________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
174
स्वतंत्रता संग्राम में जैन आजादी के पश्चात् आप 'भूदान' आन्दोलन 1937 में डोषी जी व्यापारार्थ झालौदा (गुजरात) की ओर सक्रिय हए और गढ़ाकोटा क्षेत्र की पैतक आ गये। 1942 के भारत छोडो आन्दोलन में वे दोहद भूमि में से कुछ भाग दान में दे दिया तथा वहीं के आसपास के गांवों में घूम-घूमकर 'करो या मरो' निर्धन तथा बेसहारा महिलाओं के लिए 'मातृसदन' का प्रचार करने लगे। दोहद में ही बड़े साहस के साथ तथा 'अस्पताल' की स्थापना की। 1958 में असामान्य उन्होंने जिलाधीश के भवन की तीसरी मंजिल पर परिस्थितियों में आपका निधन हो गया।
तिरंगा झण्डा पहरा दिया। वे घटना स्थल पर ही आ) (1) म0 प्र0 स्व) सौ), भाग-1. पृष्ठ--55. (2) गिरफ्तार कर लिये गये और छह माह की सजा तथा स्व) स) ज0, पृष्ठ-115, (3) जै) सारा) अ0, पृष्ठ-58
एक सौ रुपये का अर्थदण्ड पाया। अर्थदण्ड न देन
· पर दो माह की सजा और भुगतनी पड़ी। इन दिनों श्री टेकचंद जैन
वे सावरमती जेल में रहे। जेल से निकलने के बाद श्री टेकचंद जैन, पुत्र-श्री वंशीलाल का जन्म छह माह वे पूज्य बापू के सम्पर्क में रहे। बाद में वे 1921 में वारासिवनी, जिला- बालाघाट (म0प्र0) में अपनी मातृभूमि कुशलगढ़ आ गये और आदिवासी हुआ। 1940 में युद्ध विरोधी सभाओं तथा 1941 में क्षेत्रों में जन-जागरण हेतु समर्पित भाव से काम करने व्यक्तिगत सत्याग्रहियों की सभाओं का आयोजन लगे। आपने किया। 1942 के आन्दोलन में 22 अगस्त को कुशलगढ़ में 1944 में प्रजामण्डल की स्थापना आप गिरफ्तार कर लिये गये तथा 17 अक्टूबर का श्रेय डोषी जी को ही है। प्रजामण्डल के माध्यम 1943 तक बालाघाट एवं अकोला जेलों में नजरबन्दी से उन्होंने जनता को नागरिक अधिकार और सुविधायें की सजा भोगी। आप नोटिफाइड एरिया कमेटी, देने हेतु आन्दोलन किया साथ ही प्रौढ़शालायें और वारासिवनी के सदस्य भी रहे।
चलते-फिरते दवाखाने शुरू करवाये। 1946 में हरिजन आ06) मा प्र) स्व) सै0, भाग-1, पृष्ठ-178 उद्धार और अस्पृश्यता निवारण में भी उन्होंने महती
भूमिका निभाई। उनके प्रयास से ही कुशलगढ़ में श्री डाडमचंद डोषी
गांधी आश्रम एवं खादी केन्द्र की स्थापना हुई थी। दोहद (गुजरात) में जिलाधीश भवन की तीसरी
कुशलगढ़ प्रजामण्डल के अन्य जैन कार्यकर्ताओं में मंजिल पर चढ़कर तिरंगा झण्डा फहराने वाले कुशलगढ़ श्री कन्हैया लाल जैन, कान्तिलाल शाह, पन्नालाल शाह, (राजस्थान) के श्री डाडमचंद डोषी का जन्म एक किशनलाल डोषी, शोभागमल डोषी आदि के नाम दिसम्बर 1912 को हुआ! डोषी जी अपनी शिक्षा उल्लेखनीय हैं। समाप्त कर झाबुआ राज्य की राजकीय सेवा में लग आ0 (1) जैन संस्कृति और राजस्थान, पृष्ठ-313, (2) गये। अपनी राष्ट्रीय विचारधारा के कारण वे हर रा() स्वर) सं), पृष्ठ- 521, ( 3 ) इ.) अ) ओ), भाग-2, पृष्ठ-401 जन-आन्दोलन में भाग लेते थे। झाबुआ राज्य से जब
श्री डालचंद जैन श्री कन्हैयालाल वैद्य, बालेश्वर दयाल मामाजी और गोटेगांव, जिला-नरसिंहपुर (म0प्र0) के श्री भूपेन्द्रनाथ त्रिवेदी का निर्वासन हुआ तो डोषी जी ने डालचंद जैन, पुत्र-श्री छब्बीलाल का जन्म 1900 उन्हें अपने घर ठहरा लिया, इसी अपराध में उन्हें में हुआ। 1930 से ही आप रा0 आ0 में सक्रिय राजकीय संवा से हाथ धोना पड़े।
हो गये थे। 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह व 1942 कं
For Private And Personal Use Only