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प्रथम खण्ड
167 श्री जुगमंदिर दास जैन
अपनी दुकान पर जन-जागरण हेतु वर्षों तक बिना श्री जुगमंदिर दास जैन का जन्म 1912 में एटा नागा राष्ट्रीय महत्त्व के समाचार प्रतिदिन बोर्ड पर (उ) प्र.) में हुआ। अल्पायु में ही आप नौकरी के लिखते रहे। लिये कलकत्ता चले गये। शिक्षा के साधन होने पर कानपुर में अध्ययन-काल में वे क्रांतिकारियों भी जब आप अर्थाभाव के कारण पढ नहीं सके तो के संपर्क में भी आये। अगस्त 1942 के 'अंग्रेजो आपने शास्त्र-स्वाध्याय और जन-सम्पर्क से शिक्षा भारत छोड़ो' आन्दोलन में प्रजामंडल के नेताओं की ली। 1930 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने हेतु आप गिरफ्तारी के विरोध में कोतवाली पर प्रदर्शन करती देहली आये। वहाँ से पनः बंगाल गये। 1934 के जनता का नेतृत्व करते हुए इन्हें 13 अगस्त 1942 षडयंत्र केस में गिरफ्तार हए। विभिन्न राष्ट्रीय आन्दोलनों को गिरफ्तार करके कोटा केन्द्रीय कारागृह में नजरबंद में सक्रिय भाग लेकर भी आपने चरित्र, निष्ठा और कर दिया गया, जहां से अन्य नेताओं के साथ 24 धैर्य को सुरक्षित रखा।
अगस्त 1942 को इन्हें भी बिना शर्त रिहा कर दिया ___मनोहारी व्यक्तित्व, सौम्य मुखमुद्रा वाले जुगमंदिर
र गया। तत्पश्चात् श्री जैन स्वाधीनता आंदोलन में और दास जी विद्वानों के अनुरागी थे। आप पद्मावती
अधिक सक्रिय हो गये। 1943 में कोटा में होली के पुरवाल जाति के भूषण थे। 'पदमावती संदेश' के अवसर पर हुये साम्प्रदायिक दंगों में निर्दोष लोगों को जन्म और जीवनदाता आप ही थे।
बचाने के प्रयास में वे गंभीर रूप से घायल भी हो
गये थे। आ) (1) वि0 अ), पृ0-285
आप सत्ता की राजनीति से दूर रहे पर सिद्धान्त श्री जुगलकिशोर जैन
की राजनीति में अपना पूर्ण सहयोग देते रहे। श्री जैन ग्राम-नगला संज्ञा, पोस्ट-अकोस, जिला-मथुरा रूढ़िवाद, दिखावे और फिजूलखर्ची के विरोधी थे। (उ0प्र0) निवासी श्री जुगलकिशोर जैन, पुत्र-श्री स्त्रीशिक्षा के कट्टर समर्थक थे, इसीलिए उन्होंने अम्मन लाल जैन का जन्म एक अक्टू) 1921 को अपनी चारों लड़कियों को बहुत कष्ट सहकर भी हुआ। हाईस्कूल में अध्ययन के समय से ही आप उच्च शिक्षा दिलायी थी। राजस्थान सरकार की स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय हो गये। 1942 के स्वतंत्रता सग्राम सेनानी पेन्शन आपको स्वीकृत हुई आन्दोलन में आप दो छोटे बच्चों की चिन्ता न कर थी। इनके निधन के बाद पेंशन इनकी पत्नी उमरावबाई कूद पडे, गिरफ्तार हुए और एक वर्ष जेल में रहे। को मिल रही है। कट्टर गांधीवादी श्री जैन का ।।
___ आ)- (1) प0 इ0, पृ0 143, (2) श्री महावीर प्रसाद सितम्बर 1985 में निधन का हो गया। जैन अलवर द्वारा प्रेषित प्रमाण पत्र
आ)-- श्री बागमल बांठिया, कोटा द्वारा प्रेषित परिचय एवं श्री जोरावर सिंह जैन श्री जोरावर सिंह जैन का जन्म 1911 में कोटा
श्री जोहरालाल झाझारया (राजस्थान) में हुआ। 1930 में छात्र जीवन से ही वे इन्दौर (म0प्र0) के श्री जौहरीलाल झांझरिया स्वतंत्रता आंदोलन से जुड गये थे। उन्हीं दिनों उन्होंने पुत्र-श्री पन्नालाल झांझरिया का जन्म 1918 में हुआ। राष्ट्रीय समाचार पत्रों की एजेन्सी का कार्य शुरू किया आपने बी0ए0 तक शिक्षा ग्रहण की। विद्यार्थी जीवन
और खादी पहनने का व्रत लिया, जिसे वे जीवन से ही आप राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय हो गये थे। पर्यन्त निभाते रहे। कोटा नगर के केन्द्र में स्थित 1930 के सत्याग्रह आन्दोलन में आपने 1 वर्ष 3 माह
प्रमाण पत्र।
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