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प्रथम खण्ड
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एक्ट के अन्तर्गत एक के स्थान पर तीन हिन्दू सीटें 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन के समय हो गई थीं। नगरीय सीट पर भारी बहुमत से श्री जैन सहारनपुर का जिला कलेक्टर लॉयड जनता को विजयी हुए थे।
अच्छी शिक्षा देना चाहता था। अत: 30 अगस्त श्री जैन किसान कानून के विशेषज्ञ माने जाते 1942 को उसने पुलिस तथा होमगार्डों को साथ थे। वे सहाकारिता आन्दोलन से भी जुड़े रहे। 1938 लेकर सहारनपुर जेल को घेर लिया। जेल में इस के आस पास सरकार ने आपको रूस जाने का समय श्री जैन, ठा0 फूलसिंह और सेठ दामोदर दास पासपोर्ट नहीं दिया, परन्तु उ0प्र0 सरकार के नाराज थे। लॉयड ने बन्दियों को अपने-अपने स्थान पर होने पर केन्द्र सरकार को यह देना पड़ा था और जाने का आदेश दिया परन्तु सभी बंदी एक स्थान श्री जैन विदेश यात्रा पर गये थे। उ0प्र0 में जमींदारी पर इकट्ठे हो गये। स्थिति की गम्भीरता को समझते उन्मलन में भी आपने सक्रिय भमिका निभाई थी। इस हुए वह उस समय तो वापिस चला गया, परन्तु पुनः सन्दर्भ में प्रसिद्ध साहित्यकार और स्वतंत्रता सेनानी रात के ग्यारह बजे जेल पहुँचा और बैठक में बंदी श्री कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' ने लिखा है- 'सारा सत्याग्रहियों पर लाठी चार्ज करवाया। झगडा होने पर किसान कानून उनकी प्रतिभा का बल पाकर सजीव जेल में खतरे की घण्टी बज गई और लॉयड हुआ। संसार भर की किसान समस्या का अध्ययन नौ आदमियों को जेल से ले गया तथा उनका करने के लिए जब वे विदेश गये तो जर्मनी के एक स्थानान्तरण मेरठ जेल में करा दिया, इनमें सम्भवतः पत्रकार ने उन्हें- "संसार के सबसे बड़े कानून कं श्री जैन भी थे। प्रमुख विधाता'' (किसान कानून पर 2400 संशोधन अपने जेल जीवन के विशद अनुभव श्री जैन आये थे) कहा था। आज (1947) जमींदारी की ने रोचक ढंग से वर्णित किये हैं। कुछ अंश हम यहाँ जब्ती के बारे में यूपी0 जो महान् अनुष्ठान कर रही दे रहे हैं-'मुझे सहारनपुर से हरदोई स्थानान्तरित कर है उसके वे मुख्य अंग हैं।'
दिया गया था, जहाँ मैनें अपने जीवन के कुछ सबसे 16-17 दिसम्बर 1939 को मुजफ्फराबाद में सुखद क्षण जिये........ गणेश शंकर विद्यार्थी हमें छोटे पांचवां जिला राजनैतिक सम्मेलन हुआ, इसमें आयोजित भाई की तरह स्नेह करते थे। ....... मुझे जेल में कभी किसान सम्मेलन की अध्यक्षता अजित प्रसाद ने की कोई परेशानी या परिवार से विछोह महसूस नहीं थी। इस राजनैतिक सम्मेलन में कुल चार प्रस्ताव हुआ। .....मुझे खूब याद है कि जेल से जाते हुए पारित हुए थे, जिनमें तीन पर आपने जोशीले भाषण गणेश शंकर विद्यार्थी की आखों में आंसू थे। मेरे रिहा दिये थे।
न हो सकने के कारण उनकी अपनी जेल से छूटने 8 सितम्बर 1941 को सहारनपर में सत्याग्रह की खुशी मद्धिम हो गई थी। ....हमारी जेल में झगडे करते हुए आप गिरफ्तार हए, आपको खतरनाक कैदी बहुत होते थे। ...मुझे याद है कि पुलिस आई0 जी0 मानते हए फतेहगढ़ जेल भेजा गया था। 1942 के की यात्रा के दौरान बहुत नारेबाजी हुई थी और हम में प्रारम्भ में सहारनपुर के दस व्यक्तियों को उग्रवादी से जो इस नारेबाजी के नेता थे, उन्हें एकान्त कोठरियों भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. में भेज दिया गया था। में भी उन्हीं में से एक था।' आपको भी वहराइच में दिये गये भाषण के आधार 1946 में कैबिनेट योजना के अन्तर्गत हुए चुनावों पर गिरफ्तार कर लिया गया था।
में हिन्दू सीट के अन्तर्गत आप सहारनुपर से चुने गये।
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