________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
आ
206
स्वतंत्रता संग्राम में जैन आंदोलन में भाग लेने के कारण आपको गिरफ्तार किया आन्दोलन में आपने सक्रिय भाग लिया और गया। 1942 के देशव्यापी आंदोलन में आपने व्यक्तिगत 12 दिसम्बर 1948 से 23 अप्रैल 1949 तक भोपाल एवं पारिवारिक सुख का त्याग करते हुए भाग लिया। सेन्ट्रल जेल में बन्द रहे। इस बीच आपकी पत्नी सिद्धदोष कैदी के रूप में आपको 7 माह के कठोर भयंकर बीमार पड़ गईं, किसी तरह उन्हें जेल से छूटने कारावास की सजा सुनाई गई, जिसे आपने खुशी-खुशी के बाद बचाया। अपने घनिष्ठ जेल साथी श्रीमान् ताराचंद जैन (जिला ..
आ0-(1) म) प्र) स्व) सै), भाग-5, पृष्ठ-74 (2) वीर
___ हदय, पुस्तिका (3) स्व) पा) । जेल, सागर में) के साथ काटी। 26-6-91 को आपका स्वर्गवास हो गया। वर्तमान में आपका परिवार होशंगाबाद
श्री निर्मलकुमार जैन में है।
होशंगाबाद (म0 प्र0) के श्री निर्मलकुमार आO-(1) मा0 प्र0 स्व0 सै), भाग-5, पृष्ठ-332 जैन, पुत्र श्री बाबूलाल जैन का जन्म 1927 में हुआ। श्री नारायणदास जैन
जब आप मैट्रिक में अध्ययनरत थे तभी स्कूल छोड़कर
राजनीति में कूद पड़े। 1942 के आन्दोलन में आपने श्री नारायणदास जैन, पुत्र-श्री मन्नूलाल जैन का
9 माह के कठोर कारावास की सजा भोगी थी। 1975 जन्म 1907 में जबलपुर (म0प्र0) में हुआ। 1942
1. में अल्प आयु में ही आपका देहावसान हो गया। के आन्दोलन में जब पुलिस आपके पुत्र प्रसिद्ध स्वतंत्रता
आ)-(1) म) प्र) स्व० स), भाग-5, पृष्ठ-348 सेनानी श्री प्रेमचंद 'आजाद' को गिरफ्तार न कर सकी
(2) स्व) सं0 हो0, पृष्ठ-117 तो आपको पकड़ कर ले गई, कठोर यातनायें दी गई और 4 माह सैंट्रल जेल में रखा गया। 1982 में आपका
श्री निर्मलचंद जैन निधन हो गया। आपके पुत्र का अल्पायु में ही
आगरा (उ0 प्र0) के श्री निर्मलचंद जैन. निधन हो गया था।
पुत्र-श्री बंगालचंद जैन ने 1942 के आन्दोलन में अपने आ)-(1) म) प्रा) स्व0 सै), भाग-1, पृष्ठ-67 (2)
क्रान्तिकारी कार्यों से देश स्व) स) ज), पृष्ठ-128 (3) श्री सिंघई रतनचंद द्वारा प्रेषित विवरण
की आजादी का मार्ग प्रशस्त श्री निर्मलकुमार जैन
किया था। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त और अपने गीतों से
जैन होते हुए भी श्री जैन जन-जन में स्वतंत्रता की ज्वाला फूकने वाले श्री
को देश की आजादी के लिए निर्मलकुमार जैन, पुत्र- श्री
अहिंसा का मार्ग पसन्द नहीं जुगल किशोर का जन्म
आ रहा था, फलत: उन्होंने 10 फरवरी 1929 को बरेली, क्रान्ति का मार्ग अपनाया। श्री जैन को यह पसन्द नहीं जिला-रायसेन (म0प्र0) में था कि एक ओर आजादी के दीवाने जेलों में बन्द हुआ। स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त हो रहे हों, दूसरी ओर लोग मनोरंजन के लिए सिनेमा श्री जैन ने अपने गीतों से देखें? उन्होंने नगर के तमाम सिनेमाघरों को पत्र लिखे
ग्रामीण अंचलों में स्वाधीनता और गोराशाही के जुल्मों का स्मरण कराया। इन गुमनाम के अनुकूल वातावरण बनाया। तत्कालीन पत्र-पत्रिकाओं पत्रों का जब कोई प्रभाव नहीं पड़ा तो श्री जैन ने किसी में आपके काफी गीत छपे। भोपाल बिलीनीकरण तरह बम हासिल किया और उसे स्थानीय राक्सी
For Private And Personal Use Only