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प्रथम खण्ड
231
'भारत में अंग्रेजी राज' पुस्तक का प्रचार तथा
कार्यक्रमों का सुझाव देने वाले 'जो शासन इतने जुल्म करे उससे क्या नाता है'
श्री फूलचंद जैन 'मधुर' सागर शीर्षक वाली पुस्तिका का प्रचार करने पर आपका ON (म) प्र) ) का जन्म (6 एक वर्ष का कारावास मिला, किन्तु गांधी इरविन
अक्टूबर 1922 का चौधरी समझौते के कारण शीघ्र मुक्त हो गये। राष्ट्रीय कार्यों
श्री रामचरण लाल जैन के के सिलसिले में आप घूमते हुए बम्बई पहुंचे, जहाँ
यहाँ हुआ। श्री रामचरण लान 19.12 की अगस्त क्रांति में कार्य करते हुए दिनांक
साधारण आर्थिक स्थिति के | () 01) को गिरफ्तार हुए, आपको 5 माह के होते हए भी प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ता ध. आप कारावास का दण्ड मिला, जो आपने थाना जिला श्री दि) जैन महिला श्रम सागर के संस्थापक मंत्री थे कारागृह में भागा। जेल से मुक्त होने पर आप राष्ट्रीय तथा स्पष्टवक्ता के रूप में प्रख्यात थे। गीतों का प्रचार करते रहे। बाद में आप बम्बई
आजादी के आन्दोलन में आप कंस कद प्रवासी हो गये और वहाँ कुटीर उद्योगों का प्रचार-प्रसार
पड़े?' मेरे यह पूछने पर मधुर जी उन दिनों की संजायी करने लगे।
स्मृतियों को ताजा करते हुए बोले- 'उन दिनों के ___आ) (1) म0 प्र) स्व) सै), भाग 1, पृष्ट ?
छोटे-छोटे बालकों का खल, झंडा लेकर जुलूस (2) स्वा) सा) पा), पृष्ठ- 108
निकालना, नारे लगाना, सभाओं जैसे दृश्य बनाना आदि श्री फूलचंद जैन
बन गया था। अत: बचपन से ही राष्ट्रीय भावना के पिपरोध (कटनी), जिला-जबलपुर (म0प्र0) संस्कार मुझ में पड़े। प्राइमरी उत्तीर्ण कर मैं मिडिल के श्री फूलचंद जैन, पुत्र - श्री दमड़ीलाल ने 1930 के में जब भर्ती हुआ तब वहाँ के कला के शिक्षक स्वामी जंगल सत्याग्रह में 3 माह का कारावास तथा कृष्णानन्द जी अवसर मिलते ही बालकों में राष्ट्रीय 20 रुपये का अर्थदण्ड भोगा।
चेतना जगाने हेतु भारत के पुरातन गौरव की बलिदानी आ) (1) गा) प्र) स्व) सै0, भाग 1, पृष्ठ 75 साशा तथा कातिकारियों की साशासमायाको (2) 70 सा) रा) अ)
उनसे मैं भी प्रभावित हुआ। स्वामी कृष्णानन्द ने स्वयं श्री फूलचंद जैन
भी रा()आ) में खुलकर भाग लिया था। वारासिवनी, जिला बालाघाट (म0प्र) ) के श्री जब मैं सातवीं कक्षा का विद्यार्थी था, तब मैंने फूलचंद जैन, पुत्र-श्री पन्नालाल 1942 के आन्दोलन एक राष्ट्रीय गीत लिखा था, जो शाला की हस्तलिखित में 22 अगस्त को गिरफ्तार कर लिए गये थे। आप पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। इस गीत पर मुझ खत्र 15 सितम्बर 42 तक नजरबन्दी में रहे।
सराहना मिली, यत: शाला के हेडमास्टर श्री भाव तथा आ) (।) II) 'प) रवा) (). भाग | पृष्ठ 185 उक्त पत्रिका के सम्पादक श्री ज्वालाप्रसाद ज्योतिषी
श्री फूलचंद जैन 'मधुर' दोनों ही राष्ट्रीय विचारों के व्यक्ति थे। दुर्भाग्य कि अगलं 'मधुर' उपनाम मे हिन्दी साहित्य की 'गीति' वर्ष ही श्री भाव संवानिवृत हो गये। नये हेडमास्टर विधा का समृद्ध करने वाले, अपनी राष्टीय कविताओं न मुझ अपनी कक्षा में उत्तीर्ण होने पर भी पानी
.. कक्षा में उक्त कविता के कारण प्रवेश नहीं दिया और
चार करने वाले तथा कक्षा में उक्त कविता 'राष्ट्रीय सेवा योजना' व 'लाक अदालत' जैसे मरी पढ़ाई पर यहीं पूर्ण विराम लग गया।
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