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प्रथम खण्ड
गोपनीय क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लिया और 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह में जेल यात्रा की। आपको 6 माह की सजा और 15 रू0 अर्थदंड हुआ। आप झांसी तथा बारावकी जेलों में रहे। भारत आजाद होने के बाद भी देशप्रेम की खातिर आप 1948-49 तक प्रांतीय रक्षा दल में रहे।
आ) (1) ० नी०, पृ0-49
डॉ० कपूरचंद जैन
सागर (म0प्र0) के डॉ0 कपूरचंद जैन, पुत्र- श्री नन्हे लाल का जन्म 1919 में हुआ। आपने नागपुर में मेडीकल कॉलेज में अध्ययन के समय शासकीय भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया, फलतः नागपुर में 15 दिन नजरबन्द रहे। राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने के कारण शासकीय सेवा से भी आप वंचित रहे । आ) (1) म0प्र0) स्व0 सै0, भाग 2, पृष्ठ 14, आ दी०, पृ० 35
(2)
श्री कपूरचंद जैन
मागर (म()()) के श्री कपूरचंद जैन, पुत्र- श्री हीरालाल जैन का जन्म 1924 में हुआ। प्राथमिक शिक्षा ग्रहण कर आप 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रिय हो गये और 6 माह का कारावास भोगा । आए (1) म० प्र० स्व0 सै0, भाग 2, पृ0 4, (2) आ 30.50 32
श्री कपूरचंद जैन चौधरी
श्री कपूरचंद चौधरी, पुत्र - श्री दरबारीलाल चौधरी का जन्म दमोह (म0प्र0) में 16-10-1916 को हुआ। आपके चाचा श्री भैयालाल चौधरी दमोह में स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख रहे हैं, जिनकी कलकत्ता- कांग्रेस मीटिंग से लौटते समय हत्या कर दी गई थी। श्री कपूरचंद चौधरी ने विदेशी वस्त्र बहिष्कार आन्दोलन में भाग लिया। 1942 के आन्दोलन में एक आम सभा गाँधी चौक में दि० 14-8-1942
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को हुई । डिक्टेटर के रूप में भाषण देते हुए आप गिरफ्तार कर लिये गये और दि० 15-8-1942 को जबलपुर जेल भेज दिये गये, जहाँ आपको नाना साहब गोखले, श्री के0 देशमुख, राजेन्द्र प्रसाद मालपाणी, छक्कीलाल गुप्ता, जनरल आवारी जैसे नेताओं के सम्पर्क में रहने का अवसर मिला। सरकारी अभिलेखों के आधार पर आपको दो वर्ष छः माह के कारावास की सजा भुगतनी पड़ी। श्री चौधरी कपड़े का व्यवसाय करते हैं।
आ(0) - (1) म) प्र() स्व0 सै0, भाग 2, पृष्ठ 79, (2) श्री संतोष सिंघई द्वारा प्रेषित परिचय |
श्री कपूरचंद पाटनी
'जैन जगत' और 'सुधारक' जैसे पत्रों के सम्पादक रहे श्री कपूरचंद पाटनी, पुत्र - श्री पं0) चन्द्रपाल पाटनी का जन्म 30 जनवरी 1901 को जयपुर (राजस्थान) में हुआ। आपने पं0 अर्जुनलाल सेठी के क्रान्तिकारी विद्यालय, वर्धमान जैन विद्यालय जयपुर में शिक्षा प्राप्त की। सेठी जी का विद्यालय जब इन्दौर चला गया तो आपने महाराजा कालेज, जयपुर में शिक्षा प्राप्त की।
1926 में गांधी जी की प्रेरणा से श्री जमना लाल बजाज की देखरेख में पाटनी जी ने खादी का काम संभाला, साथ में हरिजन सेवा का काम भी करते रहे। 1927 में आप चर्खा संघ में सम्मिलित हो गये। 1933 में आपने इस संघ से त्यागपत्र दे दिया।
पाटनी जी का हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर समान अधिकार था। जहाँ-कहीं पाटनी जी उपस्थित होते वहाँ के प्रस्ताव उनकी कलम से ही लिखे जाते थे। 1931 में अनाज पर कर लगाने के विरोध में जयपुर में जोरदार जन आन्दोलन हुआ। उन्हीं दिनों जयपुर राज्य प्रजामण्डल की स्थापना हुई, दोनों में पाटनी जी की महती भूमिका रही। पाटनी जी प्रजामंडल के आजीवन वफादार सेवक रहे। वे उसके संस्थापक
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