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स्वतंत्रता संग्राम में जैन प्रदर्शन करता हुआ एक जुलूस महाराणा के महल की सरकार ने कोटडा भोपट में प्रजामंडल के किसी भी चहारदिवारी में पहुँच गया। पुलिस ने वहाँ भयंकर कार्यकर्ता का प्रवेश वर्जित कर दिया। मेहता जी ने लाठीचार्ज किया और जुलूस महल की चहारदिवारी अध्यापकों के रूप में अनेक कार्यकर्ताओं को वहाँ बैठा में ही घेर लिया गया। जो भी बाहर निकलता उसे बुरी दिया और अन्य क्षेत्रों में भी पाठशालायें खोली। 1943 तरह से पीटा जाता था। मेहता जी पर पुलिस की निगाह में मेहता जी ने उदयपुर में बनवासी छात्रालय की पहले से ही थी, अत: उनकी जमकर पिटाई हुई व स्थापना की, जिसका शिलान्यास श्री ठक्करबापा ने किया हाथ-पांव तोड़ दिये गये।
था। मेहता जी उम्रभर आदिवासियों में नव जागरण लाने इस प्रदर्शन के परिणामस्वरूप शहर में सात के लिए कार्य करते रहे हैं। 'रैन-बसेरा' के संस्थापक दिन तक पूर्ण हड़ताल रही। अन्त में सरकार को झुकना आप ही हैं। पड़ा और जनता की मांगें स्वीकार कर ली गईं।
आजादी के बाद आप प्रथम लोकसभा के अप्रैल 1938 में मेहता जी के घर पर सदस्य चुने गये। राजस्थान मंत्रिमण्डल में अनेक बार प्रजामण्डल की स्थापना हुई। पांच-सात दिन बाद ही कैबिनेट मंत्री रहे। आप राजस्थान भारत सेवक समाज, सरकार ने इसे गैरकानूनी घोषित कर दिया। फलतः सरस्वती पुस्तकालय, नगर विकास न्यास के अध्यक्ष माणिक्य लाल वर्मा को उदयपर रियासत से निर्वासित तथा संसदीय लेखा समिति, राजस्थान विद्यत मण्डल. कर दिया गया। अक्टूबर 1938 में जब प्रजामण्डल भारत साधु समाज, आदि के संयोजक/सदस्य रहे हैं।
आंदोलन उग्र हुआ तो नवम्बर में बलवन्तसिंह जी को प्राकृत और जैन विद्या के अध्ययन-अध्यापन की गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें कुछ दिन उदयपुर की व्यवस्था आपने अनेक स्थानों पर कराई। आप प्रताप गिराई की जेल में रखकर फिर सराडा जेल भेज दिया स्मारक मोतीनगरी, वनवासी सेवा संघ, शास्त्री कालेज गया, जहाँ वे एक वर्ष कैद रहे।
जयपुर, गांधी स्मृति मंदिर आदि के संस्थापक हैं। 1942 के भारत छोडो आन्दोलन में मेहता भामाशाह की मूर्ति तथा भामाशाह मार्केट की स्थापना जी सक्रिय रहे। प्रजामण्डल ने महाराणा को जब 21 भी आपके प्रयासों से हुई है। अगस्त 1942 को अल्टीमेटम दिया तो उसी रात मेहता
मेहता जी का उक्त परिचय प्राप्तकर हम जी गिरफ्तार कर लिये गये। वे उदयपर सेन्टल जेल उनके प्रति नतमस्तक हो गये। आते-आते हमने पंछा तथा इसवाल जेल में डेढ़ वर्ष तक नजरबन्द रहे। कि-'संविधान सभा में आपका क्या योगदान रहा है।'
प्रसिद्ध भील नेता श्री मोतीलाल तेजावत मेहता जी बोले 'मैंने अनेक कानूनों पर चर्चा की थी (जैन) से आप बहत प्रभावित रहे हैं। भोपट में तेजावत पर जब आबू पर्वत गुजरात को दिया जाने लगा तो जी का प्रवेश निषिद्ध था और भील आन्दोलन के साथ मैंने उसका सख्त विरोध किया था। बताइये माउण्ट ए)जी0 जी0 ओगस्वी का जो समझौता हुआ था, उसका आबू को अगर राजस्थान से निकाल दिया जाय तो पालन नहीं हो रहा था। मेहता जी की अध्यक्षता में वया राजस्थान राजस्थान कहा जायेगा?' भोपट में आदिवासियों का एक बृहद् सम्मेलन हुआ मेहता जी का विचार है कि-'बिना जागृति और बैठ-बेगार की शर्ते न मानने पर सम्मेलन ने और संघर्ष के अधिकारों का मिलना मुश्किल है।' मेहता आन्दोलन करने का निर्णय लिया। परिणाम स्वरूप जी बढ़ते भ्रष्टाचार को समाज और देश के लिए भोपट के जागीरदार ने शर्ते स्वीकार कर लीं। परन्तु खतरनाक मानते हैं।
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