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. स्वतंत्रता संग्राम में जैन उदारता और सच्ची राष्ट्रभक्ति का यह अनुपम उदाहरण 1940 में भारत रक्षा कानून के तहत तीन माह है। 1995 में आपका निधन हो गया।
तक सेना के पहरे में कैद रहे। वहीं आपने दो दिन ___ आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-2, पृष्ट-29 अनशन (भूख हड़ताल) किया। पुनः 1942 में गांधी (2) आ0 दी0, पृष्ठ-46, (3) श्री जैन के अभिनन्दन रामारोह जयन्ती, दो अक्टूबर को हिन्दू मुस्लिम दंगा रोकने में 23-10-1989 के अवसर पर प्रकाशित संक्षिप्त परिचय पुस्तिका आप घायल व गिरफ्तार हए और दस दिन तक सेठ दरबारीलाल
पुलिस-जेल में बंद रहे। हथकड़ी डालने और शौचादि मंडल कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष रहे. करावली. की असुविधा के विरोध में दो दिन भूख हड़ताल जिला-मैनपुरी (उ0प्र0) के श्री सेठ दरबारीलाल को की, पुलिस कमिश्नर ने आकर सुविधाएं दी व 1942 के आन्दोलन में एक वर्ष का कठिन कारावास अनशन तुड़वाया। 1931 से ही आपने आजीवन तथा 500 रु0 का अर्थदण्ड भुगतना पड़ा। आप प्रसिद्ध खादी-वस्त्र के उपयोग का व्रत लिया हुआ है। आप स्वतंत्रता सेनानी श्री देश दीपक जैन के सहयोगी रहे। 15-11-1942 से 16-11-1943 तक एक वर्ष के आप अपने घर में (चाची, बुआ और पत्नी) तीन लिए रतलाम राज्य से निर्वासित रहे थे। स्त्रियों के अतिरिक्त अकेले ही थे। जब आप जेल से श्री जैन की सेवायें अविस्मरणीय हैं। आप छूटकर आये तो चाची व बुआ का देहान्त हो चुका 1944 में नगर पालिका के आम चुनावों में सर्वाधिक था और घर से 10-12 हजार रुपये का गबन भी। मतों से विजयी हुए थे। तब से लगातार 1968 तक
आ0-(1) जै0 स0 रा0 अ0, (2) उ0 प्र0 जै0 ध0, सदस्य निर्वाचित होते रहे। आप चेयरमैन व उपाध्यक्ष पृ०-93
भी रहे। जिला कांग्रेस महामंत्री, प्रजामण्डल के श्री दलीचंद जैन
महामंत्री, प्रजापरिषद् के प्रचार मंत्री, अनेक राजकीय हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत, अंग्रेजी, उर्दू, फ्रेंच,
_ समितियों के सदस्य, रतलाम राज्य की अंतरिम मंत्रि गुजराती, मराठी, आदि अनेक भाषाओं के जानकार
परिषद् के सलाहकार, आदि अनेक पदों पर रहे।
आपने ही 1939 में सुभाषचंद बोस तथा 1962 में और तत्त्वार्थसूत्र जैसे गहन दार्शनिक ग्रन्थों का अध्ययन
भारत के प्रथम गवर्नर जनरल डॉ0 राजगोपालाचार्य
का भव्य स्वागत रतलाम में करवाया था। आप करने वाले कवि, लेखक श्री दलीचंद जैन (कटारिया)
1968 तक जैन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के
महामंत्री रहे थे। का जन्म चैत्र कृष्ण त्रयोदशी, वि0 सं0 1972 (सन् 1915)
श्री जैन को पत्रकारिता का शौक है। आपने को रतलाम (म0प्र0) में 1938 से पत्रकार का सक्रिय कार्य 1972 तक हुआ। आपके पिता श्री समरथमल जैन (कटारिया) किया और यूनाइटेड़ प्रेस ऑफ इंडिया (बम्बई), उस समय रतलाम रियासत के नगर सेठ थे। भाइयों टाइम्स ऑफ इंडिया (बम्बई), सैनिक (आगरा), के बीच आप चौथे हैं। जब आप इण्टर में अध्ययनरत नई दुनिया (इन्दौर), इन्दौर समाचार (इन्दौर), जन्मभूमि, थे तभी विदेशी वस्त्र बहिष्कार, सत्याग्रह-प्रचार, मातृभूमि आदि पत्रों से जुड़े रहे। हरिजन आन्दोलन, प्रजामंडल, प्रजापरिषद् आदि के एक संस्मरण में आपने लिखा है कि-"दिसम्बर माध्यम से जनसेवा में आये।
___1940 में भारत सुरक्षा कानून 39 के अन्तर्गत मुझे
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