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.स्वतंत्रता संग्राम में जैन पुलिस और उनके बीच हाथापाई की नौबत था। सरकार के बहुत प्रयत्न करने पर भी आप आ गई, वे वर्षा के दिन थे। वहां उपस्थित लोगों की सेशन जज की अदालत से निर्दोष साबित हुए। परन्तु भीड़ ने अचानक डी0आई0जी0 दातरे को कीचड़ में नजरबन्द रहे। आप दिसम्बर 1942 में गिरफ्तार सान दिया। वे तत्काल कलेक्टर कर्णिकर के पास किये गये थे। आपको खतरनाक मानकर सरकार ने पहंचे व सख्त कार्रवाई करने के आदेश मांगे, फतहगढ़ जेल भेज दिया था। आप दो वर्ष के लेकिन कलेक्टर ने इंकार करते हुए स्वयं सत्याग्रहियों लगभग कारावास में रहे। आपके कोई सन्तान नहीं से चर्चा कर स्थिति को संभाला। पलिस स्टेशन पर थी. अतः परा जीवन देशसेवा व जैन स थानेदार ने श्री नेमीचंद को तो जेल में रखना स्वीकार सेवा में बीता। किया लेकिन पत्नी को वापस जाने को कहा। पत्नी
आO-(1) जै0 स0 रा0 अ0 (2) उ0 प्र0 0 ध0, श्रीमती ताराबाई गिरफ्तार होने के लिये थाने में ही पृष्ठ-90 (3) श्री महावीर प्रसाद जैन, अलवर द्वारा प्रेषित परिचय
(4) गो0 अ0 ग्र0, पृ0-222 अनशन पर बैठ गईं तब उन्हें भी गिरफ्तार कर जेल । में रखा गया। बाद में उन्हें कोर्ट उठने तक की सजा
श्री पंचमलाल जैन दी गई। नेमीचंद जी व तीन अन्य साथियों, श्री दिगम्बर जैन ट्रस्ट, रीवां के कोषाध्यक्ष एवं कन्हैयालाल मपाटे, श्री मिश्रीलाल व श्री राजमल को मंत्री रहे श्री पंचमलाल जैन, पुत्र-श्री शिकरीलाल जैन तराना तथा इंदौर जेल में रखा गया। तीन माह की
का जन्म 1916 में रीवा सजा भुगत कर नेमीचंद जी और साथी छूटे। नेमीचंद
(म0 प्र0) में हुआ। 1932 में जी उस समय अपनी सक्रियता के कारण शासन की
आप रा0 आ0 से जुड़े। आंखों में खटकते रहे और बार-बार जेल जाते रहे।
1942 के आन्दोलन में आO- (1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग 4, पृष्ठ-165
आपने सक्रियता से भाग (2) म स), पृष्ठ ब-52
लिया। कुछ दिन इधर-उध लाला नेमीचंद मीतल
र छिपते रहे , अन्तत: 24 आगरा दि) जैन परिषद् के प्रधानमंत्री रहे सितम्बर 1942 को आप गिरफ्तार कर लिये गये। 15 नमक मण्डी, आगरा (उ0प्र0) निवासी लाला नेमीचंद दिसम्बर 1942 तक आप फलकनुमा कैम्प में नजरबंद जैन मीतल, पुत्र-श्री मंगूलाल 1930 के आन्दोलन रखे गये। रीवां के 'चावल-आन्दोलन' में भी आपने में आगरा के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा साहित्यकार भाग लिया था। आप 1941 से 1951 तक रीवां नगर स्वर) महेन्द्र जी के साथ कांग्रेस विज्ञप्ति के प्रकाशन के पार्षद रहे थे। का कार्य करते थे। 'आगरापंच' के प्रकाशक रहे आO-(1) स्व) प0 (2) डॉ) नन्दलाल जैन रीवां द्वारा मीतल जी बार्ड कांग्रेस कमेटी के अनेकों बार अधि प्रेषित परिचय (3) सूची क्रमांक 445 (4) अनेक प्रमाणपत्र कारी रहे और 1945 से 47 तक नगर कांग्रेस
श्री पंचमलाल जैन कमेटी के सदस्य रहे थे। 1942 के आंदोलन में आपने सरकारी रिपोर्ट
श्री पंचमलाल जैन का जन्म तत्कालीन के अनुसार 'आजाद हिन्दुस्तान' और कांग्रेस विज्ञप्तियां बकापहाडी स्टेट (वर्तमान, उत्तर प्रदेश) में जनवरी प्रकाशित की थीं। आप उन 14 व्यक्तियों में से एक 1897 में हुआ। आपके पिता का नाम श्री जानकी प्रसाद थे, जिन पर 'आगरा षडयंत्र बम केस' चलाया गया
जैन था। 1911 में अपने मामा के यहाँ ग्राम सकरार
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