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प्रथम खण्ड
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का जन्म तत्कालीन आगरा जन्म 1 अप्रैल 1921 को हुआ। 1938 से आप जिले के गढ़ी हंसराम, नारखी आंदोलन में सक्रिय हो गये और रचनात्मक कार्यों में में हुआ। 1942 के आन्दोलन भाग लिया। समय-समय पर आप लोगों की आर्थिक में आपने जेल यात्रा की। मदद भी करते रहे। 1942 के आन्दोलन में आपने आपने बताया कि -'मेरा 6 माह का कारावास भोगा। आप होशंगाबाद और राजनैतिक जीवन 1937 से अकोला जेलों में रहे थे। आपके पिता श्री कन्छेदीलाल
प्रारम्भ हुआ जब मुझे मंडल और चाचा श्री बाबूलाल भो जेल यात्री रहे हैं। कांग्रेस कमेटी, नारखी का कोषाध्यक्ष बनाया गया। आO-(1)म0 प्र0 स्व) सै०, भाग-5, पृष्ठ-33 सन् 1942 में मंत्री बना और 'करो या मरो' आन्दोलन (2) स्व) स0 होo, पृष्ठ-115 में एक माह भूमिगत रहकर सितम्बर 1942 में
श्री पन्नालाल पाईया गिरफ्तार हुआ तथा 2 माह जेल की यात्रा की।'
__श्री पन्नालाल पाईया का जन्म 1912 में वैद्य जी के सम्बन्ध में जै0 स0 रा) अ) लिखता
बुढ़ार, जिला-शहडोल (म0प्र0) में हुआ था।आपके है 'अपनी लोकप्रियता के कारण 1946 में भी
7 पिता का नाम श्री गोविन्द सर्वसम्मति से मंडल के प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए। सन्
दास पाईया था। ज्येष्ठ पुत्र 42 में निर्धन सेवा सदन स्थापित करके गांवों में फैली
होने के कारण पाईया जी हुई गल्ले की कमी को अपने खर्चे से मंगाकर पूरा
प्राथमिक शिक्षा ग्रहण कर किया। बाजारी के सिद्धान्ततः विरोधी होने के कारण
पिता के व्यवसाय में सहयोग कपड़े के सुचारू रूप से चलते हुए व्यवसाय को
देने लगे। आप धार्मिक, समाप्त कर दिया।' आपने औषधालय, खादी केन्द्र,
सामाजिक एवं राष्ट्रीय कार्यो हिन्दी साहित्य विद्यालय आदि के माध्यम से राष्ट्र की
में भरपूर रुचि लेते थे। आप 'सादा जीवन उच्च सेवा की है। आज तक शासन से किसी भी प्रकार
विचार' वाले व्यक्ति थे। आप हर समय लोगों के की सहायता या लाइसेंस नहीं लिया। आजादी के बाद
दु:ख-तकलीफ में काम आने एवं सहायता करने के आप अनेक पदों पर रहे। आपने साप्ताहिक पत्र 'ग्राम्य
लिए तैयार रहते थे। जीवन' का सम्पादन किया। 'जैन मित्र,' 'जैन सन्देश', 'वीर', 'वीरभारत', 'युग परिवर्तन' आदि में आपकी
पन्नालाल जी ने 1932 में विदेशी वस्त्र विक्रेता रचनायें छपती रहीं हैं। सब कुछ करने के बाद भी
की दुकान पर धरना दिया, जिसके कारण उन्हें प्रचार से सदा पीछे रहने वाले वैद्य जी फिरोजाबाद
गिरफ्तार किया गया और बुढ़ार जेल में 15 दिन के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता हैं।
तक बंद रखा गया, साथ में काफी यातनायें भी दी
गईं। उन्होंने देशहित, समाजहित और परिवारहित को आ)- (1) जै0 स) रा0 अ0 (2) अमृत, पृष्ठ-25-26, (3) उ. प्र) जै) ध0, पृष्ठ 92 (4) जै0 से) ना) अ), पृष्ठ-5 देखते हुए विधुर जीवन जीने की प्रतिज्ञा लेकर
अंतिम समय तक अपने को समर्पित रखा। 80 वर्ष श्री पन्नालाल डेरिया
की अवस्था में अपने कर्मठ जीवन की छाप छोड़कर, बाबई, जिला-होशंगाबाद (म0 प्र0) के श्री मोह-माया के बंधनों से मुक्त होकर 6/7/1992 को पन्नालाल डेरिया, पुत्र-श्री कन्छेदीलाल डेरिया का आप अंतिम यात्रा के लिए प्रयाण कर गये। आपने
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