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प्रथम खण्ड
महात्मा गांधी से भेंट करने सेवाग्राम गये, गांधी जी का मार्गदर्शन प्राप्त कर पुनः और अधिक दृढ़ता से राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय हो गये।
1942 के आन्दोलन में आप पुन: गिरफ्तार हुए और जबलपुर तथा छिन्दवाड़ा की जेलों में 1944 तक रखे गये। जबलपुर जेल तोड़ने का प्रयास करने के कारण ऐसी-ऐसी अमानुषिक यातनायें आपको सहनी पड़ीं, जिन्हें पढ़कर दिल दहल जाता है। इनका उल्लेख आपने अपनी आत्मकथा में किया है।
छिन्दवाडा जेल से छूटने के बाद स्थानीय गोलगंज के निवासियों ने आपका भावभीना स्वागत किया, जिससे अभिभूत होकर आप छिन्दवाड़ा में ही बस गये । राजनैतिक गतिविधियों के कारण आपको आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, फिर भी आप निराश नहीं हुए।
आजादी के बाद श्री जैन छिन्दवाड़ा नगरपालिका के अनेक वर्षों तक उपाध्यक्ष रहे। आपके कार्यकाल में नगर ने चहुँमुखी प्रगति की है। आप छिन्दवाड़ा जिला स्वतंत्रता संग्राम सैनिक समिति के अध्यक्ष, अ० भा) दिगम्बर जैन महासभा के अध्यक्ष (1974), प्रान्तीय कांग्रेस कार्यकारिणी के सदस्य आदि विभिन्न पदों पर रहे ।
1983 में आप पक्षाघात के शिकार हुए, इससे पूर्व चार बार दिल का दौरा पड़ चुका था। अपनी उत्कट जिजीविषा से आप इस अवस्था में भी सक्रिय रहे। 13 जुलाई 1988 को आपका देहावसान हो गया।
आए- (1) म) प्र) स्व) सै0 भाग-1, पृष्ठ-10 (2) हस्तलिखित आत्मकथा (3) स्वा() आन्दोलन में छिन्दवाड़ा जिले का योगदान ( टकित शोध-प्रबन्ध) पृष्ठ 300-301 (4) पुत्र श्री धन्यकुमार गोयल द्वारा प्रेषित परिचय आदि ।
श्री प्रेमचंद जैन
श्री प्रेमचंद जैन का जन्म 1930 में ग्राम चन्दला, तत्कालीन चरखारी राज्य, वर्तमान जिला- छतरपुर (म)प्र()) में हुआ | आपके पिता का नाम श्री नाथूराम
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जैन था। आपने चरखारी राज्य प्रजामंडल द्वारा चलाये गये आंदोलन में 1946 से 1948 तक सक्रिय भाग लिया। आपके खिलाफ 1946 में चरखारी राज्य शासन द्वारा गिरफ्तारी के लिये वांरट जारी निर्देश पर श्री जैन
किया गया था। पार्टी के नेताओं गिरफ्तार न होकर भूमिगत हो गये और 'चरखारी राज्य प्रजामंडल' द्वारा उत्तरदायी शासन हेतु चलाये जा रहे सत्याग्रह आंदोलन का कार्य किया। भूमिगत आंदोलन चलाते समय अनेक यातनायें सहनी पड़ीं, गांव-गांव जाकर सत्याग्रहियों को चरखारी भेजते रहे ताकि आंदोलन की डोर टूटने न पाये। शासन से आपको स्वतंत्रता सेनानी का सम्मान मिला है।
आ) (1) श्री सुरेन्द्र कुमार, छतरपुर द्वारा भेजी गई छतरपुर जिले के स्वतंत्रता सेनानियों की सूची (2) स्व() प( )
श्री प्रेमचंद जैन
जबलपुर (म0प्र0) के श्री प्रेमचंद जैन, पुत्र- श्री मुन्नालाल ने 1931 के आन्दोलन में भाग लिया तथा 3 माह के कारावास एवं 25 रुपये के अर्थदण्ड की सजा पाई।
आण (1) म) प्र) स्व) सै0 भाग-1 पृष्ठ- 73 (2) स्व) स० ज०), पृष्ठ- 136
श्री प्रेमचंद जैन
जबलपुर (म0प्र0) के श्री प्रेमचंद जैन, पुत्र-- - श्री लालचंद जैन को 1932 के आन्दोलन में भाग लेने के कारण 6 माह के कारावास तथा 50 रु0 के अर्थदण्ड की सजा दी गयी थी।
आधार (1) म(0) प्र() स्व0 सै0 भाग-1, पृष्ठ-74 (2) स्व) स) ज०, पृष्ठ-138
श्री प्रेमचंद जैन
जैनदर्शन और राजनीति दोनों में निष्णात श्री प्रेमचंद जैन, पुत्र श्री लोकमन जैन का जन्म
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