आपके मानस पटल पर दोनों ग्वालियर में 1950 में जब विद्यार्थी आंदोलन
विचारधाराओं का अद्भुत संगम दिखाई देता है। एक
तरफ आपकी राजनैतिक विचारधारा से गोटेगांव की प्रारम्भ हुआ तो श्री भीकमचंद भी इससे अलग न रह सके। पुलिस की गोली से मारे गए छात्र हरीसिंह
जनता आप्लावित है तो दूसरी तरफ व्यापारिक
विचारधारा से जन-जन सुपरिचित है। व दर्शनसिंह की मौत के विरोध में आरम्भ हुए
आपका राजनैतिक जीवन अध्ययन की आन्दोलन में आप गिरफ्तार कर लिये गये। 42 के
समाप्ति के पश्चात् ही प्रारम्भ हो गया। 8 अगस्त भारत छोड़ो आन्दोलन से शुरू हुआ जेल जाने का क्रम
1934 को आपके पिता श्री मंगलचंद सिंघवी जेल आजीवन चलता रहा।
में थे। तब आपको गिरफ्तार कर लिया गया और ___ आप ग्वालियर जिले के ग्रामों में जाकर सभा जेल की इस छोटी अवधि में आपको अमर शहीद व सम्मेलन कर वहाँ के कृषक-मजदूरों, हरिजन एवं श्री रुद्रप्रताप सिंह के साथ रहने का सौभाग्य प्राप्त शोषितों की कठिनाइयों को सुनते थे और शासन तक हआ। उनकी देशभक्ति से आपको प्रेरणा मिली। पहंचा कर हल कराने हेतु सतत प्रयत्नशील रहते थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात आपने राजनैतिक यह आपकी जिन्दगी का हिस्सा बन गया था। श्री जैन एवं सामाजिक कार्यों में विशेष रूप से भाग लिया। ने अपने जीवन में भेदभाव और छुआछूत को कभी अनेक शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्थाओं को आपने स्थान नहीं दिया, वे मानव मात्र को समान मानते थे आर्थिक सहायता देकर अपने कर्तव्य का निर्वाह
और कहते थे-'जातिगत भेदभाव तो मानव ने निर्मित किया। आप स्थानीय नगरपालिका के उपाध्यक्ष एवं किये हैं।'
मंत्री रहे। उच्च शिक्षा के लिये आपने गोटेगांव में आपका निधन 23 जनवरी 1960 में हुआ। ठाकुर निरंजन सिंह महाविद्यालय की स्थापना 1968 आपकी स्मृति में ग्वालियर में 'श्री भीकम चंद जैन में की। 1984 में इस महाविद्यालय के शासनाधीन
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