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स्वतंत्रता संग्राम में जैन लुहाडिया जी पर पड़ना स्वाभाविक ही था। आरम्भिक करने गये। पं0 हरिभाऊ जी से सम्पर्क होने पर आप शिक्षा गांव के पास सांभर कस्बे में समाप्त कर आप 'सस्ता साहित्य मण्डल' अजमेर में 'त्यागभूमि' के जयपुर आ गये। इस प्रकार विद्यार्थी जीवन में ही सम्पादकीय विभाग में सह-सम्पादक बन गये। आप राजनीति में सक्रिय हो गये।
अजमेर में ही प्रथम बार 1931 में आपने अपने जयपुर प्रवास के दौरान हमने श्रद्धेय सत्याग्रह में भाग लिया। इस विषय में आपका कहना लुहाडिया जी से उनके निवास पर श्री पी0सी0 जैन है कि - 'जहाँ तक याद पड़ता है सातवें नम्बर पर के साथ 7-11-96 को मुलाकात की। अपने विद्यार्थी अजमेर मेरवाड़ा कौंसिल कांग्रेस कमेटी के डिक्टटर जीवन में कालेज से निष्कासन की प्रसिद्ध घटना के के रूप में मैंने सत्याग्रह में भाग लिया था। ......... सन्दर्भ में पूछे जाने पर लुहाड़िया जी ने बताया कि नया बाजार, अजमेर में हमने विदेशी कपड़ों की "विद्यार्थी जीवन से ही मुझे राष्ट्रीय आंदोलनों की होली जलाई, गिरफ्तार हुआ और मुकदमा चला, इस गतिविधियों की जानकारी रखने में रुचि थी, हालांकि समय मेरी आयु 22-23 वर्ष की रही होगी....। रियासतों में अंग्रेजों का पूरा दबदबा था, फिर भी मजिस्ट्रेट ने हमसे पूछा कि - 'तुमने कसूर किया हमारे विद्यार्थीकाल में कालेजों में कुछ प्रोफेसर ऐसे है?' मैंने कहा कि 'कसूर तो आप कर रहे हैं।' थे, जो विद्यार्थियों में राष्ट्रीय भावनाएं भरा करते थे, उन्होंने कहा हम कैसे कर रहे हैं ? तो मैंने कहाइनमें प्रोफेसर वामनकर का नाम मुझे आज भी याद 'हम सत्याग्रह में भाग ले रहे हैं, देश को आजाद है। जब साइमन कमीशन हिन्दुस्तान आया और लाला कराने के लिए लड़ रहे हैं, जब आप हमको सजा लाजपतराय का देहान्त हो गया तब हमने एक शोकसभा देंगे, तो ये कसूर तो आप कर रहे हैं।' .........इस का आयोजन रामनिवास बाग में किया. वहाँ विद्यार्थी प्रकार 24-2-1932 से 18-6- 1932 तक की सजा इकट्ठे हुए और तय हुआ कि राम निवास बाग से आपने सेन्ट्रल जेल अजमेर में काटी। चौपड़ तक एक जूलूस निकाला जाय।
1933 34 में आपने लखनऊ विश्वविद्यालय इण्टरमीडिएट के बाद मैंने खादी पहनना प्रारम्भ से एम0ए), एल0एल0बी0 की परीक्षायें एक साथ कर दिया था। 1931 में मैं महाराजा कालेज, जयपुर उत्तीर्ण की और जयपुर में वकालत करने लगे. आप में बी0ए) फाइनल का छात्र था। प्रिन्सिपल अंग्रेज देशी राज्य लोकपरिषद् और जयपुर राज्य प्रजामण्डल भक्त थे, उन्होंने हमें बुलाकर कहा कि- 'खादी की से भी सम्बद्ध रहे हैं। 1949) में आप एआई0सी0सी) टोपी पहिन कर मन आना।' हमने कहा 'ऐसा नहीं' के सदस्य निर्वाचित हुए। विधान निर्मातृ परिषद् की हो सकता, टोपी पहिन कर ही आवेंगे।' उन्हीं दिनों सदस्यता के लिए राजस्थान सरकार का प्रस्ताव भी हमने एक मेमारन्डम 'हिज हाईनेस' जयपुर को दिया, आपको प्राप्त हुआ था। आप अनेक बार जिला कांग्रेस जिसमें जबावदार हुकूमत कायम करने की बात थी कमेटी के अध्यक्षा मंत्री आदि पदों पर रहे हैं। 1955
और भी अनेक मार्ग थीं। गांधी टोपी लगाने और इस में आप जयपुर क्षेत्र से उपचुनाव में कांग्रेस की ओर प्रकार ज्ञापन देने के अपराध में मुझे और मेरे बड़े भाई से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। पूनमचंद जी को कालेज से पृथक् कर दिया गया।" सुप्रीम कोर्ट में वकील रहे लुहाडिया जी
लुहाडिया जी संठ जमनालाल बजाज की प्रेरणा जयपुर में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना हेतु निरन्तर से हिन्दुस्तान टाइम्स में पत्रकारिता का अध्ययन संघर्षरत रहे थे। जयपुर बार एसोसिएशन एवं
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