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. स्वतंत्रता संग्राम में जैन सत्याग्रह संचालन के संबंध में आप दो बार राष्ट्रपिता कासलीवाल जी 1946 में नगरपालिका के महात्मा गांधी से मिले। गांधीजी ने जयपुर राज्य अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 1946 से 51 तक वे राजकीय, प्रजामंडल के सत्याग्रह संचालन की प्रशंसा में उन्हें राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सौ से अधिक एक पत्र लिखकर दिया। दूसरी बार मिलने पर संस्थाओं और समितियों के अध्यक्ष, संरक्षक, सलाहकार गांधीजी ने सत्याग्रह बंद करने की आज्ञा दी। जयपुर और सदस्य रहे। जयपुर के कांग्रेस अधिवेशन में उन्होंने सत्याग्रह बंद होने पर श्री कासलीवास खादी उत्पादन स्वागत समिति के एक संयोजक के रूप में महत्त्वपूर्ण के कार्य में लग गए।
कार्य किया। 1942 में जयपुर राज्य प्रजामंडल ने ब्रिटिश अखिल भारतीय देशी राज्य प्रजा परिषद् के विरोधी आंदोलन के लिए जो नीति स्वीकार की थी उदयपुर अधिवेशन में श्री कासलीवाल ने ही सबसे उससे असंतुष्ट होकर कासलीवाल जी ने प्रजामंडल पहले राजपूताने की सभी रियासतों को मिलाकर एक से त्यागपत्र दे दिया और अपने अन्य साथियों के साथ राज्य बनाने का प्रस्ताव रखा था। जिसे सर्व सम्मति आजाद मोर्चे में शामिल हो गए। आजाद मोर्चे का से स्वीकृत किया गया था। कार्यालय आपके निवास पर ही था। आजाद मोर्चे ने कासलीवाल जी 1952 में जयपुर शहर से राज्य भारत छोडो आंदोलन के रूप में स्वतंत्रता संग्राम को विधानसभा के लिए कांग्रेस टिकट पर सदस्य चुने गए। जयपुर राज्य के कोने-कोने में फैलाया। आंदोलन में एसेम्बली में वे कांग्रेस के मुख्य सचेतक रहे। इसके काफी तेजी आ गई थी। 9 सितम्बर 1942 को श्री अतिरिक्त वे अरबन इम्प्रूवमेंट बोर्ड के अध्यक्ष बनाए कासलीवाल के मकान की 6 घंटे तक तलाशी होती गए और अंत में 1956 में राज्य के एडवोकेट जनरल रही। अंत में वे गिरफ्तार कर लिए गए तथा 6 महीने बने। तक जेल में रहे, जिसमें दो हफ्ते की कालकोठरी की कासलीवाल जी सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया के भी सजा उन्हें दी गई।
एडवोकेट, रायल-इंडियन सोसाइटी, लंदन के फैलो, भारत छोडो आंदोलन समाप्त होने पर अन्तर्राष्ट्रीय कमीशन आफ जरिस्टस के सदस्य बार श्रा कासलीवाल पुनः प्रजामंडल में सम्मिलित हो गए।
एसोशिएशन आफ इंडिया के फाउन्डर मेम्बर तथा
आजीवन सदस्य रहे थे। वे निरंतर कई वर्षों तक जयपुर राज्य प्रजामंडल के ना
आ()- (1) रा) स्व) से0. पृष्ठ-553. (2) जै0 सा वृ) कोषाध्यक्ष रहे। उन्होंने प्रजामंडल की राज्यव्यापी सभी ।
| समा इ), पृष्ठ- 205 प्रवृत्तियों में उत्साह से भाग लिया। 1943-44 में प्रजामंडल ने श्री कासलीवाल को जयपुर नगरपालिका
श्री गुलाबचंद जैन के लिए खडा किया और वे विजयी हए। 1945 में 1939 में जब कांग्रेस के गांधीवादी वर्ग ने जयपुर में लेजिसलेटिव कौंसिल और रिप्रिजेंटेटिव
। तत्कालीन कांग्रेस के अध्यक्ष एसेम्बली के चुनाव हुए।कासलीवाल जी जयपुर से
नेताजी सुभाषचंद बोस को लेजिसलेटिव कौंसिल के प्रत्याशी थे। जयपुर शहर के
सहयोग न देकर उनके चुनाव का श्रेय भी श्री कासलीवाल को ही था। जयपुर
नेतृत्व को चुनौती दी और शहर से प्रजामंडल के सभी प्रत्याशी विजयी हुए। श्री
उसके फलस्वरूप नेताजी ने कासलीवाल लेजिसलेटिव कौंसिल में प्रजामंडल के
अपने अनुयायियों सहित मुख्य सचेतक थे।
कांग्रेस का परित्याग कर
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