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प्रथम खण्ड
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अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित में सहकारिता विभाग में अगस्त 76 तक शासकीय श्रद्धेय पं0 जी को 'समाजरत्न' की उपाधि से अलंकृत सेवा की। किया गया था। पं0 जी का निधन 12 जनवरी 1978
आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-3, पृष्ठ-46 (2)
स्व0 प० को ललितपुर (उ0 प्र0) में हुआ। आ0- (1) वि) अ0, पृ0-169 (2) र0 नी0,
श्री पीतमचंद जैन ) 30.31 (3) तीर्थंकर, इन्दौर, अगस्त-सितम्बर 1977 तथा फरवरी
रायभा, जिला-आगरा (उ0प्र0) के श्री पीतम 1978(4) जै) स) रा0 अ0, पृष्ठ 81-82 (5) वीर, 22 नवम्बर
चंद जैन तत्कालीन क्रान्तिकारियों में अग्रगण्य थे। 1992
आपने रेल पटरी उखाड़ने, टेलीफोन के तार काटने श्री पांढुरंग गजानन्द राव उमाठे
आदि की ट्रेनिंग ली थी। श्री श्यामलाल जैन के साथ (श्री पी०जी० जैन उमाठे)
टेलीफोन के तार काटते हुए आप पकड़ लिये गये
और कई महीने तक नजरबन्द रहे। पुलिस आप पर रायपुर (म0प्र0) स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संघ के
अभियोग साबित नहीं कर सकी थी। 1942 में भी संयुक्त मंत्री श्री पी0जी0 जैन उमाठे का जन्म दिनांक
आप एक वर्ष आगरा जेल में रहे थे। 10 अगस्त 1918 को हुआ।
आ0-(1) जै0 स0 रा0 अ0 (2) प0 इ] पृष्ठ-139 आपने 'राष्ट्रीय कांग्रेस संस्था (3) उ0 प्र0 जै0 40, पृष्ठ-93 (4) गो0 अ0 ग्रा) पृष्ठ-223
(5) श्री महावीर प्रसाद जैन, अलवर द्वारा प्रेषित परिचय के अन्तर्गत वानर सेना तैयार की। उस समय हरिजन
श्री पुखराज सिंघी आदिवासी बच्चों को गांव की राजस्थान जैन संघ. सिरोही के अध्यक्ष रहे श्री शाला में सर्वसाधारण बच्चों के पुखराज सिंघी, पुत्र-श्री जुहारमल सिंघी का जन्म
साथ बैठने नहीं दिया जाता था। सिरोही (राजस्थान) में हुआ। आपने डी0ए0वी0 उक्त घटना का विरोध करके आपने शाला का कालेज, अजमेर से बी0काम) व डी0ए0वी0 कालेज, बहिष्कार किया, उसके पश्चात् अन्य बच्चों के साथ
कानपुर से एल0एल0बी0 परीक्षायें उत्तीर्ण की। 1939
में सिरोही राज्य के जन आन्दोलन में आप गिरफ्तार उन्हें भी बैठने दिया गया। यह घटना आपकी जीवन्तता
कर लिये गये। सिरोही में प्रजामण्डल की स्थापना होने को सूचित करती है। 1930 में आपने जंगल सत्याग्रह
पर आप उसके अध्यक्ष बने। 1942 के भारत छोड़ो में भाग लिया। किन्तु 12 वर्ष की आयु होने के कारण
आन्दोलन में आपको दो वर्ष के कठोर कारावास की बन्दी नहीं बनाया गया। 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह
यह सजा हुई। वकालत की डिग्री भी छीन ली गई। में आपने भाग लिया व गिरफ्तार हुए; परन्तु छोड़ दिये
बाद में सिरोही राज्य के मंत्रिमंडल में आप मंत्री गये। 1942 के आन्दोलन में 18 अगस्त 1942 को बने। सिंघी जी दिलवाडा जैन मन्दिर, आब पर्वत की वारासिवनी गांव में गिरफ्तार करके आपको मुख्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष रहे हैं। आपने सिरोही में रामटेक में लगभग 22 दिन रखा गया। बाद में केन्द्रीय गोशाला, जैन हास्टल आदि की स्थापना में महनीय कारागृह नागपुर में स्थानान्तरित कर दिया गया और भूमिका निभाई है। जून 1943 में रिहा किया गया। आपने नये मध्यप्रदेश
आO-(1)- रा0 स्व0 से0, पृ0-828 (2) राजस्थान में रचनात्मक कार्य, पृष्ठ-32
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