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स्वतंत्रता संग्राम में जैन दिया अतः अपने पैतृक गाँव आना पड़ा। आप संस्थाओं से जुड़े रहकर आप सदैव गरीबों की सेवा 'सेवादल' एवं 'भारत सेवक समाज' जैसे अग्रणी में जुटे रहे। सेवा संगठनों से भी जुड़े रहे। आप पाँच वर्ष तक
आ0-(1) इ0 अ0 ओ0, भाग-2, पृष्ठ-395 ग्राम पंचायत प्रभातपट्टन के सदस्य एवं सरपंच भी
श्री दीपचंद जैन रहे। वर्तमान स्थिति के सन्दर्भ में आपके विचार हैं- श्री दीपचंद जैन, पुत्र-श्री धरमचन्द जैन का
'मुझे आज यह सोचकर दु:ख होता है कि देश जन्म 1917 में जबलपुर (म0प्र0) में हुआ। 1942 में व्याप्त भ्रष्टाचार, आपराधिकता, सच्चाई का दमन के भारत छोड़ो आन्दोलन में 9 माह के कारावास किस हद तक हो रहा है। क्या इसीलिये हमने की सजा आपने काटी। काली दाल एवं लाठियां खाईं, यातनायें सहीं। मैं इस आ0-(1) पा) प्र0 स्व0 सै0, भाग-1, पृष्ठ-59 (2) अन्याय एवं दुराचार के खिलाफ लड़ता रहूँगा। सतत स्व०
स्व० स० ज), पृष्ठ-118 संघर्ष का
श्री दीपचंद जैन आ0 (1) प0 जै0 इ0, पृष्ठ-536 (2) बैतूल जिला स्व0
जबलपुर (म0प्र0) के श्री दीपचंद जैन, पुत्र-श्री स0 सै० सूची (3) स्व0 पा) (4) पत्र श्री गुलाब राव जैन
बन्शीलाल का जन्म 1919 में हुआ। आप 'चर्खा संघ श्री दीपचंद गोठी
सेवाग्राम' में काफी समय तक रहे। 1940 के व्यक्तिगत पिता ने ब्रिटिश सरकार से सहयोग किया पर सत्याग्रह में नौ माह, आन्ध्र प्रदेश की महबूब नगर पुत्र विद्रोह पर उतर आया। ऐसे विद्रोही श्री दीपचंद जेल में तथा नौ माह खंडवा तथा अकोला की जेलों गोठी का जन्म 1897 में बैतूल (म0प्र0) में हआ। में आपने बिताये। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन आपके पिता का नाम श्री लक्ष्मीचंद था। आपके पूर्वज में आप पुन: गिरफ्तार हुए और || माह 20 दिन श्री शेर सिंह जी 1846 में रासबाबरा (जोधपुर) से का कारावास भोगा। खादी प्रचार में विशेष योगदान बैतल आकर बस गये थे। लक्ष्मीचंद जी प्रसिद्ध देने वाले श्री जैन जातिवाद के सख्त विरोधी थे। उद्योगपति एवं जमींदार थे। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान
आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै०), भाग-1, पृष्ठ-59 उन्होंने अंग्रेजों की अनेक तरह से सहायता की थी,
श्री दीपचंद बख्शी किन्तु पुत्र दीपचंद बचपन से ही दयावान एवं सेवाभावी थे। युवा होकर आप बैतूल सेवा समिति के नायक
जागीरदारों के परिवार में दिनांक 24 अगस्त बने। ब्रिटिश शासन के प्रति विद्रोह आपकी नस-नस
1920 को जन्मे श्री दीपचंद बख्शी , पुत्र- श्री में समाया हआ था। 1930 में आप राष्ट्रीय कांग्रेस चिरंजीलाल को सरकार का वफादार होना चाहिये के सदस्य बने एवं स्वतंत्रता-यज्ञ में भरपर योगदान था, लेकिन बख्शी जी ने स्वतन्त्रता संग्राम में कूदने दिया। समस्त वैभव को ठकरा कर नले पांवों राष्टीयता को अधिक श्रेयस्कर समझा और 8 वर्ष की आयु में का अलख जगाने के लिए पद यात्रायें की। 1934 हो राजनीति में सक्रिय कार्य करने लगे। आप के जंगल सत्याग्रह में आपको गिरफ्तार कर लिया गया। मित्र-मंडल, प्रेम-मंडल जैसी संस्थाओं के सदस्य 1936 में जब प्रांतीय धारासभाओं के चुनाव हुए बन गये। जयपुर में राज्य प्रजामंडल के आंदोलन में तो आप कांग्रेस की तरफ से एम0 एल0 ए0 चुने आपने सक्रिय योगदान के साथ ही आंदोलनकारियों गए। अनेक समाज हितकारी प्रवृत्तियों एवं की आर्थिक सहायता भी की। तत्कालीन राजनीति
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