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स्वतंत्रता संग्राम में जैन आपने स्वयं देखी, नेताओं को भेष बदलकर बम्बई।
विदिशा के समीप किसी ग्राम छोड़ते देखा और टेलीफोन के तार काटते लोगों को
के निवासी थे, वे 'दमोडिया' आपने देखा था। .
उपनाम से प्रसिद्ध थे। 1857 बम्बई से आवश्यक जानकारी और सामग्री लेकर
की गदर के समय वे आप बीना की तरफ से दमोह आये और दूसरे दिन
अपनी सम्पूर्ण सम्पत्ति बागी जबलपुर जाने पर छोटे फुहारा के पास दिनांक 6-9-42
फौजियों को सौंपकर को खुफिया पुलिस द्वारा पकड़कर जेल भेज दिये गये।
गाडरवारा आ बसे थे। आवश्यक सामग्री पुलिस की नजर बचाकर आपने आपकं राजनैतिक जीवन का प्रारम्भ 1928 में ससुराल भेज दी, सिर्फ बुलेटिन पकड़ा गया। आपके विद्यार्थी जीवन से हुआ, जब आपने गाडरवारा 15-2-43 को आप जेल से मुक्त हुए।
से हावडा बम्बई मेल से निकल रहे पं0 जवाहरलाल मक्त होने के पश्चात आजाद हिन्द फौज के नेहरू का स्टेशन पर माल्यार्पण द्वारा स्वागत किया! कमाण्डर के आदेश से आपने फौजी परेड सीखी और आपने अपनी अप्रकाशित 'आत्मकथा' में इसका विस्तार शान्ति सेना का गठन कर आन्दोलन का संचालन
से वर्णन किया है। 1929 के आंदोलन में आपने
गाडरवारा की राष्ट्रीय कांग्रेस के आमन्त्रण पर एक किया। आ) (1) म0 प्र) स्व) सै), भाग 2, पृष्ठ-85
राष्ट्रीय गीत गाया, आन्दोलनकारियों की इस सभा पर (?) श्री संतोष सिंघई दमोह द्वारा प्रेषित परिचय।
पुलिस ने धावा बोल दिया, श्री जैन भी पुलिस के
शिकंजे में फंस गये और अत्याचारों को हंसते-हंसते श्री प्रेमचंद जैन
झेला। 1932 में विदेशी वस्त्रों की होली आपने जलाई, श्री प्रेमचंद जैन, पुत्र-श्री उदयचंद का जन्म परिणामस्वरूप प्रथम बार गिरफ्तार हए और बेतों की 1919 में जबलपुर (म0प्र0) में हुआ। 1942 के भारत सजा पाई। पिटते-पिटते जब श्री जैन बेहोश हो गये छोडा आन्दोलन दोलन में 20 दिन का कारावास आपने भोगा।
तो पुलिस उन्हें घर के सामने डालकर चली गई तन्य आ)- (1) म0 प्र0 स्व) सै), भाग-1, पृष्ठ-73 आपकी आजी माँ ने सौगन्ध दिलाई... 'प्रण करो कि (2) स्व) स0 जा), पृष्ठ-136
जब तक जीवित रहूंगा अंग्रेजों के खिलाफ अपना श्री प्रेमचंद जैन
आन्दोलन जारी रखूगा।' आजी मां की इस सौगन्ध को जबलपुर (म0प्र0) के श्री प्रेमचंद जैन, पुत्र-श्री श्री जैन ने अन्त तक निभाया: छविलाल ने 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग 1939 में हुए चुनावों में आपने जोर शोर से भाग लिया तथा कारावास की कठोर सजा भोगी। लिया। पुलिस हर तरह से आपको व आपके परिवार
आ0- (1) म) प्र) रवसै), भाग-1, पृष्ठ-73 वालों को परेशान करने लगी। प्रतिकूल परिस्थितियां (2) स्वा स॥ ज), पृष्ठ 138
देख आप बम्बई भाग गये और भूमिगत रहकर श्री प्रेमचंद जैन
आन्दोलन जारी रखा। 1940-1941 के व्यक्तिगत बहमखी प्रतिभा के धनी, दृढ निश्चयी, परिश्रमी सत्याग्रह में आपने भाग लिया और पदयात्रा करते हुए एवं लगनशील श्री प्रेमचंद जैन, पत्र- श्री छोटे लाल देवरी तक गये, जहाँ आपको गिरपतार कर सागर जेल जैन का जन्म 15 दिसम्बर 1916 को गाडरवारा भेजा गया, बाद में नागपुर जेल में स्थानान्तरित कर जिला-नरसिंहपुर (म0प्र0) में हुआ। आपके पूर्वज दिया गया। नागपुर जेल से मुक्त होने के बाद आप
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