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स्वतंत्रता संग्राम में जैन भी बंद हो गई। इस प्रकार जेल से आने के बाद मुझे आपने स्वयंसेवक के रूप में भाग लिया था। 1941 बहुत कष्ट उठाने पड़े। देश के आजाद होने के बाद में महायुद्ध में अंग्रेजों की मदद न करने का संदेश आज भी में समाज एवं देशसेवा में संलग्न हूँ। पद लेकर आप गांव-गाव घूमे, गिरफ्तार हुए, परन्तु की कभी चाह नहीं रही। जैन समाज की सेवा भी सबूत न मिलने के कारण छोड़ दिये गये। 1942 यथाशक्ति करता रहा हूँ। पराधीनता के दिनों का स्मरण के आंदोलन में 13 अगस्त को आप गिरफ्तार हुए और कर प्रभु से यही प्रार्थना करता हूँ कि किसी देश को पहले सागर फिर नागपुर जेल भेज दिये गये, पुनः कभी पराधीन न बनायें।"
मुकदमा के लिए सागर जेल लाये गये। 4 जून 1943
को आप रिहा हुए। आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-1, पृष्ठ-210
दमोह जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री रहे (2) जै0 स0 रा0 अ0 (3) स्व0 प0
पलन्दी जी जैन समाज के प्रत्येक कार्य में अग्रणी रहते श्री बाबूलाल झाझरिया
थे। अपनी मृत्यु के समय 26-3-1985 तक आप इन्दौर (म0प्र0) के श्री बाबूलाल झांझरिया,
'कमला नेहरू कालेज' के सचिव एवं स्वतंत्रता संग्राम
सैनिक संघ' दमोह के उपाध्यक्ष रहे थे। पुत्र- श्री पन्नालाल का जन्म 10 अक्टूबर 1924 को
__ आO-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-2, पृष्ठ-86 हुआ। आपने बी0एस0सी0, एम0ए0, एल0एल0बी0
(2) श्री संतोष सिंघई द्वारा प्रेषित परिचय की परीक्षायें उत्तीर्ण की। 1942 के आन्दोलन में भाग लेने के कारण 3 सप्ताह का कारावास आपने 'पद्मश्री' बाबूलाल पाटोदी भोगा। विद्यार्थी अवस्था से हो आन्दोलन से सम्बन्धित व्यक्ति नहीं संस्था' के रूप में विख्यात जैन विभिन्न गतिविधियों में आप संलग्न रहे। आपके समाज के प्रतिभावान, निर्भीक,कर्मठ, लोकप्रिय नायक, अन्य दो भाई भी जेलयात्री रहे हैं।
अमृत पुरुष, 'पद्मश्री' से आO-(1) म) प्र0 स्व0 सै0, भाग-4, पृष्ठ-32
सम्मानित श्री बाबूलाल पाटोदी श्री बाबूलाल पलन्दी
का जन्म ग्राम-सू मठा, दमोह (म0 प्र0) के श्री बाबूलाल पलन्दी
तहसील-देवालपुर, जिलाका जन्म 4-2-1920 को श्री नाथूराम पलन्दी के घर
इन्दौर (म0प्र0) में 15 जून
1920 को पिता श्री छोगा हुआ। 1932 में जंगल
लाल पाटोदी के घर हुआ। सत्याग्रह में भाग लेने के
1936 में अजमेर बोर्ड से मैट्रिकुलेशन परीक्षा पास कारण न्यायाधीश जगन्नाथ प्रसाद ने पलन्दी जी को
कर आप कपड़ा मार्केट में फर्म दुलीचंद वीरचंद के
यहाँ सेवायोजित हुए। 1940 में नौकरी छोड़कर कपड़ा अदालत उठने तक की सजा दी थी, फलतः शासकीय
मार्केट इन्दौर में स्वतंत्र व्यवसाय प्रारम्भ किया। विद्यालय से भी आपको धार्मिक, सामाजिक एवं राजनैतिक क्षेत्र के निकाल दिया गया।
सम्यक् अनुशास्ता पाटोदी जी की राजनैतिक क्षेत्र में पलन्दी जी श्री रघवर प्रसाद मोदी से अविस्मरणीय सेवायें रहीं हैं। आप जीवन के प्रारम्भिक अत्यधिक प्रभावित रहे। 1939 में त्रिपुरी कांग्रेस में काल से ही कांग्रेस के निष्ठावान एवं सक्रिय सदस्य
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