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प्रपा खण्ड
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छोटेलाल जैन
और प्रजामंडल के माध्यम से जब-तब मौका हाथ आते वीर छत्रसाल की भूमि बुन्देलखण्ड 'वीरप्रसूता ही- 'माँ भारती जिंदाबाद, अंग्रेजो भारत छोड़ो' आदि भूमि' के नाम से जानी जाती है। बुन्देलखण्ड में नारों को बुलंद करता आगे बढ़ता रहा। परिणामस्वरूप
पन्ना, छतरपुर, झाँसी, दतिया, अंग्रेज-शासन (तब इस क्षेत्र में नौगांव एजेंसी थी।) सागर जैसे कछ बडे राज्य के दमन का शिकार भी होता रहा. गिरफ्तार होता रहा उस समय थे, छोटी-छोटी जेल भुगतता रहा पर दमन चक्रों की मार सहते हुए रियासतें तो कई थीं। इसी भी स्वतंत्रता देवी का दामन नहीं छोड़ा। जेल से वापस वीर प्रसूता भूमि के छतरपुर आते देरी नहीं होती कि दूसरे कार्यक्रमों की अगुवाई जिले में प्रसिद्ध तीर्थ तथा करने के लिए तैयार हो जाते।
। मूर्तिकला की अनुपम धरोहर आपने 1939 के जंगल सत्याग्रह में अगुवाई खजुराहो है, जहाँ से 10-15 किलोमीटर दूर की, जंगल कटवाया और दो माह बिना मुकदमा चले शस्य-श्यामला भूमि पर है ग्राम अकोना। इसी अकोना ही राजनगर में बंद रहे। पनः जोर-शोर के साथ के श्री दरबारीलाल जैन के घर 1908 में एक आंदोलनों में भाग लिया। भतपूर्व लोकसभा सदस्य श्री दिन बधाईयां बजने लगीं, जब चार संतानों में इकलौते
रामसहाय तिवारी के साथ नौगांव एजेंसी जेल में पुत्र छोटेलाल का जन्म हुआ। लाडले-दुलारे
साथ-साथ रहे, क्योंकि 'चरण-पादुका गोलीकांड' में छोटेलाल को माता-पिता के स्नेह के साथ-साथ
आप शामिल थे। काफी मार पड़ी थी। पैरों में काफी अपने ताऊजी व बड़ी माँ का भी दुलार भरपूर मिला।
7 चोटें आई थीं, जिससे चलने-फिरने में तकलीफ क्योंकि परिवार में मात्र यही इकलौते पुत्र थे।
शुरू हो गई थी किन्तु भारत-माँ का सपूत बिना लाड्-प्यार ने कुछ विशिष्ठ उपलब्धियां भी दी। स्वतंत्रता प्राप्त करे-चुपचाप बैठने वाला कहां था। हर घर में ही सामान्य शिक्षा का प्रबन्ध हो गया। धीरे- बार एक नया जोश, नया संकल्प मन में उभरता धीरे शिक्षा के प्रति जागरूकता उत्पन्न हुई और इतनी और पन: किसी सत्याग्रह-आंदोलन-धरना-पिकेटिंगबढ़ी कि जैन धर्म के ग्रंथों के अलावा आपने वैद्यक
जुलूस में सोत्साह शामिल हो जाते। 1939 से 1947 और ज्योतिष का गहन अध्ययन किया, जो अंत तक
तक आप कई बार जेल गए। बना रहा ।
___ गांधी जी के करो या मरो आंदोलन के दौरान देश में स्वातंत्र्य आंदोलन धीरे-धीरे चंहु और झंडा लेकर नेतृत्व करते हुए ग्रामवासियों को साथ फैल रहा था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की एक आवाज में
वाज लेकर आगे बढ़ते गए। जेल में आपका जनेऊ उतार पर देश के नौजवान प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से आंदोलन
लिया गया और खाने-पीने की जबरदस्ती की गई में भाग लेने हेतु अपने-अपने घरों की, गांवों की, कस्बों
किन्तु स्वतंत्रता की बलि-बेदी पर न्यौछावर होने की दीवारों को लांघ कर बढ़-चढ़ कर भाग लेने लगे
वाले इस युवक ने सभी कैदियों के बीच सिंहनाद में थे। ऐसे वातावरण में वीर प्रसूता भूमि का यह लाड़ला
घोषणा की कि-'जब तक जनेऊ नहीं मिलेगा और कैसे अछूता रहता। वह भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद
छना हुआ पानी, तब तक मैं एक बूंद भी अन्न-जल पड़ा। ग्रामों में चुपचाप, स्वतंत्रता की अलख जगाता,
ग्रहण नहीं करूंगा' शासन को झुकना पड़ा और तब गांधी बाबा का संदेश सुनाता, लोगों को एकत्र करता
आपने अन्न-जल ग्रहण किया।
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