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171 हुआ। 16 वर्ष की उम्र में ही आप प्रजामण्डल से में हुआ। 1930 से ही आप स्वतंत्रता संग्राम में जुड़कर उसकी गतिविधियों में भाग लेने लगे। गोपनीय सक्रिय हो गये थे। 1932 में विदेशी वस्त्र आन्दोलन रूप से बुलेटिन बाँटने, जूलूसों तथा अन्य गतिविधि में आपने प्रमुखता से भाग लिया तथा साढ़े सात माह यों की गोपनीय सूचनाएं देने में आपको महारत का कारावास भोगा। आप नेशनल स्काउट एसोएियेशन हासिल थी। पुलिस का गुप्तचर विभाग आपके पीछे के सदस्य रहे तथा नगर निगम द्वारा सम्मानित हुए। सदैव लगा रहता था। प्रजामण्डल आंदोलन के दौरान आर)- (I) म0 प्र0 स्व) सै0, भाग-1, पृ0-54, (2) पलिस की लाठियों से आपका सर फट गया था. आप स्व० सा) जा), पृष्ठ-114 घायल होकर बेहोश हो गये, फिर भी गतिविधियाँ श्री बाबू झूमनलाल जैन जारी रखी।
या झुम्मनलाल जैन आ) (1) रा) स्वा) से), पृष्ठ-624)
स्मृतिशेष बाबू झूमनलाल जी के परिवारजनों की श्री ज्ञानीचंद मॉडल
तलाश में जब हम दि0 11-12-- 1994 को सहारनपुर गुना (म) प्र()) के श्री ज्ञानीचंद मॉडल, पुत्र-श्री
गये, तब वयोवृद्ध श्री विशालचंद जैन, जिन्होंने अप्रत्यक्ष कस्तूरचंद मॉडल का जन्म 29 नवम्बर 1926
रूप से सेनानियों की सहायता की थी, ने बताया कि को गना में हआ। अपने उनके पुत्र हसकुमार व शिवचन्द्र के सिवा अन्य पत्रादि विद्यार्थी जीवन में आपने नहा
नहीं थे। हंसकुमार भी जेल गये थे (इनका परिचय 1942 के भारत छोड़ो
इसी ग्रन्थ में अन्यत्र देखें) और अब वे भी नहीं हैं। आन्दोलन में भाग लिया।
झूमनलाल जी जैनधर्म और दर्शन पर दृढ़ आस्था तत्कालीन कलेक्टर ने
र में रखने वाले सहारनपुर के सम्मानित नागरिक थे। वे क्रोध आपको अन्य साथियों के साथ या ममता दोनों के अवसर पर कभी भी अपने सिद्धान बुलाकर आन्दोलन वापिस
से नहीं डिगे। 1920 में अपनी चमकती वकालत को लेने हेतु दबाव डाला, न मानने पर आप छह माह के
छोड़कर वे राजनीति में आये और जितना सम्भव था लिए गुना से निष्कासित कर दिये गये। निष्कासन उससे भी अधिक किया। वे सदैव कांग्रेस के साथ की सूचना पाकर आप भमिगत हो गये. वापिस आने
र रहे। स्पष्ट वक्ता, पैने लेखक और संयमी कार्यकर्ता पर आगामी पढ़ाई से वंचित रहे क्योंकि स्कूलों ने
श्री जैन ने अपने सेवाकर्म को कभी व्यवसाय नहीं प्रवेश देने से मना कर दिया। आपकी धर्मपत्नी
बनाया, उन्होंने कभी 'नेतागिरी' का भी प्रयत्न नहीं श्रीमती प्रसन्नलता मॉडल भी स्वतंत्रता सेनानी हैं।
किया, उसकी ओर से वे जैसे भूले ही रहे। आ)-(1) म) प्र0 स्व) सै0. भाग-4, पृष्ट 3099
श्री जैन का पूरा परिवार ही आन्दोलन में सक्रिय (2) स्वा) प0
था। एक पुत्र श्री हंसकुमार जैन अपनी बीमार कन्या
को छोड़कर 11-8-42 को जुलूस का नेतृत्व करते श्री झब्बूलाल जैन
हुए गिरफ्तार हुए, कुछ दिन पश्चात् कन्या स्वर्ग सिध विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय आन्दोलन में र गई। दसरे पत्र श्री शिवचन्द्र कुमार, जो उस समय अभिरुचि रखने वाले, जबलपुर (म0प्र0) के श्री कानपर कालेज में द्वितीय वर्ष में पढ़ रहे थे, ने कालेज झब्बूलाल जैन पुत्र-श्री चैन्नी लाल का जन्म 1917 छोड़ दिया। श्री शिवचन्द्र कुमार ने 24-3-75 को दिये
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