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प्रथम खण्ड
123 के बाद रचनात्मक कार्यों में भाग लिया। जैन समाज गया और उन्होंने दरवाजा खिड़की तोड़ने का प्रयत्न द्वारा संचालित हाईस्कूल को सेठ मायाचंद जी से ढाई किया। एकाध घंटे की जोर आजमाइश के बाद दरवाजा लाख का दान दिलाने में सफल हुआ। सनावद में टूट गया और अधिकांश सत्याग्रही बाहर आ गये। सहकारी नागरिक बैंक की स्थापना कराई और 3 वर्ष पुलिस के जवान मारे डर के गटर में छिप गये। विचार उसका अध्यक्ष रहा।' जेल तोडने की घटना का विस्तार हआ कि पलिस की बर्बरता नगरवासियों को दिखाई से वर्णन करते हुए आपने लिखा है
जाए, अतः सत्याग्रही जत्था प्रमुख दरवाजे की ओर ___ जिला जेल मंडलेश्वर में युवा और बुजुर्ग दोनों बढ़ा, चौकीदार ने रोकना चाहा, किन्तु 'गांधी जी की प्रकार के सत्याग्रही थे। युवाओं के बीच चिंतन चल जय' के साथ जैसे ही चार पांच व्यक्तियों ने हाथ से रहा था कि जेल में रोटियाँ खाने ही नहीं आये हैं, धक्का दिया कि प्रमुख दरवाजे का एक ऊपरी भाग बैठे-बैठे क्या होगा, कुछ करना चाहिए। जेल में धड़ाम से नीचे गिर गया। सत्याग्रहियों के लिये केवल एक ही कमरा था जो सत्याग्रही कस्बे की अनजान गलियों में करीब 20 X.30 का होगा। सत्याग्रही आते रहे, जिले इधर-उधर भटक न जाएं इसलिए बैजनाथ जी महोदय से भी और कुछ इन्दौर से भी। रात्रि में कमरे का के नेतृत्व में सत्याग्रही आगे बढ़े। पटवारी वकील दरवाजा बंद हो जाता था अत: टट्टी पेशाब के लिए के यहां अच्छी रोशनी देखकर गांधी जयन्ती मनाने कमरे में ही बनी दो फुट ऊंची दीवाल के पीछे जाना के लिए सत्याग्रही वहीं रुक गये। घायल चार साथियों होता था अतएव रात्रि में दुर्गध के मारे सो सकना की मरहम-पट्टी करवाई। इतने में एक बड़ी पुलिस मुश्किल हो गया था।रात्रि में शुद्धि के लिए बाहर जाने टुकड़ी लेकर डी0 आई0 जी0 वहां आ गये और के लिए जेल अधिकारी से कमरे का दरवाजा खुला हमें घेर लिया, हवाई फायर किया, जिससे गांव की रखने के लिए कहा गया। जेल मैनुअल में ऐसी छूट जमा भीड भाग गई, बचे सत्याग्रही, उन्होंने पलिस देने की व्यवस्था न होने से अधिकारी ने अपनी की घेराबंदी में जेल लौटने से मना कर दिया- 'चाहे असमर्थता जाहिर की, तो सूचना देकर सत्याग्रही जान चली जाय'। गतिरोध को दर करने के लिए दरवाजा खुला रखने लगे, कुछ भाई बाहर भी सोने नेताओं और पुलिस अधिकारियों में बातचीत हुईं, लगे। जेल अधिकारी ने वस्तुस्थिति से उच्च अधि एक घंटे बाद तय हुआ कि सारी पुलिस लौट जाय। कारियों को अवगत कराते हुए मार्गदर्शन चाहा। खुले एक भी पुलिस साथ न हो, हम अपने ढंग से वापस वातावरण में 5-6 दिन ही रहे होंगे कि इन्दौर से इंस्पेक्टर जेल लौट जायेंगे। इस प्रकार राष्ट्रीय गीत गाते हए जनरल ऑफ जेल्स का आदेश आया कि 'कानून का वापस जेल लौटे जहां दरवाजे पर पलिस फोर्स लगी सख्ती से पालन किया जाए और किसी भी सत्याग्रही थी। हमारे लौटते ही अधिकारियों ने चैन की सांस को रात्रि में कमरे से बाहर न जाने दिया जाए'। आदेश ली। जेल में ही मजिस्ट्रेट के सामने मुकदमा चला के पालन में पुलिस फोर्स आई और शाम होते ही .
__ और 33 साथियों को धारा 147, 224, 353, सत्याग्रहियों को कमरे में बंद करने लगी। सब लोग ,
लाग भा0द0वि0 के अंतर्गत 2-2 वर्ष की साथ-साथ कमरे में बंद हो गये किन्तु चार व्यक्तियों ने कमरे -
१९. चलने वाली सश्रम सजा हुई।' में बंद होने से मना कर दिया। उन्हें अन्य कमरे में
आ(-(1) म0प्र0 स्व०सै०, भाग-4, पृष्ठ 83, बंद करने के लिए पुलिस ने जो बर्बर व्यवहार किया, (2) स्व-प्रेषित परिचय/संस्मरण, (3) नवभारत (इन्दौर), 4 उसे देखकर कमरे में बंद सत्याग्रहियों में आक्रोश फैल सितम्बर, 1997
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