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स्वतंत्रता संग्राम में जैन तपस्या और जिनके बलिदान की बदौलत ही देश को करके हैदराबाद से बाहर कर दिया गया, तो कानून आज यह दिन देखना नसीब हुआ।'
तोड़कर वापस हैदराबाद में प्रवेश किया। सिक्खों के ___ आO-(1) रा0 स्व0 से0, पृ0 340 (2) जै0 जा0 अ0 प्रसिद्ध, पवित्र स्थान 'नांदेड' में आपको पुनः गिरफ्तार (3) जै) सा) रा0 अ0 (4) जैन संस्कृति और राजस्थान, पृ0 कर लिया गया और जेल की कोठरी में ठंस कर 340, (5) अजमेर वार्षिकी एवं व्यक्ति परिचय (6) जयपुर दर्शन (7) वीर, 22-4-1989 (8) वीर निकलंक, अक्टू0 1993 तरह-तरह की यातनाएं दी गईं। जेल में आपके साथ हिन्दुस्तान (दैनिक), 17-2--1986 (9) जै0 स0 वृ0 इ0, पृ0 202 मध्यप्रदेश के भूतपूर्व स्पीकर श्री घनश्याम सिंह भी (10) राजस्थानी आजादी के दीवाने (11) जनसत्ता (दैनिक) थे। हैदराबाद आन्दोलन ने आपके जीवन में जोश 1-10-1997, (12) दैनिक भास्कर, (इन्दौर) 1-10-1997,
भर दिया था। वहाँ से आने के पश्चात् आप सक्रिय (1) जैन गजट, 7-1-1918, (14) जैनमित्र, 1938, (15) दिगम्बर जैन, 1918-1919, के अनेक अंक, आदि।
रूप से देश की आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।
ग्वालियर राज्य में 'सार्वजनिक सभा' जो उस समय श्री अवन्तीलाल जैन
कांग्रेस की पर्याय थी, में सम्मिलित होकर आपने अपनी ही नगरी उज्जयिनी में अखबार संगठन का कार्य तीव्र गति से किया। के हॉकर से नगरपालिका के अध्यक्ष तक की 1942 के भारत छोडो आन्दोलन में गांधी जी
यात्रा तय करने वाले प्रसिद्ध ने करो या मरो का आह्वान किया। यह आह्वान क्रान्तिकारी, पत्रकार, हवा की तरह देश भर में फैल गया। श्री जैन ने उसे अ०भा० स्वतंत्रता संग्राम
आत्मसात किया और उज्जैन में बड़े नेताओं. सर्वश्री सेनानी संगठन के सचिव श्री कन्हैयालाल मनाना, शिवशंकर रावल, वी0वी0 अवन्ती लाल जैन, पुत्र-श्री आयाचित, स्वामी रामानंद, केशवलाल गुप्ता आदि रामलाल का जन्म 1 अगस्त के साथ कार्य किया। जब सभी गिरफ्तार हो गये तब 1922 में हुआ। 11 वर्ष
पूरे आंदोलन का संचालन आपने बड़ी वीरता के की उम्र में ही पिता का देहावसान हो गया, फलतः
साथ किया। इस आन्दोलन के दौर में पुलिस के माता केशरवाई ने कठिन परिस्थितियों में अवन्ती
अत्याचार से देशभर में हजारों लोग मार डाले गये व लाल का भरण-पोषण किया। संघर्षमय जीवन में श्री
हजारों को जेल में लूंस दिया गया था। जैन ने अल्पायु में ही अखबार के हॉकर के रूप में
अवंतीलाल जी को भी कुचल देने व गिरफ्तारी जीवनयात्रा प्रारम्भ की, साथ में पढ़ाई भी जारी रखी।
. के आदेश हुए। आप. जनक्रान्ति को चलाने की गरज बाद के दिनों में वे उज्जैन नगरपालिका में दिन के
से भूमिगत हो गए। लेकिन आन्दोलन पूरी गति से || बजे से 5 बजे तक नौकरी और शाम 6 बजे से
बराबर चलता रहा। उन दिनों एक दिन भी ऐसा नहीं प्रात:काल 6 बजे तक मिल में कार्य करते रहे।
गया कि जुलूस और सभाएं अवन्तीलाल जैन के 1938-39 में हैदराबाद में निजाम के विरुद्ध नेतत्व में नहीं हुई हों। पलिस के अत्याचार भी बहुत समस्त भारत में जोश था, आर्य समाज की जागृति से
हुए जिनको सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हण्टर, प्रभावित होकर छात्र जीवन में ही श्री जैन ने विद्यार्थियों कोडों की मार, खन-खराबा के अतिरिक्त लोगों पर का संगठन बनाया, 'हैदराबाद चलो' का जत्था तैयार घोडे दौडाए जाते थे, लेकिन आप अपने लक्ष्य से नहीं किया और हैदराबाद जा पहुँचे। वहाँ आपको गिरफ्तार डिगे व संकटों को सहते रहे।
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