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प्रथम खण्ड
147 श्री गुलाबचंद सेठ
श्री गेंदालाल छाबडा पिण्डरई, जिला- मण्डला (म0प्र0) के श्री जयपुर (राजस्थान) के श्री गेंदालाल छाबड़ा ने गुलाबचंद सेठ, ग्राम के प्रतिष्ठित व्यक्ति रहे पर देश 1930 में, राष्ट्रसेवा में ही जीवन भर कर्मठ रहने की प्रेम के कारण आप आजादी की लड़ाई में कूद पड़े प्रतिज्ञा की थी। उन्होंने सभी आन्दोलनों में भाग और 1942 के आंदोलन में 6 माह की जेल यात्रा को लिया, वे श्री कपूरचंद पाटनी के घनिष्ठ सहयोगी रहे आ) । । स) रा) 0
हैं। अनेक बार पलिस ने उन्हें पकड़ा (पर अपराध श्री गेंदमल देशलहरा
प्रमाणित न कर पाने के कारण) और 50-60 मील श्री गंदमल देशलहरा (जैन), पत्र-श्री हंसराज दूर जंगलों में छोड़ दिया। अनेक यातनायें भी उन्हें जन का जन्म 15 अगस्त 1902 ई0 को हआ। आप सहन करना पड़ा। ग्राम नेवारो (गुण्डरदेही), जिला- रायपुर (म0प्र0) आ- (1) रा) स्व) से0, पृ0-605 के निवासी है।
श्री गेंदालाल जैन 1920 में महात्मा गांधी के आदेशानुसार आपने इंदौर (म0प्र0) के गेंदालाल जैन, पुत्र श्री अंग्रेजी शिक्षण का बहिष्कार कर दिया और कांग्रेस बिरदीचंद जैन का जन्म 1 मार्च 1927 को हुआ। कार्यों में लग गये। 1930 में राष्ट्रीय कार्यों के उपलक्ष्य 1942 में आजादी के आन्दोलन में भाग लेने पर में सरकार द्वारा । साल सख्त कैद की सजा एवं 50/ दिनांक 23-2-43 से 23-6-43 तक आपको इन्दौर जर्माना की सजा आपने पाई और सेन्ट्रल जेल रायपुर जेल में रखा गया। में रहे। विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार कर दुर्ग में स्वदेशी
आ) (1) म) प्र0 स्व) सै0, भाग-4, पृष्ठ-17 वस्त्रों का कारखाना (खादीभण्डार का कार्य) आपने
श्री गेंदालाल जैन प्रारम्भ किया। आपने रामगढ़ कांग्रेस की पैदल यात्रा को और आठ माह तक प्रान्तों का पैदल भ्रमण कर
इन्दौर (म0प्र0) के श्री गेंदालाल जैन, पुत्र-श्री कांग्रेस का प्रचार-कार्य किया।
शैतानमल जैन का जन्म 28 जून 1918 को हुआ। आ) (1) म0 प्र) स्व() सै0, भाग (05, पृष्ठ-109 (2)
1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में आपने सक्रिय योगदान दिया। आन्दोलन के दौरान ही आपको गिरफ्तार
कर लिया गया और 9 सितंबर 42 से 25 जनवरी 43 श्री गेंदमल पोखरना
तक के कारावास की सजा आपको दी गई। आपके श्री गंदमल पाखरना (ओसवाल) का जन्म अनुज श्री आनन्दी लाल ने भी जेलयात्रा की थी। रामपुरा, जिला-मन्दसौर (म0प्र0) में हुआ। श्री रामलाल
आ)-(1) म0 प्र0 स्व) सै0, भाग-4, पृष्ठ-18 पोखरना, श्री मधुप, श्री रामबिला, किशन लाल पोरवाल आदि आपके प्रमुख साथियों में से थे।
श्री गोकलचंद जैन इन्होंने इंदौर तथा रामपुरा दोनों स्थानों पर आंदोलन में सिलवानी, जिला-रायसेन (म0प्र0) के श्री भाग लिया। अनेक बार पुलिस की मार खाई, किन्त गोकलचंद जैन, पुत्र-श्री जवाहरलाल जैन का जन्म प्रदर्शन करने में कभी पीछे नहीं रहे। पोखरना जी 1918 में हुआ। 1949 के भोपाल राज्य विलीनीकरण को भारत छोडो आंदोलन के मध्य इंदौर में गिरफ्तार आन्दोलन में आपने भाग लिया तथा एक माह के किया गया व सेन्ट्रल जेल इंदौर में रखा गया। कारावास की सजा भोगी। आ) (1) स्व0 स0 म0, पृ०--137
आ)-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-5, पृष्ठ-71
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