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श्री चन्दनमल कूमठ
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श्री चन्दनमल कूमठ का जन्म 1914 में नारायणगढ़ (मन्दसौर) म0प्र0 में हुआ। आपके पिता का नाम श्री मूलचंद कूमठ था। आपका मत था कि 'जब तक हम अपने देशवासियों में जागरण की भावना पैदा नहीं करेंगे, तब तक हमारे सत्याग्रह और आंदोलन उपयोगी सिद्ध नहीं हो सकते। अशिक्षा छुआछूत, कुरीतियां, सामाजिक रूढ़ियाँ और वर्गभेद आदि नहीं मिटाया गया तो हम कभी स्वराज्य नहीं ला सकते और यदि मिल भी गया तो उसे टिका नहीं सकते।'
प्रजामण्डलों के कार्यक्रमों को पूरे मनोयोग व योजनाबद्ध तरीके से चलाने में आप अपने साथियों में सदैव सराहे जाते थे। अफीम कटोत्री काण्ड में प्रजामण्डल के निर्देश पर विद्यार्थी जी के नेतृत्व में जब कूमठ जी ने गांव-गांव जाकर किसानों को संगठित किया और सरकार के विरुद्ध वातावरण बनाया तब सरकार तिलमिला उठी और खीजकर पुलिस ने विद्यार्थी जी व कूमठ जी को गिरफ्तार कर लिया। दो साल तक मुकदमा चला, बाद में दोनों को मनासा कोर्ट ने ससम्मान बरी करते हुए पुलिस को ताड़ना दी और भविष्य में इस प्रकार भूल नहीं दोहराने की हिदायत भी दी।
कूमठ सा) ने श्री हार्टन के सम्मुख नारे लगाए थे कि 'हार्टनशाही मुर्दाबाद', 'लालफीताशाही मुर्दाबाद', 'विदेशी गोरे लंदन जाओ', 'भारत माता की जय', 'महात्मा गांधी की जय'। यह उस समय की बात है जब भानपुरा (म0प्र0) में पुलिस आंदोलनकारियों पर जुल्म ढा रही थी। हार्टन स्वयं गरोठ गये थे और वहाँ से लौट रहे थे।
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स्वतंत्रता संग्राम में जैन
कूमठ जी का साहसी व दबंग व्यक्तित्व त्याग तपस्या एवं राष्ट्रधर्म से अभिषिक्त था। वे जेल गये और जेल से छूटते ही फिर पहले से भी अधिक जोश के साथ काम में जुट गये। उन्हें जितना भी तपाया गया वे उतने ही अधिक खरे होते गये। विद्यार्थी जी के साथ निमाड़ तथा कुछ समय तक झाबुआ क्षेत्र में भी आपने सेवा कार्य तथा जनजागरण का कार्य किया था।
आ०- (1) म0प्र0 स्व) सै), भाग 4, पृष्ठ 214, (2) स्व) स) म०, पृ0 58-59
श्री चन्द्रभूषण पुरुषोत्तम बानाईत
विधि स्नातक श्री चन्द्रभूषण पुरुषोत्तम राव बानाईत का जन्म ग्राम - साबंगा, तहसील - सौंसर, जिला-छिन्दवाड़ा (म0प्र0) में 7 जून 1919 को हुआ। आपके पिता श्री पुरुषोत्तम राव इस क्षेत्र के गणमान्य तथा प्रभावशाली व्यक्ति थे, वे लोकल बोर्ड के अध्यक्ष जीवन के आखिरी काल तक रहे, परिणामतः चन्द्रभूषण जी को राजनीति विरासत में मिली। पुराने म०प्र० के नागपुर में 'राष्ट्रीय युवक 'संघ' नामक एक क्रान्तिकारी संगठन था । इसके माध्यम से चन्द्रभूषण जी पूज्य महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, विनोबा भावे, काका कालेलकर, दादा धर्माधिकारी आदि व्यक्तियों के सम्पर्क में आये ।
1942 में जब बानाईत जी लॉ कालेज में पढ़ते थे तब गांधी जी के आह्वान पर भारत छोडो आन्दोलन में सहभागी हुये। 1942 में ही नागपुर तेलनखेडी बमकाण्ड में आपको अभियुक्त बनाया गया, फलत: नागपुर जेल में ग्यारह माह तक बन्द रहे। जेल से छूटने के बाद 1943 में महाराष्ट्र के छात्रों का सम्मेलन आपने किया, जिसका उद्घाटन महाराष्ट्र के महान् क्रान्तिकारी नेता सेनापति बापड़ जी ने किया, इस सम्मेलन में यूनियन जैक जलाया गया था, परिणामस्वरूप पुनः आपकी गिरफ्तारी हेतु वारंट जारी किया गया, लेकिन
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