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स्वतंत्रता संग्राम में जैन थी। आप जीवनपर्यन्त सर्वोदय से जुड़े रहे। 1969
श्री कुसुमकान्त जैन में आपका निधन हो गया।
भारतीय संविधान निर्मातृ परिषद्, भारतीय परिषद् ____ आ0- (1) आ0 दी0, पृष्ठ-34, (2) म) प्रा) स्व0 सै0, एवं मध्यभारत विधान सभा में सदस्य रहे श्री भाग-2, पृष्ठ 14
कुसुमकान्त जैन का जन्म श्री कुन्दनलाल मलैया
23 जुलाई 1921 ई0 को कर्मठ कार्यकर्ता श्री मलैया जी उन सपूतों में
थांदला, जिला- झाबुआ अग्रणी थे, जिन्होंने देश को आजाद कराने में अपना
(म0प्र0) में हुआ। आपके तन-मन-धन होम कर दिया। आपका जन्म स्थान
पिता का नाम श्री पूरनचंद साढूमल (जिला-ललितपुर) उ0प्र0 है। आपके पिता
जैन था। का नाम श्री मोहन लाल मलैया था। 1941 में 6 माह
श्री जैन की प्रारम्भिक शिक्षा की सजा और 100/- का अर्थदंड आपने भोगा। 1942
धर्मदास जैन विद्यालय में हुई। यहां प्रधान अध्यापक में भी एक वर्ष की सजा और 100/- का अर्थदंड
श्री बालेश्वर दयाल थे, जो परम राष्ट्रभक्त थे, और
जिन्होंने आदिवासियों के उत्थान में महत्त्वपूर्ण योगदान पाया, इस प्रकार आप दो बार कारावास में रहे। गांधीवादी विचारधारा के प्रतीक इस स्वतंत्रता संग्राम
दिया है, उन्होंने बालक कुसुमकान्त के कोमल मन
में राष्ट-प्रेम का बीजारोपण किया जो कालान्तर में एक सेनानी ने इस प्रकार शारीरिक यातनाओं के साथ-साथ
लहलहाते पौधे के रूप में परिवर्तित हो गया। यही आर्थिक क्षति भी स्वीकार की थी।
कारण था कि जब 1936 में ब्रिटिश सम्राट् की रजत आ0-(1) जै0 स0 रा0 अ0, (2) र0 नी0, पृ0-85
जयन्ती स्कूल में धूमधाम से मनाने का आदेश लेकर श्री कन्दनलाल समैया (जैन) अंग्रेज पोलिटिकल ऐजेन्ट थान्दला पहुंचा तो श्री जैन
जबलपुर नगर कांग्रेस कमेटी के मंत्री व ने साहस से आगे बढ़कर उसका प्रबल विरोध किया कोषाध्यक्ष रहे श्री कुन्दनलाल समैया (जैन), पुत्र-श्री व रजत जयन्ती का बहिष्कार करने हेतु विद्यार्थियों खबचन्द जैन का जन्म 1919 में बीना (सागर) म0 को संगठित किया, परिणामस्वरूप आपको थांदला प्र0 में हुआ। सत्याग्रह आन्दोलनों को गतिमान् बनाने छोड़ना पड़ा। कोप का शिकार आपका परिवार ही नहीं के लिए छोटे बालकों की वानर सेना के साथ आप बना बल्कि विद्यालय को भी ब्रिटिश सीमा के बाहर 1930 से ही सक्रिय हो गये थे। 1932 में सत्याग्रह जाना पड़ा। आपका अध्ययन अस्त-व्यस्त हो गया। इन्हीं करते हुए गिरफ्तार किये गये व 3 माह जेल में रहे। मुसीबतों के बीच श्री जैन ने 'हिन्दी साहित्य सम्मेलन 1942 के भारत छोडो आन्दोलन में गाडरवारा में प्रयाग' की विशारद परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। गिरफ्तार किये गये तथा लगभग डेढ वर्ष तक जेल देशप्रेम की लौ दिल में दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई। में रहे। नेशनल स्काउट्स के सदस्य के रूप में आपने कुछ दिन विदर्भ केसरी श्री ब्रिजलाल वियाणी उसके राष्टीय कार्यों में सहयोगी रहे। 1939 में हई के राष्ट्रीय साप्ताहिक 'नव राजस्थान' में भी कार्य किया त्रिपुरी कांग्रेस में निष्ठापूर्वक स्वयंसेवक का कार्य तथा फौजपुर (महाराष्ट्र) में आयोजित अ0 भा0 राष्ट्रीय आपने किया था।
कांग्रेस के खुले अधिवेशन में भाग लिया। खादी पहनने ___ आ()- (1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-1, पृष्ठ-35, (2) का व्रत तो पूर्व में ही ले चुके थे, जिसे आज तक स्व) स) ज0, पृ0-89
निभा रहे हैं।
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