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. स्वतंत्रता संग्राम में जैन
बड़ामलहरा विधानसभा उपचुनाव में आपको पार्टी समारोह में आपको 'ताम्र प्रशस्ति-पत्र' से सम्मानित का टिकट प्रदान किया और आप बहुमत से विजयी किया था। भी हुए। विधायक रहकर विद्यार्थी जी ने अपने विद्यार्थी जी म0प्र0 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विधानसभा क्षेत्र में अनेक प्राइमरी स्कूल, मिडिल संघ के कार्यकारिणी सदस्य, छतरपुर जिला स्वतंत्रता स्कूल और तीन हायर सेकेण्डरी स्कूल स्थापित संग्राम सेनानी संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, म0प्र0 कराए तथा इनके भवनों का निर्माण कराया। ग्रामीण मजदूर कांग्रेस, जिला छतरपुर के अध्यक्ष,
विद्यार्थी जी सामाजिक एवं धार्मिक अंधविश्वासों, म0प्र0 कांग्रेस कमेटी, भोपाल के सदस्य एवं जिला कुरीतियों और विकृतियों के उन्मूलन का निरंतर प्रयास कांग्रेस कमेटी के दो बार महामंत्री रहे। आप डॉ0 करते रहे। मृत्यु-भोज, दहेजप्रथा, अस्पृश्यता, बालविवाह, हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर की एफिलिएटिंग वृद्ध-विवाह एवं कन्या-विक्रय जैसी कुरीतियों के कमेटी के सदस्य भी रहे थे। । विरोध में ओजपूर्ण लेख लिखकर जनजागृति का समाज सुधार के साथ ही साहित्यिक क्षेत्र में अभियान छेड़ा। साधनहीन एवं अभावग्रस्त उदीयमान भी विद्यार्थी जी का योगदान अविस्मरणीय है। आपने युवा प्रतिभाओं को सदैव आगे बढ़ने की प्रेरणा तथा लगभग 25 पुस्तकों का लेखन एवं संपादन किया। प्रोत्साहन दिया। आप कभी अवसरवादी बन कर 1949 से आपने अस्पृश्यता निवारण पर कार्य शुरू समय की लहर में नहीं बहे। कट्टर गांधीवादी किया एवं कौमी एकता को बढ़ावा देने, साम्प्रदायिक विचारधार से जुड़े रहकर संकट की घड़ी में भी भेदभाव और छूआछूत को मिटाने के उद्देश्य से अपने कार्य में अडिग रहे। आपका सम्पूर्ण जीवन 'छुआछूत कलंक है' तथा 'अछूत कोई नहीं' पुस्तकें एक खुली पुस्तक की भांति 'कथनी और करनी' लिखीं। इन दोनों पुस्तकों पर आपको शासन द्वारा को चरितार्थ करता रहा।
'छत्रसाल पुरस्कार' एवं 'प्रशस्ति-पत्र' से सम्मानित विद्यार्थी जी ने धार्मिक क्षेत्र में अविरल योगदान किया गया। उस समय 'हरिजन मंदिर प्रवेश' का दिया। जहाँ आपने नई प्रतिष्ठाओं एवं गजरथ महोत्सवों लेकर आंदोलन चल रहा था। इस जटिल समस्या को में उल्लेखनीय सहयोग दिया वहीं प्राचीन मंदिरों के सुलझाने हेतु विद्यार्थी जी ने शास्त्रीय तर्क एवं प्रमाण जीर्णोद्धार एवं ज्ञान प्रचार हेतु विद्यालयों की स्थापना देकर 'हरिजन मंदिर प्रवेश' पुस्तक लिखी, जिसने पर जोर दिया। आपने बड़ामलहरा में जनता हायर एक क्रांति पैदा कर दी थी। द्रोणगिरि दर्शन, सेकेण्डरी स्कूल का शुभारंभ कराया तथा 1960 से रेशंदीगिरि, बापू की अनोखी खोज आदि आपकी 1965 तक इस स्कूल के प्राचार्य भी रहे और कुशल अन्य पुस्तकें हैं। प्रशासन के द्वारा संस्था का संवर्धन किया। भगवान् विद्यार्थी जी ने प्रातः स्मरणीय सन्त गणेश प्रसाद महावीर के 2500वें निर्वाण महोत्सव के पावन अवसर जी वर्णी की डायरी, पत्रों, प्रवचन एवं लेखों से प्राप्त पर बुन्देलखण्ड के अनेक स्थानों पर नेत्र शिविरों के सामग्री द्वारा 'वर्णी साहित्य' का विद्वत्तापूर्ण सम्पादन सफल आयोजन में विद्यार्थी जी ने अपना अमूल्य कर वर्णी भक्तों में अग्रगण्य बनने का सौभाग्य प्राप्त योगदान दिया था। इस स्मरणीय भूमिका के लिए किया। आप 'वर्णी-साहित्य-विशेषज्ञ' माने जाते थे। 'द्रोण प्रान्तीय नवयुवक सेवा संघ', द्रोणगिरि आपके द्वारा सम्पादित 'वर्णी वाणी' चार भाग, 'वर्णी (जिला छतरपुर) ने 1 जून 76 को एक गरिमामय पत्र पारिजात', 'वर्णी जी का दिव्यदान' एवं
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