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स्वतंत्रता संग्राम में जैन भाग लिया। 1942 के आन्दोलन में छह माह के कराकर तितर-बितर करने की कोशिश की, नरेन्द्र भाई कारावास की सजा आपने भोगी। आप बीना के पर भी कलेक्टर ने मंच पर चढ़कर बेंतों के कई प्रहार सुप्रसिद्ध कार्यकर्ता रहे हैं। अनेक वर्षों तक नाभिनंदन किए। इस घटना ने आग में घी का काम किया। विरोध दि।) जैन सभा के मंत्री रहे हैं।
और विद्रोह की भावना बढ़ती चली गई। 1939-40 आ0-(1)म0 प्र0 स्व) सै0, भाग-2, पृष्ठ-34 (2) में अमृतसर जाकर उस समय के महान् नेता पण्डित प) जै0 इ0, पृष्ठ-458
जवाहरलाल नेहरू का अखिल भारतीय स्काऊट जम्बूरी श्री नरहर कोठारी
में स्वागत किया। पण्डित जी के विचारों ने नरेन्द्र भाई विधि स्नातक, इन्दौर (म0प्र0) के श्री नरहर के हृदय में उत्पन्न विरोध और विद्रोह की भावना को कोठारी, पुत्र-श्री गणेश कोठारी का जन्म 1895 में मूर्तरूप दे दिया। हुआ। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में आपने 1942 का स्वतंत्रता आन्दोलन छिड़ गया था। सक्रिय भाग लिया तथा दिनांक 22-8-42 से महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश के स्त्री, पुरुष, बच्चे 19-6-43 तक का कारावास भोगा। . 1949 में और बूढ़े सभी अपनी आजादी के लिए संगठित हो आपका स्वर्गवास हो गया।
रहे थे। नरेन्द्र जी जैसे देशभक्त के हृदय में क़ान्ति आO-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-4, पृष्ठ-25 की चिंगारी फूटकर शोला बन गई। अपने कालेज में श्री नरेन्द्रकुमार जैन
उन्होंने 'स्टूडेण्ट कांग्रेस' का संगठन किया। समाजसेवा, सहदयता, न्यायप्रियता, दानशीलता
देखते-देखते कालेज के अनेक छात्र स्टूडेन्ट कांग्रेस आदि के कारण पूरे उत्तराखंड में 'नरेन्द्र भाई' के
__ के सदस्य बन गये और स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। नाम से विख्यात श्री
हिन्दुस्तान के इतिहास में मेरठ क्रांति का गढ़ रहा है। नरेन्द्रकुमार का जन्म 19
ऐसे नगर में नौजवानों के हृदय में क्रांति की फूंक भरते
हुए नरेन्द्र भाई ने अनेक स्थानों पर जनसभाओं और जुलाई 1923 को सहारनपुर . (उ0प्र0), जिले के कस्बे ।
आंदोलनों में भाग लेकर छात्र वर्ग को प्रोत्साहन देते
आ। हुए स्वतंत्रता संग्राम को तीव्र किया। फिल्म उद्योग के बाल्यावस्था में देवबन्द
लोकप्रिय कलाकार शेखर नरेन्द्र भाई के सहपाठी थे, और मुजफ्फरनगर में शिक्षा
जिन्होंने नरेन्द्र भाई के साथ आन्दोलन में महत्त्वपूर्ण प्राप्त करने के बाद नरेन्द्र भाई ने अपनी उच्च शिक्षा
भूमिका निभाई। 1942 के आंदोलन में अपने अनेक मेरठ में ग्रहण की।
साथियों के साथ नरेन्द्र भाई मेरठ में गिरफ्तार कर जेल मुजफ्फरनगर में अपनी पढ़ाई के दौरान नरेन्द्र
भेज दिये गये। उ0 प्र0 के भूतपूर्व शिक्षा मंत्री श्री कैलाश भाई ने 'स्टूडेन्ट फेडरेशन' की स्थापना की और स्वतंत्रता
। प्रकाश एवं अन्य नेता नरेन्द्र भाई के साथ जेल में थे। की लड़ाई के लिए जन सभाएं आयोजित करनी शुरू
जेल से छूटने के बाद नरेन्द्र जी फिर छात्र की। 1939 में मुजफ्फरनगर की 'स्टूडेन्ट फेडरेशन' आन्दोलन को संगठित करने में जुट गये किन्तु प्रशासन की ओर से आयोजित एक जनसभा में अंग्रेजों के विरुद्ध की शख्ती के कारण इनको मेरठ छोड़कर कुछ समय जब बोलना शुरू किया और आजादी की मांग उठाई के लिए उदयपुर जाना पड़ा। उदयपुर उस समय तक तो तत्कालीन अंग्रेज कलेक्टर ने पुलिस से आक्रमण एक रियासत थी। वहां पहुंचकर नरेन्द्र भाई ने 'भील
द
में हुआ। हुए स्वतंत्रता संग्राम
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