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प्रथम खण्ड
अभिशाप' में मधुर जी ने कैम्प अदालतों का सुझाव दिया था।
1956 में उ0प्र0 शासन, सूचना विभाग द्वारा आयोजित द्वितीय 'अ0भा0 प्रगतिगीत प्रतियोगिता' में आपके दो गीतों 'आराम हराम है' और 'नींव का पत्थर' ने प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया था। लगभग 20 वर्ष पूर्व पुलिस ट्रेनिंग कालेज, सागर में पुलिस के कर्तव्यों की ओर ध्यान दिलाने वाला जो गीत आपने गाया था आज वह गीत अकादमी के उत्तीर्ण स्नातकों द्वारा वार्षिक परेड में गाया जाता है।
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'नई दिशा नये कदम' तथा 'अमृत बरस गया' ये दो राष्ट्रीय कविता संग्रह आपके प्रकाशित हैं। राजुल आधारित खण्डकाव्य अपरिणीता धारावाहिक रूप में छप रहा है। अक्टू0 2000 में आपका निधन हो गया।
पर
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आ) (1) आ) दी), पृष्ठ-19 (2) म0प्र0 स्व0 सै0, भाग 2, पृष्ठ 42 (3) अनेक कवितायें, प्रशंसापत्र आदि ( 4 ) स्व) प० (5) सा
श्री फूलचंद पोरवाल
नाथद्वारा ( राजस्थान ) कांग्रेस के अध्यक्ष रहे श्री फूलचंद पोरवाल, पुत्र श्री नाथूलाल का जन्म 1909 में हुआ। आपने 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लिया और उदयपुर सेन्ट्रल जेल में छह माह नजरबंद रहे।
आ) (1) रा० स्व०) से), पृष्ठ- 497
श्री फूलचंद बाफना
राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे श्री फूलचंद बाफना का जन्म 1915 में पाली (राज0) जिले के सादड़ी कस्बे में एक ओसवाल जैन परिवार में हुआ । उनकी शिक्षा सादड़ी और जोधपुर में हुई। जोधपुर में 'मारवाड़ लोक परिषद्' की स्थापना होने पर वे उससे जुड़े गये और सादड़ी आदि अनेक क्षेत्रों में परिषद् की स्थापना की। 1940 में परिषद् के पहले
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सत्याग्रह में बाफना जी ने सक्रियता से भाग लिया। 1942 में जब परिषद् ने 'जिम्मेवार हुकूमत आन्दोलन' चलाया तब आपको सक्रिय गतिविधियों के कारण, गिरफ्तार कर लिया गया और दो वर्ष की सजा दी गई। 1944 में जेल से छूटने के बाद आप और अधिक सक्रिय हो गये तथा परिषद् के प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए । विशाल राजस्थान के निर्माण के समय भी आप परिषद् के प्रधानमंत्री थे, अत: पहले मन्त्रिमंडल में आपने 2 वर्ष तक स्वायत्त शासन मंत्री का कार्य कुशलता पूर्वक सम्हाला ।
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1951 के बाद आप भूदान और सर्वोदय की ओर झुके। श्री सिद्धराज ढढ्ढा के नेतृत्व में भी आपने कार्य किया । 1967 में आप स्वतंत्र पार्टी के सहयोग से राजस्थान विधानसभा के लिए चुने गये।
आ) (1) रा) स्व() से), पृष्ठ-846
डॉo फूलचंद भदौरा
श्री फूलचंद भदौरा, पुत्र - श्री धर्मदास भदौरा का जन्म टीकमगढ़ (म0प्र0) में 1922 में हुआ। मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त कर आप राष्ट्रीय आन्दोलन से जुड़ गये। | अपना परिचय देते हुए आपने लिखा है
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* 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह से प्रभावित होकर राजनीति में आया और 'ओरछा सेवा संघ' (स्थानीय
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कांग्रेस) का सदस्य बना।
कुछ समय बाद नगर व राज्य ओरछा सेवा संघ का मंत्री बनाया गया। शोषित पीड़ित तबकों के प्रति विशेष रुझान के कारण हरिजन सेवक संघ का राज्यमंत्री बनाया गया । नगरपालिका परिषद् के हरिजन कर्मचारियों की मांगों हेतु कई बार हड़तालें कराईं व भूमिगत रहकर इन हड़तालों को सफल कराया। एक बार तो 6 दिन की भूख हड़ताल करना पड़ी और