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स्वतंत्रता संग्राम में जैन आपने भाग लिया परिणामस्वरूप इन्दौर के होल्कर में राज-प्रमुखों का पद समाप्त करने का प्रस्ताव रखा महाविद्यालय, जहाँ आप एल0 एल0 बी0 की फाईनल था। 1961 में प्रदेश कांग्रेस के अधिवेशन में राजाओं परीक्षा दे रहे थे, से ही नहीं होल्कर राज्य से भी के प्रिविपर्स समाप्त करने का प्रस्ताव भी आपके द्वारा निष्कासित होना पड़ा।
- रखा गया था। इन्दौर से लौटने पर अगस्त आन्दोलन की कोटा के सुप्रसिद्ध अभिभाषकों में रहे श्री बागडोर आपने संभाली और युवा शक्ति को जागृत जैन 'कोटा नगर सुधार न्यास' के अध्यक्ष रह चुके कर नगर का शासन अपने हाथ में लिया। उस समय हैं। आप भारत सरकार के विधि मन्त्रालय द्वारा कोटा ही भारत का एकमात्र वह नगर था, जहाँ जनता गठित 'राजभाषा विधायी आयोग' के सदस्य भी रहे। ने सेना एवं पुलिस को बाहर निकालकर शासन अपने 1974 में अजमेर में आप ‘राजस्थान लोक सेवा हाथ में ले लिया था। श्री जैन के नेतृत्व में लगभग आयोग' के सदस्य के रूप में रहे। बांग्ला सांस्कृतिक 15 दिन तक कोटा की कोतवाली पर तिरंगा ध्वज समारोह और अजमेर सांस्कृतिक समारोह का सफल फहराता रहा। भूमिगत साथियों को सहायता देना आपका आयोजन आपके संरक्षण और कुशल नेतृत्व में हुआ प्रमुख कार्य था।
था। अजमेर में 'भगवान् महावीर निर्वाणोत्सव वर्ष' 1942-43 में अवैध पत्रिकाओं एवं बलेटिनों में श्रेष्ठ सेवाओं के लिए 'अखिल भारतीय दिगम्बर के प्रकाशन व उनके प्रचार-प्रसार का कार्य आपने जैन सोसाइटी' द्वारा स्वर्ण पदक से आप सम्मानित
रणामस्वरूप फरवरी 1943 में अजमेर की किये जा चुके हैं। पुलिस ने गिरफ्तार किया और कोटा में 'भारत सुरक्षा
आ0- (1) रा० स्व0 से), पृष्ठ-533 (2) अ0 वा0, कानून' के अन्तर्गत नजरबंद रखा। भारत छोड़ो।
पृष्ठ-66 (3) जैन संस्कृति और राजस्थान, पृष्ठ' 343 (4) नई दुनिया,
इन्दौर, 9 अगस्त 1997 आन्दोलन के बाद एक निर्भीक पत्रकार के रूप में आपने कोटा से प्रकाशित 'लोक सेवक' का सम्पादन
श्री नाथूसाव जैन किया और कुछ समय बाद ही अपना निजी साप्ताहिक श्री नाथूसाव जैन, पुत्र- श्री नारायण जैन का पत्र 'दीन-बन्धु' प्रकाशित किया। दीन-बन्धु के जन्म 1915 में लोधीखेड़ा, जिला-छिन्दबाड़ा (म0प्र0) प्रकाशन में सरकार द्वारा बाधाएँ उपस्थित करने पर में हुआ। आपने इण्डियन स्कूल, लोधीखेड़ा में कक्षा 1945 में 'जयहिन्द' नाम से एक नया पत्र निकाला 7वीं तक शिक्षा प्राप्त की। बाल्यकाल से ही आपके
और जन-आन्दोलन का समर्थन किया तथा साम्प्रदायिक मानस में स्वातन्त्र्य प्रेम का उद्रेक हो गया था, परन्तु शक्तियों से जमकर लोहा लिया और अनेक बार पारिवारिक कारणों से आप प्रत्यक्ष रूप से स्वतंत्रता जमानतें दीं।
आन्दोलन में आगे न आ सके। आप गाँव के सम्पन्न कोटा राज्य में विधान बनाने के निमित्त गठित व्यक्तियों में से एक थे, इसलिए आप अपने गाँव के परिषद में 'प्रजामण्डल' के प्रतिनिधि के रूप में आप आन्दोलनकारियों और सत्याग्रहियों को अप्रत्यक्ष रूप सदस्य सचिव बनाये गये। राजस्थान निर्माण के बाद से आर्थिक एवं अन्य सहयोग प्रदान करते रहे। प्रदेश में पहली बार कांग्रेस का गठन कोटा में ही हुआ आपने लोधीखेड़ा के स्वतंत्रता अनुरागियों के लिए और आप उसके अध्यक्ष बनाये गये। 1948 तक राष्ट्रीय दस्तावेजों एवं साहित्य का उत्कृष्ट पुस्तकालय कांग्रेस महासमिति के सदस्य रहे श्री जैन ने महासमिति स्थापित किया था। इसके अतिरिक्त आप उनके
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