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प्रथम खण्ड भी आप देशहित में समर्पित रहे, अत: अन्त तक भी आप अनेक बार जेल गये पर एक दो रात अपने परिवार के भरण-पोषण हेतु स्थाई साधन नहीं रखकर छोड़ दिये गये, किन्तु शक्कर ब्लैक का विरोध कर सके।
करने पर आपको गिरफ्तार कर लम्बी अवधि के लिये आप जितने कर्मठ थे उतने ही सादगी जेल की सजा दी गई, बाद में श्री सीताराम जाज की पसन्द भी थे। 18 मई 1976 को आपका देहावसान पैरवी पर 10 दिन की सजा भुगतकर मुक्त हो गये हो गया।
और छूटते ही फिर आंदोलन में कूद पड़े। आ0 (1) म) प्र) स्व) सै0, भाग 4, पृष्ठ 234, 1942 के आंदोलन में वरिष्ठ नेताओं के गिरफ्तार (2) जै(10. पृष्ठ 85. (3) जै) जै) यु), पृ.) 228, (4)- पुत्र
हो जाने के कारण नागोरी जी अपने युवादल द्वारा दिलीप कमार द्वारा प्रेपित परिचय
स्वतंत्रता आंदोलन को चालू रखे रहे। स्वतन्त्रता प्राप्ति श्री कन्हैयालाल नागोरी के पश्चात् भी आपने जनजागरण में स्वयं को जावद क्षेत्र से म0 प्र0 विधानसभा सदस्य रहे सक्रिय रखा। आप 1972-77 तक जावद क्षेत्र के
विधायक रहे। श्री कन्हैयालाल नागोरी, पुत्र-श्री नथमल नागोरी का
आ0-(1) स्व0 स0) म0, पृष्ठ-151-152 ॥ जन्म 6 फरवरी 1921 को जमुनियां कला,
श्री कन्हैयालाल परमहंस जिला मन्दसौर (म0 प्र0) इन्दौर (म0प्र0) के श्री कन्हैयालाल परमहंस, में हुआ। आपने 21 वर्ष की पुत्र-श्री नन्दराम जैन का जन्म 25 सितम्बर 1915 युवा आयु में स्वतन्त्रता को हुआ। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में आपने सेनानी बद्रीदत्त भटट के नेतत्व सक्रिय भाग लिया एवं 15 माह 9 दिन का कारावास
भोगा। में स्वतन्त्रता आंदोलन में भाग लेना शुरू किया। श्री जगदीश ऐरन, दशरथ लाल नागर,
आ)- (1) म0 प्र0 स्व) सै०, भाग 4, पृष्ठ 12 बलदेवदास बैरागी, भागीरथ जी पाटीदार आदि युवा
श्री कन्हैयालाल जैन साथियों सहित जुलूस निकालना, सांमतशाही और अंग्रेजों
श्री कन्हैयालाल जैन, पुत्र-श्री नारायण जैन का के विरुद्ध नारे लगाना, पोस्टर लगाना, सूचनाएं प्रसारित
जन्म 1904 ई0 में हुआ। आपने मैट्रिक तक शिक्षा करना आदि आपके प्रमुख काम थे।
ग्रहण की। 1930 से ही आप स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय
हो गये थे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में आपने आंदोलन के दौरान अनेक बार सेनानियों को भाग लिया, फलत: गिरफ्तार हुये और जबलपुर जेल या तो गिरफ्तार कर लिया जाता था या फिर किन्हीं में 8 माह का कारावास भोगा। कारणों से उन्हें भूमिगत हो जाना पड़ता था. तब इस
आ()- (1) म0 प्र() स्व) सै0, भाग 1, पृष्ठ 32, (2) स्व)
१०० यवा दल को सक्रिय होकर मोर्चा सम्हालना पड़ता था। श्री नागोरी की सक्रियता उस समय सराहनीय
वैद्य कन्हैयालाल जैन होती थी। पुलिस इन पर डण्डे बरसाती और पकड़
जिनका सारा परिवार ही स्वाधीनता आन्दोलन
में जेल गया, ऐसे कानपुर (उ0प्र0) के वैद्य कन्हैया कर दूर जंगल में छोड़ आती थी। किन्तु अगले दिन
लाल के सन्दर्भ में 2-3 बार कानपुर यात्रा करने के ये फिर सक्रिय होकर आंदोलन करने हेतु प्रगट हो
बाद जो ज्ञात हुआ उसके अनुसार वैद्य जी का जन्म जाते थे।
वि0 सं0 1940 (1883 ई0) में शेरकोट,
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