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. स्वतंत्रता संग्राम में जैन में एक सम्पन्न ओसवाल जैन परिवार में हुआ। सम्पन्न सुधारने की दृष्टि से राजनैतिक बंदियों की रिहाई का होते हुए भी जनता के अभाव और दुःख उनसे देखे आदेश दिया, जिसके परिणामस्वरूप श्री रघुवर दयाल नहीं गये, विशेषत: बीकानेर के राजा द्वारा जनता को गोयल, गंगादास कौशिक और दाऊदयाल आचार्य तो दिये जाने वाले दुखों से वे दुखी रहते थे। जेल से रिहा कर दिए गए परंतु श्री नेमीचंद आंचलिया
आंचलिया जी निर्भीकता के साथ बीकानेर को रिहा नहीं किया गया। आंचलिया जी ने जेल में महाराजा की निरकुंशता और शासनाधिकार की कटु भूख हड़ताल शुरू कर दी। अन्त में बीकानेर राज्य आलोचना किया करते थे। उन्होंने बीकानेर महाराजा प्रजा परिषद् के प्रयत्नों से आंचलिया जी जेल से रिहा की स्वेच्छाचारिता के विरुद्ध जनमत को जागृत और हो सके। जेल से रिहा होने के बाद वे अधिक दिन संगठित करने का साहस भरा कार्य किया था। बीकानेर नहीं जी सके। महाराजा गंगासिंह श्री आंचलिया की इस निर्भीकता
आ)-(1) रा) स्व0 से0, पृष्ठ-765 से अत्यंत सशंकित थे और उन्हें उचित सबक सिखाने
श्री नेमीचंद जैन का अवसर ढूंढ रहे थे।
जबलपुर (म0प्र0) कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष इसी बीच 1942 की क्रांति के समय अजमेर ।
रहे श्री नेमीचंद जैन, पुत्र-श्री इमरत लाल का जन्म से प्रकाशित होने वाले 'साप्ताहिक राजस्थान' में बीकानेर
नरसिंहपुर (म0प्र0) में हुआ। आपके पिताजी शासकीय शासन की अंधेरगर्दी को बेनकाब करने वाला एक
सेवा में थे, उनका स्वर्गवास होने पर आपके मामा जी तथ्यपूर्ण लेख प्रकाशित हुआ! बीकानेर महाराज ने उस
आपको व आपके तीन भाईयों को जबलपुर ले आये राजद्रोहात्मक लेख के लिए आंचलिया जी को
थे, क्योंकि सभी छोटे थे। नेमीचंद जी सबसे बड़े थे। अपराधी ठहराया और राजद्रोह के अपराध में उन्हें गिरफ्तार करके 7 वर्ष के कठोर कारावास की सजा
आपका विवाह जबलपुर के प्रसिद्ध सामाजिक दी। सारे सरदार शहर में और बीकानेर में आतंक पैदा
कार्यकर्ता व काँग्रेसी नेता श्री शुभचन्द जी की पुत्री करने के लिए श्री आंचलिया के हाथों में हथकडी
के साथ हुआ था। शुभचंद जी विख्यात स्वतंत्रता सेनानी लगाकर सरदार शहर और बीकानेर में उनका प्रदर्शन
भी थे, जो 30,3241 एवं 42 के आन्दोलनों में जेल गये थे। किया गया।
नेमीचंद जी उत्साही युवक थे, आप 42 के
__ आन्दोलन में पकड़े गये थे तथा सेन्ट्रल जेल जबलपुर श्री नेमीचंद आंचलिया को जेल में खूनी,
___ में एक वर्ष रहे थे हत्यारे और डकैतों के साथ रखा गया और उनसे कठोर
आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-1, पृष्ठ-68 शारीरिक श्रम करवाया गया। उन्होंने राजनैतिक कैदियों (2) स्व) स0 जा), पृष्ठ-132 (3) सिंघई रतनचंद जी द्वारा
प्रेषित परिचय। जैसे व्यवहार की जेल अधिकारियों से मांग की। परंतु उनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. उल्टे उनके
श्री नेमीचंद जैन पैरों में बेड़ियां डाल दी गईं और उन्हें चौबीसों घंटे
श्री नेमीचंद जैन, पुत्र-श्री उदयचंद का जन्म 21 कालकोठरी में बंद रखा जाने लगा।
अगस्त 1926 को जबलपुर (म0प्र0) में हुआ। 1942 2 फरवरी 1943 को बीकानेर के महाराजा के आन्दोलन में | वपे । माह के कारावास की सजा गंगासिंह का निधन हो गया और नए महाराजा शार्दल आपने काटी।
आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-1, पृष्ठ-68 सिंह ने गद्दी पर बैठते ही राजनैतिक वातावरण का (2) स्व0 स0 जा. पष्ठ-132
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