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किया। प्रसिद्ध क्रान्तिकारी श्री अर्जुनलाल सेठी के भाषण से प्रभावित होकर आपने विदेशी टोपियों की होली जलाई, जिसमें अपनी टोपी भी होम कर दी और खादी पहनने का नियम लिया, जिसे अन्त समय तक निभाया।
1930 में आपने चर्खा चलाना सीखा और घर-घर जाकर खादी का प्रचार-प्रसार किया। नमक सत्याग्रह में भी आपने भाग लिया। खादी के प्रचार-प्रसार में आप सदैव समर्पित रहे। 1936 में इन्दौर नगर कांग्रेस कमेटी के मंत्री और बाद में एक साल तक उसके अध्यक्ष रहे। आप प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्य और उसके वित्तमंत्री भी रहे। आपने त्रिपुरी, जयपुर, मेरठ आदि के कांग्रेस अधिवेशनों में भाग लिया और कांग्रेस का प्रचार किया । इन्दौर राज्य में प्रचार की सख्त पाबंदी होने पर भी आपने गांधी जी की 'सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा,' पं० सुन्दरलाल जी की 'भारत में अंग्रेजी राज ' आदि पुस्तकों को घर-घर जाकर बेचने का काम किया। समय-समय पर अखण्ड चर्खा चलाने का आन्दोलन भी आपने किया ।
दूसरे विश्व युद्ध में जब गांधी जी ने - 'एक भी पैसा और एक भी आदमी देना पाप है' का नारा बुलन्द किया तब श्री कन्हैयालाल खादीवाला, श्री मिश्रीलाल गंगवाल ने निमाड़ आदि शहरों में पैदल ही व्यक्तिगत सत्याग्रह हेतु भ्रमण किया, तब दोनों का सारा प्रबन्ध आपने ही किया था। अजमेर में हरिजनों की हड़ताल होने पर आपने स्वयं अपने हाथों सफाई की। इन्दौर में भी ऐसी सफाई आपने की थी।
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में आपने भाग लिया। इन्दौर में होने वाली आम सभा को पुलिस नाकाम करना चाहती थी, उसने जनता पर घोड़े दौड़ाये, पानी की बौछार की, लाठियां बरसाईं, आपको भी चोट आई । 16 अगस्त को रात्रि में एक बजे पुलिस ने आपको घर से गिरफ्तार कर लिया।
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स्वतंत्रता संग्राम में जैन
आप इन्दौर, मंडलेश्वर और मानपुर की जेलों में रहे।
मंडलेश्वर जेल में मागें न मानी जाने पर आपने अपने साथियों सहित सत्याग्रह किया। सत्याग्रहियों को मारा पीटा गया। यह अक्टूबर का महीना था। 51 सत्याग्रही जेल तोड़कर बाहर निकल गये और शहर में गांधी जयन्ती 2 अक्टूबर को मनाई। आप भी उनमें थे। दूसरे दिन कोर्ट में जेल लगी, सत्याग्रहियों ने उसमें भाग लिया, फलतः सबको दो-दो साल की कठोर कारवास की सजा दी गई।
श्री जैन का निधन 7-1-1986 को हो गया। आपके पुत्र श्री एन0पी0 जैन (नरेन्द्र जैन) विदेश सेवा में रहे। वे बेल्जियम में भारत के राजदूत भी रहे।
(आ) (1) म) प्र0 स्व0 सै0 भाग - 4, पृष्ठ 88 (2) पौत्र श्री रूप किशोर जैन द्वारा प्रेषित परिचय (3) जै स) रा० अ०, पृष्ठ-74
श्री पन्नालाल जैन
बरेली, जिला - रायसेन (म0प्र0) के श्री पन्नालाल जैन, पुत्र- श्री नन्हेलाल जैन का जन्म 1901 में हुआ। 1948 के भोपाल राज्य विलीनीकरण आन्दोलन में आपने भाग लिया तथा कारावास की सजा भोगी ।
आ) - (1) म) प्र) स्व0 सै0, भाग-5, पृष्ठ-74
श्री पन्नालाल जैन ( सेठ)
ग्राम-चन्देरा, जिला टीकमगढ़ (म0प्र0) के श्री पन्नालाल जैन, पुत्र - श्री भगवानदास का जन्म 1904 में हुआ। 1947 के चंदेरा काण्ड में आपने भाग लिया। म०प्र० शासन ने सम्मान पत्र प्रदान कर आपको सम्मानित किया है।
आ) - ( 1 ) म) प्र() स्व0 सै), भाग 2, पृष्ठ-129 (2) प) जै) इ0, पृष्ठ-533 ( 3 ) वि) स्व() स० इ), पृष्ठ-111
वैद्य पन्नालाल जैन 'सरल'
सदैव मंच से नीचे और प्रचार से पीछे रहने वाले, फिरोजाबाद (उ0प्र0) के वैद्य पन्नालाल जैन
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