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स्वतंत्रता संग्राम में जैन और प्रथम मंत्री थे। पाटनी जी को पद और प्रसिद्धि
श्री कमलचंद जैन की कभी लालसा नहीं रही। वे ठोस काम करने श्री कमलचंद जैन, पुत्र- श्री चम्पालाल जैन का वाले व्यवहारिक राष्ट्रकर्मी थे। पाटनी जी मतभेदों को जन्म 4-11-1916 को सनावद, जिला- पश्चिम मिटाकर, विरोधियों को मिलाकर समीप लाने के
निमाड़ (म0प्र0) में हुआ, काम में सिद्धहस्त थे।
आपने बी0 ए0, एल0 एल0 पाटनी जी ने जयपुर सत्याग्रह में बढ़-चढ़कर
बी0 इन्दौर से की। राष्ट्रीय हिस्सा लिया, फलत: गिरफ्तार हुए. और छह माह के
आन्दोलन में भाग लेने कठोर कारावास की सजा आपने भोगी। बाद में
के सन्दर्भ में आपने स्वयं प्रजामंडल और सरकार के बीच जो समझौता हुआ
लिखा है। उसमें पाटनी जी जमनालाल बजाज के विश्वासपात्र
'सन् 40 में कानून साथी थे।
की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् मैं इन्दौर से अपने मुभाषी एवं व्यवहार कुशल पाटनी जी की घर सनावद लौट आया. वकालत प्रारंभ की. साथ संगठन शक्ति अपूर्व थी। वे सही अर्थ में जयपुर की ही नगर प्रजामंडल का सदस्य भी बन गया, सन् जन-जागृति के सूत्रधार थे। वे पदलिप्सा से सदैव 41-42 में प्रजामंडल का अध्यक्ष बना और भारत छोड़ो दर रहे। पं0 हीरालाल शास्त्री ने अपनी आत्मकथा में आंदोलन का नगर में नेतत्व किया। धारा 144 तोडकर लिखा है- 'पाटनी जी ने स्वयं को सदैव पद से दूर सभा करने के जुर्म में 25 अगस्त 42 को बंदी बनाकर रखाः उन्होंने जयपुर राज्य की लोकप्रिय सरकार में मुझे और मेरे दो साथियों को जिला जेल मंडलेश्वर मंत्री पद लेने से भी इंकार कर दिया था।' प्रजामंडल भेज दिया गया, वहां 2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर कं शास्त्री जी और पाटनी जी प्रमुख संचालक थे। पर अन्य साथियों के साथ जेल तोड़कर भागने के कहा जाता है -'अगर शास्त्री जी हृदय थे तो पाटनी अपराध में दिनांक 11-10-42 को भा) द0 वि0 की जी उसके मस्तिष्क।'
धारा 147, 224 और 353 के अंतर्गत दो-दो वर्ष जेन समाज से भी पाटनी जी घनिष्ठ रूप में की सश्रम सजा हुई और हमें पैरों में डंडा-बेड़ियां डाल जुड़े थे। वे 'आल इण्डिया जैन एसोसिएशन' और दी गईं, जो 6-7 माह बाद ही हटीं। बाद में भारत 'आल इण्डिया जैन पोलिटिकल कांफ्रेन्स' के प्रान्तीय रक्षा कानून की धारा 38 (1 ए) के अंतर्गत भी एक सचिव थे। 26 सितम्बर 1946 को 45 वर्ष की वर्ष की सजा दी गई, उपरोक्त तीन धाराओं की सजा अल्प आयु में ही देश की आजादी का स्वप्न लिए साथ-साथ चलनी थी, अत: कल 3 वर्ष की सजा हई। यह सेनानी सदा-सदा के लिए सो गया। 1950 के चंकि । वर्ष से अधिक की सजा वाले मंडलेश्वर जेल लगभग, जयपुर कांग्रेस अधिवेशन के अवसर पर में नहीं रखे जाते थे, अत: मुझे अपने कछ साथियों 'कपूरचंद पाटनी द्वार' का निर्माण कर आपका स्मरण के साथ दि0 7-11-42 को केन्द्रीय कारागार. इंदौर किया गया था।
भेज दिया गया। आ) (1) जैन संस्कृति और राजस्थान, पृष्ठ 342 इंदौर नरेश और हमारे नेताओं के बीच समझौता (2) जै) सर) रा() अ), पृष्ठ-71. (3) जै) स0 वृ0 इ0, पृ0 203, (4) रा) स्य) से), पृष्ठ 552 (5) राजस्थानी आजादी के दीवाने हो जाने से दिनांक 29-11-43 को सभी राजनैतिक पृष्ठ 131-132
बंदियों की रिहाई के साथ मैं भी रिहा हो गया। रिहाई
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