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प्रथम खण्ड
127 तिरंगा झण्डा निकाला तो सरकार ने इन्हें गिरफ्तार बताया कि श्री गंधू गौड़ तथा गिरधारी लाल सोनी करके जेल में लूंस दिया तथा चाकसू के पास गढ़ की प्रेरणा से 1929-30 में आप स्वाधीनता आन्दोलन में बन्द कर दिया। यहां पर पूर्व में ही श्री रामकरण में कूद पड़े। 1942 में डिण्डोरी से गोरखपुर रोड़ पर जोशी एवं अन्य तीन सौ व्यक्ति बन्द थे। करीब 5वें मील पर धावाधार एवं कुकुरामठ के आसपास + माह की जेल भुगतकर जब बाहर आए तो श्री आप गिरफ्तार कर लिये गये। कुकुरामठ में आपने जमनालाल जी बजाज के नेतृत्व में संगठित होकर भाषणबाजी और कांग्रेस का प्रचार किया था। तिरंगा स्वतंत्रता संग्राम के पुनीत कार्य में लग गये। झंडा आपके हाथ में था। और लोग भी गिरफ्तार हुए
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् आप जलदाय विभाग थे, जिनमें एक कोल आदिवासी भी था। आप तीन में हैल्पर की नौकरी करके जीवन यापन करते रहे दिन डिण्डोरी जेल में रहे। आपने तितराही, पाटन, तथा जब सरकार ने आपको स्वतंत्रता सेनानी घोषित वल्लापुर आदि ग्रामों में स्वतंत्रता का प्रचार किया किया तब उससे प्राप्त पेंशन से अपने परिवार का था। लगान न देने का प्रचार करने के कारण भी जीवन यापन करते रहे। दिनांक 20 फरवरी 1994 आप अनेक बार गिरफ्तार होते-होते बचे थे। को स्वतंत्रता संग्राम का यह सेनानी एवं दौसा का
आO-(1) स्व) प0, (2) अनेक सम्मान पत्र। गर्व हमेशा के लिए हम सबको छोड़कर चला गया।
श्री कस्तूरचंद जैन आ) (1) जैन गजट, 17/3/1994, (2) श्री संतोष
श्री कस्तूरचंद जैन के पिता का नाम श्री सिंघई, दमाह द्वारा प्रेपित परिचय
पूर्णचंद जैन था। आपका जन्म सागर (म0प्र0) में श्री कस्तूरचंद जैन
हुआ। 1932 के नमक सत्याग्रह में आप अहमदाबाद आजादी के दीवानों को कैसे-कैसे कष्ट झेलने में गिरफ्तार हुए थे। सागर के स्वतंत्रता सेनानियों की पड़े और आज भी झेल रहे हैं, इसके प्रत्यक्ष सूची में आपका नाम दर्ज है। आपके अनुज श्री उदाहरण हैं श्री कस्तूरचंद
पदम कुमार जैन सराफ (सागर) सक्रिय सेनानी रहे जैन, जो पूज्य आचार्य श्री
हैं उनका विस्तृत परिचय इसी ग्रन्थ में है।
आ) (1) आ) दी), पृ0 11, (2) श्री पदम कुमार जैन विद्यासागर जी महाराज के
द्वारा प्रपित परिचय डिण्डोरी (मण्डला) प्रवास के समय, कई किलोमीटर
श्री कामताप्रसाद शास्त्री चार पहिये के ढेले पर दमोह (म0प्र0) के श्री कामताप्रसाद शास्त्री,
बैठकर उनके दर्शनार्थ आये। पुत्र-श्री मूलचंद जैन का जन्म 1-1-1915 ई0 को श्री जैन एक छोटे से ग्राम- गोरखपुर (डिण्डोरी) में
मा हुआ। मिडिल पास कर अकेले रहते हैं। अधिक उम्र होने से शरीर शिथिल
आपने कटनी के प्रसिद्ध जैन पड़ गया है, आखों से दिखाई नहीं देता। एक दुर्घटना
विद्यालय में अध्ययन किया, के कारण चलने-फिरने में असमर्थ हैं फिर भी
अनन्तर बनारस के जैन शासन से कोई सहायता उन्हें नहीं मिल रही है।
क्रान्तिकारियों के गढ़ स्याद्वाद श्री जैन का जन्म 1912 के चैत्र महीने में
महाविद्यालय में अध्ययनार्थ हुआ, पिता का नाम श्री कन्हैया लाल जैन था। आपने
चले गये और वहाँ से शास्त्री
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