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प्रथम खण्ड
205 भोजन, आवास और आवागमन का भी प्रबंध किया न देने के कारण डेढ़ माह और कैद में रहना पड़ा करते थे।
तथा सरकार ने जबरन घर से माल उठाकर जुर्माना 1942 के भारत छोडो आन्दोलन में जो भी वसूल कर लिया। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन आन्दोलनकारी जेल गये, उनका अभिनन्दन करने के में आप भूमिगत रहकर कार्य करते रहे। शासन द्वारा लिए एक सभा का आयोजन आपने किया, परन्तु दी जा रही सम्मान निधि को आपने स्वीकार नहीं किया।
आपको गाँव की शांति भंग करने के संदेह में स्वार्थपरता एवं भाई भतीजावाद के कारण आप राजनीति गिरफ्तार कर 15 दिन के लिए छिन्दबाडा जेल भेज से उदासीन हो गये थे। एक दिसम्बर 1987 को आपका दिया गया। इस प्रकार आपको स्वातन्त्र्य महायद्ध में देहावसान हो गया। प्रत्यक्ष रूप से भाग लेने एवं जेल जाने का सौभाग्य आ) (1) जै0 स) रा0 अ0, पृष्ठ 65 (2) प) जै0 मिल गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरान्त मध्यप्रदेश इ), पृष्ठ-459 (3) स्वा) आ0 श0, पृष्ठ-126 कांग्रेस कमेटी के द्वारा प्रशस्ति-पत्र से आपको
श्री नारायणदास सम्मानित किया गया। दिनांक 28-4-1978 को
होशंगाबाद (म0प्र0) में 1913 में जन्मे श्री आपका स्वर्गवास हो गया।
नारायणदास, पुत्र- श्री मुन्नूलाल जैन ने प्राथमिक स्कूल आ) (1) म.) प्र0 स्व) सै), भाग-1, पृष्ठ-9 (2) स्व) आर) में छिन्दवाड़ा जिले का योगदान, (टंकित शोध-प्रबन्ध)
तक शिक्षा ग्रहण की और राष्ट्र पृष्ठ 297
को स्वाधीन कराने में हमेशा
संलग्न रहे। आपने 1930 के सिंघई नानकचंद्र जैन
जंगल सत्याग्रह में सक्रिय 'मस्ताना' उपनाम से विख्यात तथा अपनी
भाग लिया। 1942 के भारत शेरो-शायरी से मनोरंजन के साथ देशप्रेम की भावना
छोड़ो आंदोलन में भी भाग फंकने वाले श्री सिंघई नानकचंद जैन, पुत्र-श्री फूलचंद
लिया जिसमें आपको 7 माह जैन का जन्म 1910 में एक सम्पन्न परिवार में उमरिया की सजा सुनायी गयी थी। (शहडोल) म0 प्र0 में हुआ। 1927 में जब उमरिया आ0-(1) म) प्र0 स्व0 सै0, भाग-5, पृष्ठ-332 में प्लेग फैला तो आप परिवार के साथ ही उमरिया से बुढ़ार, जिला-शहडोल (म0 प्र0) आ गये।
श्री नारायणदास जैन
कटनी, जिला-जबलपुर (म0प्र0) के श्री नारायण साहित्यिक अभिरुचि सम्पन्न नानक चंद जी को गालिब
दास जैन 1930 के जंगल सत्याग्रह में सक्रिय रहे के अनेक शेर कण्ठस्थ थे। विन्ध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री
और 3 माह का कारावास तथा 25 रु) का अर्थदण्ड रहे तथा नानकचंद जी के राजनीतिक गुरू पं) शम्भूनाथ
भोगा। शुक्ल ने आपको 'मस्ताना' नाम दिया था।
आO-(1) म) प्र) स्व) सै0, भाग-1, पृष्ठ-67 बुढ़ार में विदेशी वस्त्रों की दुकानों पर धरना देने के कारण आपको 2-5-1932 को गिरफ्तार कर
श्री नारायणदास जैन लिया गया और 5-5--1932 को 3 माह का कठोर श्री नारायणदास जैन का जन्म सागर (म0प्र0) कारावास व 500/- रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गयी। में हुआ। आपके पिता का नाम श्री झुन्नूलाल था। सजा आपने अमरपाटन कैम्प जेल में काटी थी। जुर्माना देशव्यापी कांग्रेस आंदोलन में आप सक्रिय रहे। सत्याग्रह
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