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प्रथम खण्ड
145 'अग्रगामी दल' (फारवर्ड ब्लाक) निर्मित किया तब आO- (1) म0 प्र0 स्व) सै0, भाग-2, पृष्ठ-20, पाटन, जिला-जबलपुर (म0प्र0) से भी अनेक (2) आ() दी0, पृष्ठ 39 कांग्रेस-कर्मी उसमें कूद पड़े। तरुण राष्ट्रीय कार्यकर्ता
श्री गुलाबचंद जैन श्री गुलाबचंद, पुत्र श्री मूलचंद जैन भी इसी उग्र श्री गुलाबचंद, पुत्र-श्री रूपचंद का जन्म 1913 विचारधारा के अनुगामी बने। आपका जन्म 2 सितम्बर में म0प्र0 के रायपुर जिले में हुआ था। आपने 1921 का शहपुरा (म0प्र)) में हुआ था। शहपुरा क्षेत्र माध्यमिक शिक्षा ही ग्रहण कर पाई। देश की स्वतंत्रता के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में आप अग्रणी रहे। 1942 की रक्षा में तत्पर श्री जैन ने राष्ट्रीय आंदोलन में की जनक्रांति के दौरान कांग्रेस की अपने सूत्रधारों भाग लिया और 8 माह 13 दिन का कारावास भोगा के आकस्मिक बंदी बना लिये जाने से पथ निश्चित
आ0- (1) म0 प्र0 स्व0 सै), भाग-3, पृष्ठ-20 नहीं कर पा रहे थे। इसी बीच भूमिगत कार्यकर्ता श्री नानक चंद नामदेव और टीकाराम ‘विनोदी' शहपुरा
श्री गुलाबचंद जैन 'वैद्य' आय। वे गुप्त रूप से खैरी के ठाकुर मोहन सिंह के श्री गुलाबचंद जैन ढाना, जिला-सागर यहाँ ठहराये गये, उन्होंने क्रांति का संदेश स्थानीय (म0 प्र0) के निवासी हैं। आपके पिता का नाम श्री कार्यकर्ताओं को दिया। तोड़-फोड़ की योजनायें बनायी
वलजूराम था। अपना परिचय जा रही थी। इसी बीच श्री गलाब चंद पलिस द्वार
देते हुए आपने लिखा है कि एकाएक गिरफ्तार कर लिये गये तथा केन्द्रीय कारागार
'मैं राष्ट्रप्रेम की पवित्र भावना जबलपुर भेज दिये गये। वहाँ आप सितम्बर 1942
से प्रेरित होकर राष्ट्रीय कांग्रेस से नवम्बर 1943 तक भारत रक्षा कानून की धारा 129)
से सन् 1930 से ही जुड़ गया व 20 के अन्तर्गत बन्दी रहे। जेल से मुक्त होने पर
था परन्तु सक्रिय कार्य करने आप कांग्रेस संगठन में जुट गये। स्वतंत्रता के पूर्व 1945
का मौका 1941-42 के दौरान से 47 तक आप परगना कांग्रेस के मंत्री रहे थे। मिला। उन दिनों स्वराज्य की तूफानी लहर चल रही स्वतंत्रता के पश्चात् आर्थिक कारणों से आप सार्वजनिक थी। प्रभात फेरियां, झंडा वंदन, सभायें, चरखा कातने राजनीति से विरक्त हो गये थे।
आदि के प्रोग्राम होते रहते थे। अंग्रेजी सरकार ने आ) (1) म) प्र) स्व) से), भाग-1, पृष्ठ-41, गांव-गांव में डिफेंस सोसायटियां बनाकर जनता के (2) श्री राकेश जैन, शहपुरा द्वारा प्रेषित परिचय, (3) स्वा) सर)
दमन का कार्यक्रम बनाया था। सरकार तो जैसे पा), पुर) ३
मानों बौखला ही गयी थी। स्वराज्य का नाम लेने पर श्री गुलाबचंद जैन
लाठी गोली का सामना हो जाता था। सागर (म0प्र0) के श्री गुलाबचंद जैन, पुत्र- एक दिन हमारे ग्राम में डिफेंस के नाम पर श्री नानूराम जैन का जन्म 1920 में हुआ। आप सभा हुई, गांव के सभी प्रतिष्ठित आदमी बुलाये गये प्राथमिक तक शिक्षा ग्रहण कर 1942 के भारत सबको कुर्सियां डाली गयीं, बीच में अंग्रेज डी0एस0पी0 छोड़ो आन्दोलन में सक्रिय हो गये। आपने बम बनाने बैठा, उसने मेरा नाम लेकर पुकारा और कहा-"टुम में सहयोग दिया, गिरफ्तार हुये व 3 वर्ष का गांव का गुंडा हाय। टुम लोगों को अंग्रेजी सरकार के कारावास तथा 100/ रु) का अर्थदण्ड भोगा। बाद खिलाफ भड़काता हाय, अखबार सुनाता हाय, और में आप जबलपुर प्रवासी हो गये।
अफवाहें फैलाता हाय। हम तुम्हारा गर्दन टोड़ डेगा।"
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