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प्रथम खण्ड
153 जंगल सत्याग्रह में आपके साहस और धैर्य की पाली
श्री गोविन्दराम जैन की जनता ने भूरि-भूरि प्रशसा की थी। 1941 के आगरा (उ0 प्र0) के श्री गोविन्दराम जैन ने व्यक्तिगत आन्दोलन में 6 माह की सजा आपने झांसी 1942 के आन्दोलन में भाग लिया था। पुलिस के एवं रायबरेली की जेलों में काटी। जेल में अंग्रेजी अनुसार आप स्वाधीनता सेनानी श्री नेमीचंद के सरकार के विरोध में अनेक गीतों की रचना आपने सहयोगी थे। सरकार आपके घर से एक मशीन के की थी। अब भी आप संगीत के क्षेत्र में आध्यात्मिक पूर्जा उठाकर ले गई थी और आपको 2 माह नजर गीतों से प्रभावना करते रहते हैं। आपने अपने जीवन बंद रखकर छोड़ दिया था। का एकमात्र लक्ष्य समाज सेवा बनाया है।
आ)-(1) गो0 अ0 प्र(), पृ0-220, (2) जै0 स) रा) आ)- (1) ) नी0, पृष्ठ-27. (2) जैस0रा0अ0) (3) डॉ.) बाहुबलि कुमार द्वारा प्रेषित विवरण
अ), (3) उ0 प्र0 जै) ध0, पृष्ठ-90 श्री गोविन्ददास सिंघई
श्री गौतमप्रसाद गिल्ला गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित सिंघई जी का स्वयंसेवक के रूप में स्वतंत्रता संग्राम में जन्म 19 -5 - 1913 को ललितपुर (उ0 प्र0) में हुआ। भागीदारी निभाने वाले होशगाबाद (म0 प्र0) के श्री आपके पिता श्री पन्नालाल जी थे। 1932 में आप एक गौतमप्रसाद गिल्ला, पुत्र-श्री कन्हैयालाल जैन का जन्म वर्ष तक जेल में रहे। परतंत्रता काल में आपने सेनानियों 1 जनवरी 1920 में हुआ। 1938 से ही आप आन्दोलन को यथाशक्ति सहयोग प्रदान किया। स्वतंत्रता प्राप्ति में सक्रिय हो गये। 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह के के पश्चात् भी आप गांधीवादी विचारधारा को दौरान भोजन-व्यवस्था का भार आप पर डाला गया। फलता-फूलता देखने की कामना करते हुए कार्य करते आपने श्री प्यारेलाल गुरु व डेरिया जी के साथ शराब
बंदी, किसान-संगठन आदि रचनात्मक कार्यों में भाग आ) (1) ) नी0, पृ)-26
लिया। 1942 के आन्दोलन में गिल्ला जी ने दो बार श्रीमती गोविन्ददेवी पटआ
जेल यात्रायें की। आप होशंगाबाद जेल में रहे। स्वतंत्रता की वेदी पर सहर्ष कष्ट झेलने वाली आपके भाई श्री बाबूलाल गिल्ला भी आन्दोलन में वीर महिलाओं में कलकत्ता की श्रीमती गोविन्ददेवी सक्रिय रहे थे। पटुआ अग्रगण्य थीं। गांधी जी ने जब 'असहयोग' का आ)- (1) म0 प्र0 स्व) सै, भाग-5, पृ0--328, (2) शंख फूंका तब श्रीमती पटुआ ने बड़ा बाजार, कलकत्ता स्व) स) हो), पृ0-113 की विदेशी वस्त्रों की दुकानों पर धरना देने वाले जत्थों
श्री चन्दनमल जैन का नेतृत्व किया। 1928 में जब साईमन कमीशन भारत
___श्री चन्दनमल जैन, पुत्र- श्री फतेहचंद जैन का आया तो उसका प्रबल प्रतिरोध हुआ एवं बहिष्कार किया गया। श्रीमती पट आ दम बहिष्कार में अगणी जन्म राजगढ़ (म0प्र0) में हुआ। आपने कक्षा 8 तक थीं। 1942 के करो या मरो आन्दोलन में भी वे अग्रणी शिक्षा प्राप्त की। आप प्रजामंडल की यूनिट के रहीं, फलत: आपको गिरफ्तार कर लिया गया एवं जेल अध्यक्ष भा रह। स्वतंत्रता आदालन में कुल 25 दिन की यातनाएं दी गईं।
की सजा आपने भुगती। आर)- (1) इ) अ0 ओ0, भाग-2, पृष्ठ- 373
आ0- (1) म0 प्र0 स्व) सै0 5/112
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